मनुष्य के जीवन में छै शत्रु होते हैं काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ और अहंकार इनको छोड़ने के बाद ही मनुष्य भगवान को पा सकता है : पंडित रामकृपालु महराज
ग्राम विघर्रा गांव में आयोजित भागवत कथा के चौथे दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया
सिलवानी। विघर्रा गांव में आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भगवत कथा के चतुर्थ दिवस पंडित वेदाचार्य रामकृपालु उपाध्याय महाराज ने बताया कि मनुष्य के जीवन में छै शत्रु हैं काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ और अहंकार। जब हमारे अंदर के ये सभी शत्रु समाप्त हो जाते हैं तो सातवें संतान के रूप में शेषजी जो काल के प्रतीक हैं वो काल फिर मनुष्य के जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योग माया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। धरती पर जब कंस और राक्षसों के अत्याचार लगातार बढ़ रहे थे साधु संत और ईश्वर के भक्तों का धरती पर रहना दूभर हो गया था तब आठवें संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। जब भगवान कारागृह में प्रगट हुए तो वासुदेव और देवकी बंधन मुक्त हो गए। क्योंकि प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। पंडित वेदाचार्य रामकृपालु उपाध्याय महाराज ने बताया कि भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने जमुना मैया को जल से पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये। मनुष्य के जीवन में अच्छे व बुरे दिन मनुष्य के अपने कर्मों से ही होते हैं लेकिन भगवान की भगति प्रभु की कृपा से हमें भगवान की मन से भक्ति करना चाहिए भगवान सच्चे भगत की पुकार अवश्य सुनते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उत्साह के साथ मनाया गया। यहां पर कृष्ण के बाल रुप की मनमोहक झंकी सजाई गई। इस अवसर पर एक छोटे बालक को श्रीकृष्ण भगवान का रुप दिया गया। बालक को को लेकर जहां भी जाते श्रद्वालु बालक के चरण स्पश कर भेट देते। भगवान का जन्म होते ही श्रद्वालुओं के द्वारा खुशियां मनाई गई। महिलाओं द्वारा भगवान के मंगल गीत गाए गए। नंद घर आनंद भयो जय कंहैया लाल की भजन पर श्रद्वालु झूम झूम कर नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करने लगे। कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंच रहे हैं।