धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 16 अक्टूबर 2025
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
*मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥ ☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति) गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए। गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है । गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है । 🔮 *शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल* 🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352_

✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
ऋतु – सौर शरद ऋतु
🌧️ मास – कार्तिक मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – गुरुवार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष दशमी तिथि 10:35 AM तक उपरांत एकादशी
🖍️ तिथि स्वामी – दशमी के देवता हैं यमराज। इस तिथि में यम की पूजा करने से नरक और मृत्यु का भय नहीं रहता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र आश्लेषा 12:42 PM तक उपरांत मघा
🪐 नक्षत्र स्वामी – आश्लेषा नक्षत्र के देवता सर्प या नाग हैं, जबकि इसके स्वामी ग्रह बुध हैं और शासक ग्रह चंद्रमा है।
⚜️ योग – शुभ योग 02:10 AM तक, उसके बाद शुक्ल योग
प्रथम करण : विष्टि – 10:35 ए एम तक
द्वितीय करण – बव – 10:49 पी एम तक बालव
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 09:45:00 से 11:10:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 2:00 से 3:25 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:13:00
🌅 सूर्यास्तः- सायः 05:51:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:42 ए एम से 05:32 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:07 ए एम से 06:22 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:43 ए एम से 12:29 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:01 पी एम से 02:47 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:50 पी एम से 06:15 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:50 पी एम से 07:06 पी एम
💧 अमृत काल : 11:03 ए एम से 12:42 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:42 पी एम से 12:32 ए एम, अक्टूबर 17
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शमी पूजन करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार -भद्रा/ यूनाइटेड नेशंस (यूएन) फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) स्थापना दिवस, संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) दिवस, महाराज लाखन पासी जयन्ती, भारतीय अभिनेत्री, निर्देशक, निर्माता और राजनीतिज्ञ हेमा मालिनी जन्म दिवस, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हरगोविंद खुराना जन्म दिवस, राष्ट्रीय बॉस दिवस, भारतीय अभिनेता, पार्श्व गायक पृथ्वीराज सुकुमारन जन्म दिवस, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी गणेश घोष पुण्य तिथि, विश्व एलर्जी जागरूकता दिवस, विश्व एनेस्थीसिया दिवस, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, राष्ट्रीय विधिक सहायता दिवस (सप्ताह)
⚜️ दशमी तिथि के देवता यमराज जी बताये जाते हैं। यमराज दक्षिण दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इस दशमी तिथि में यमराज के पूजन करने से जीव अपने समस्त पापों से छुट जाता है। पूजन के उपरान्त क्षमा याचना (प्रार्थना) से जीव नरक कि यातना एवं जीवन के सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। इस दशमी तिथि को यम के निमित्ति घर के बाहर दीपदान करना चाहिये, इससे अकाल मृत्यु के योग भी टल जाते हैं।।
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है, वो लोग देशभक्ति तथा परोपकार के मामले में बड़े तत्पर एवं श्रेष्ठ होते हैं। देश एवं दूसरों के हितों के लिए ये सर्वस्व न्यौछावर करने को भी तत्पर रहते हैं। इस तिथि में जन्म लेनेवाले जातक धर्म-अधर्म के बीच के अन्तर को अच्छी तरह समझते हैं और हमेशा धर्म पर चलने वाले होते हैं।।
🛕 Vastu tips 🏚️
किचन का स्थान घर की ऊर्जा पर गहरा असर डालता है। वास्तु के अनुसार, आपका किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में होना चाहिए। यह स्थान परिवार की सेहत और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
मास्टर बेडरूम की सही जगह ज्योतिषियों की मानें तो आपके घर का मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना श्रेष्ठ माना गया है। इससे घर के सदस्यों को मानसिक शांति मिलती है और समृद्धि का आगमन होता है। बेड के ठीक सामने शीशा न लगाएं, क्योंकि इससे नेगेटिव एनर्जी का संचार होता है।
लिविंग रूम की सजावट लिविंग रूम में फर्नीचर हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। हल्के और शांत रंगों का प्रयोग सबसे शुभ माना जाता है। उत्तर-पूर्व दिशा को हल्का और खुला रखें, ताकि घर का वातावरण सकारात्मक और सुखद रहता है।
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
फिटकरी स्वयं साध्य सम्पूर्ण औषधि है। कहीं छुट-पुट कटने पर मात्र एक चुटकी फिटकरी भस्म लगाने से खून बंद होकर जल्दी ठीक करने में सहायक होती है। ज्यादा कटने पर ढाई सौ ग्राम शुद्ध दूध में लगभग आधा तोला फिटकरी मिलाकर पीने से खून जल्दी बंद होता है फिटकरी कीटणुनाशक है अतः किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। कभी-कभी पेट में वायु बनने से होने वाला छुट-पुट सहनीय दर्द में फिटकरी भस्म की पांच से दस ग्राम की मात्रा सुसुम जल के साथ दिन में तीन-चार बार लेने से फायदेमंद है। वायु के असहनीय गम्भीर दर्द में लाभ नहीं होता। वायु के असहनीय गम्भीर दर्द के लिए एक गिलास पानी में नींबू निचोड़कर दो चुटकी फिटकरी भस्म डालकर छोटा चम्मच सोडा बाई कार्ब डालकर तुरन्त पी लें। ध्यान रहे पानी में एकदम उफान आयेगा इसलिए पानी गिलास से बाहर न निकले इससे पहले ही पी लेना चाहिए।यह प्रयोग बगैर फिटकरी भस्म डालकर पीने से भी पूर्ण लाभ होता है।
स्त्रियां पति को खुश कर सकतीं हैं :
योनि के ज्यादा ढीला होने पर पति अपनी पत्नी में दिलचस्पी कम कर देते हैं। इसलिए पत्नियां कम से कम सौ ग्राम फिटकरी की भस्म बना लें। और रात्रि में सोने से पहले रुई की बत्ती पानी में भिगोकर फिटकरी भस्म को लपेट कर योनि मार्ग में डालकर सो जावें। सुबह निकालकर फेंक दें। इस प्रकार पति सहवास से बंचित रहकर करीब पूरे दस दिन तक यह फिटकरी प्रयोग करना चाहिए। अब आप पायेंगीं कि योनि कुंवारियों जैसी संकुचित हो चुकी है। इस तरह देखा आपने पति को खुश रखने का बहुत ही बेहतरीन नुस्खा है ये। फिटकरी भस्म के प्रयोग तो और भी हैं।।
🍁 आरोग्य संजीवनी ☘️
अन्य जड़ी-बूटियों के साथ नुस्खे:-
▪️🌹🌹🌹🌹🌹▪️
मरोड़ फली को अकेले या अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है। नीचे कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे दिए गए हैं:
▪️ बुकनू मसाला (पाचन के लिए मिश्रण)
यह पेट दर्द, गैस और पाचन सुधार के लिए उपयोगी है।
सामग्री: सादा नमक (250 ग्राम), काला नमक (125 ग्राम), सेंधा नमक (50 ग्राम), हल्दी पाउडर (75 ग्राम), बड़ी हरड़ (50 ग्राम), छोटी हरड़ (50 ग्राम), बहेड़ा (50 ग्राम), सूखा आंवला (50 ग्राम), जीरा (25 ग्राम), अजवाइन (25 ग्राम), सौंफ (25 ग्राम), बड़ी इलायची (25 ग्राम), काली मिर्च (25 ग्राम), सोंठ (25 ग्राम), कबाब चीनी (20 ग्राम), मरोड़ फली (20 ग्राम), छोटी इलायची (10 ग्राम), खाने योग्य नौसादर (10 ग्राम), हींग (5 ग्राम), सरसों का तेल (100 मिली)।
बनाने की विधि: सरसों के तेल को गर्म करें और बड़ी हरड़, सोंठ, हल्दी व बहेड़ा को 2-3 मिनट भूनें। छोटी हरड़ को 1 मिनट भूनें। अलग पैन में आंवला को 2-3 मिनट भूनें। मरोड़ फली और कबाब चीनी को 2 मिनट भूनें, फिर जीरा, सौंफ, अजवाइन डालकर 1 मिनट भूनें। हींग डालकर 1 मिनट और भूनें। सभी को अलग-अलग पीसें, नमक, मिर्च आदि मिलाकर पीस लें।
उपयोग: भोजन के बाद 1/2 चम्मच लें। (यह त्रिफला – हरड़, बहेड़ा, आंवला के साथ मिलकर पाचन को मजबूत करता है।)
▪️ मरोड़ फली का काढ़ा (गैस्ट्रिक समस्या के लिए)
सामग्री: मरोड़ फली चूर्ण (5 ग्राम), पानी (100 मिली), शहद (वैकल्पिक)।
बनाने की विधि: चूर्ण को पानी में उबालें जब तक 25 मिली रह जाए। शहद मिलाएं।
उपयोग: दिन में 1-2 बार पिएं। (अकेले उपयोग, लेकिन शहद के साथ।)
▪️ मरोड़ फली जड़-हल्दी पेस्ट (सूजन और दर्द के लिए)
सामग्री: ताजी मरोड़ फली जड़ या चूर्ण, हल्दी पाउडर।
बनाने की विधि: जड़ को पीसकर हल्दी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाएं।
उपयोग: प्रभावित जगह पर लगाएं। (हल्दी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ मिलकर प्रभावी।)
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
💥 बगलागायत्रीमन्त्र
:-
ॐ ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विदमहे, स्तंभनबाणायै धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात।
उपरोक्त मंत्र अपने आप में अद्भुत शक्ति से संपन्न है,और वैसे भी आगमोक्त नियम यही है की बिना संबन्धित सविता अर्थात गायत्री मंत्र के कोई भी महाविद्या सिद्ध नहीं होती है, सम्बंधित महाविद्या की तीव्रता या उग्रता को संयत रखना ही गायत्री मंत्र का लक्ष्य है साथ हि विविध मनोरथ को पूर्ण करना और रहस्यों का भेदन करना भी।
जैसे हम यदि इस मन्त्र के साथ श्रीं यानि लक्ष्मी बीज को सम्पुट कर दें तो इसमें कोई शक नहीं कि भगवती बगलामुखी साधक को प्रचुर धन संपदा प्रदान करती ही हैं,जन्मजात निर्धनता, ऋण का नाश कर ऐश्वर्य युक्त बनाने में ये अद्भुत भूमिका निभाती है।
किसी भी शुक्रवार को ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर लाल या पीले ही वस्त्र धारण करें,और लाल या पीले आसन पर उत्तर या पूर्व कि ओर मुख कर बैठ जाएँ। सामने बजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर चावलों की एक ढेरी पर एक सुपारी स्थापित करें, जिनके पास भगवती बगलामुखी का यन्त्र या चित्र हों तो वे उनका स्थापन करें तथा सुपारी उनके सामने स्थापित करें। सामने घीं का दीपक लगाऐं, यन्त्र अथवा चित्र का पूर्ण मनोयोग से पंचोपचार पूजन करें और भगवती से अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद की प्रार्थना करें!
निम्नलिखित तीनों विधान तीन तीन दिनों के हैं,आप अपनी आवश्यकता हेतु जिसका चाहें प्रयोग कर सकते हैं, तीनों अनुभव सिद्ध विधान हैं और लाभकारी भी, हो सके तो दीपक में लगने वाली बाती पहले से हल्दी से रंजित कर लें और सुखा कर प्रयोग करें, नैवेद्य के रूप में बेसन का हलवा,लड्डू या मिष्ठान लेना उचित है।
अब संकल्प लें कि मै अपनी समस्त दुःख दरिद्रता को समाप्त करने हेतु इस प्रयोग को संपन्न कर रहा हूं /रही हूं।तत्पश्चात गुरु गणपतिजी का पूजन संपन्न करें एवं गुरुमन्त्र कि 4 माला संपन्न अवश्य करें और गुरुदेवजी से अनुमति और आशीर्वाद प्राप्त कर साधना मे संलग्न हों।
निम्न मन्त्र को हरिद्रा माला, पीली हकीक माला या मूंगा माला से करना है। भगवती बगला का ध्यान करें:
गंभीरां च मदोन्मत्तां स्वर्णकान्ति सम्प्रभाम।
चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासन संस्तिथाम्।।
मुद्गर दक्षिणे पाशं वामे जिव्हां च वज्रकम।
पीताम्बरधरां सांद्रा द्रढ़पीनपयोधराम्।।
पीतभूषणभुशांगी धृत चंद्रार्धशेखराम।
रत्नसिंहासनासीनाम्बां त्रैलोक्यसुन्दरीम।।
तत्पश्चात निम्न मन्त्र की ११ माला संपन्न करें।
मन्त्र:- श्रीं ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विद्महे,स्तम्भन बाणायै धीमहि, तन्नो बगला प्रचोदयात श्रीं।।
उसके बाद एक फिर से माँ उपरोक्त ध्यान पूर्ण एकाग्रता से करें। तथा फिर गुरुमन्त्र की चार या एक माला जप संपन्न कर साधना पूर्ण करें।
▬▬▬▬▬▬๑ ⁂❋⁂ ๑▬▬▬▬▬▬
⚜️ दशमी तिथि के देवता यमराज जी बताये जाते हैं। यमराज दक्षिण दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इस दशमी तिथि में यमराज के पूजन करने से जीव अपने समस्त पापों से छुट जाता है। पूजन के उपरान्त क्षमा याचना (प्रार्थना) से जीव नरक कि यातना एवं जीवन के सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। इस दशमी तिथि को यम के निमित्ति घर के बाहर दीपदान करना चाहिये, इससे अकाल मृत्यु के योग भी टल जाते हैं।।
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है, वो लोग देशभक्ति तथा परोपकार के मामले में बड़े तत्पर एवं श्रेष्ठ होते हैं। देश एवं दूसरों के हितों के लिए ये सर्वस्व न्यौछावर करने को भी तत्पर रहते हैं। इस तिथि में जन्म लेने वाले जातक धर्म-अधर्म के बीच के अन्तर को अच्छी तरह समझते हैं और हमेशा धर्म पर चलने वाले होते हैं।।

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