ज्योतिषधार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शुक्रवार, 01 अगस्त 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शुक्रवार 01 अगस्त 2025
01 अगस्त 2025 दिन शुक्रवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष कि अष्टमी तिथि है। आज हिमाचल प्रदेश में माता नयनादेवी जिन्हें चिंतपूर्णी भी कहा जाता है, के यहां बड़ा ही भव्य मेले का आयोजन होता है जो दर्शनीय होता है। आज रवियोग एवं स्थायीजययोग भी है। आप सभी सनातनियों को “माता नयनादेवी अथवा चिंतपूर्णी के यहां मेला आयोजन” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌓 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – शुक्रवार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि है।
📝 तिथि स्वामी – अष्टमी के देवता हैं रुद्र। इस तिथि को भगवान सदाशिव या रुद्रदेव की पूजा करने से प्रचुर ज्ञान तथा अत्यधिक कांति की प्राप्ति होती है। इससे बंधन से मुक्त भी मिलती है। यह द्वंदवमयी तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र स्वाति 03:40 AM तक उपरांत विशाखा
🪐 नक्षत्र स्वामी – स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है। स्वाति नक्षत्र के देवता वायु हैं, जो वायु के देवता हैं ।
⚜️ योग – शुभ योग 05:30 AM तक, उसके बाद शुक्ल योग
प्रथम करण : विष्टि – 06:10 पी एम तक
द्वितीय करण : बव – पूर्ण रात्रि तक
🔥 गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 7:30 से 9:00 तक ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -दिन – 11:13 से 12:35 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:22:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:36:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:19 ए एम से 05:01 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:40 ए एम से 05:43 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:54 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:42 पी एम से 03:36 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:12 पी एम से 07:33 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:12 पी एम से 08:15 पी एम
💧 अमृत काल : 05:47 पी एम से 07:34 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, अगस्त 02 से 12:49 ए एम, अगस्त 02
❄️ रवि योग : 03:40 ए एम, अगस्त 02 से 05:43 ए एम, अगस्त 02
🚓 यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-लक्ष्मी मंदिर में श्रंगार सामग्री अर्पित करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/ रवि योग/ दुर्गा अष्टमी/ दुर्वा अष्टमी/ लोकमान्य बालगंगाधर तिलक पुण्य तिथि, माता-पिता दिवस, राष्ट्रीय गर्लफ्रेंड दिवस, मित्रता दिवस, राष्ट्रीय प्रेमी दिवस, प्रथम अगस्त दिवस, पश्चिम भारत दिवस,, पादरी यौन शोषण जागरूकता दिवस, वर्ल्ड वाइड वेब दिवस, राष्ट्रीय पर्वतारोहण दिवस, यॉर्कशायर दिवस, विश्व फेफड़े का कैंसर दिवस, स्वतंत्रता सेनानी पुरुषोत्तमदास टंडन जयन्ती, भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की माँ कमला नेहरू जयन्ती, क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद निसार जन्म दिवस, अभिनेता, निर्देशक व निर्माता भगवान दादा जन्म दिवस, अभिनेत्री मीना कुमारी जन्म दिवस, विश्व स्तनपान दिवस (सप्ताह)
✍🏼 तिथि विशेष – अष्टमी तिथि को नारियल त्याज्य बताया गया है। अष्टमी तिथि बलवती अर्थात स्ट्रांग तिथि मानी जाती है। इसका मतलब कोई भी विकट कार्य आज आप कर-करवा सकते हैं। इतना ही नहीं अपितु अष्टमी तिथि व्याधि नाशक तिथि भी मानी जाती है। इसका मतलब आज आप कोई भी भयंकर रोगों के इलाज का प्रयत्न भगवान के नाम के साथ करेंगे-करवाएंगे तो निश्चित लाभ होगा। यह अष्टमी तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह अष्टमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।
🗼 Vastu tips 🗽
अगर आपके घर में सूर्य का प्रकाश नहीं आता तो नकारात्मकता आपके घर को प्रभावित कर सकती है। वास्तु के अनुसार, घर में प्राकृतिक रोशनी की कमी होने पर राहु ग्रह सक्रिय हो जाता है। इसके कारण घर के लोगों की तबीयत खराब हो सकती है, बने-बनाए कार्य भी बिगड़ सकते हैं। घर में प्राकृतिक रौशनी का अगर कोई जरिया न हो तो कम से कम लाइटिंग आपको ऐसी करनी चाहिए कि घर में उजाला बना रहे। ऐसा करने से राहु का प्रतिकूल प्रभाव कम हो सकता है।
बिस्तर पर बैठकर खाना वास्तु के अनुसार, बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से भी राहु नकारात्मक प्रभाव देता है। जिन लोगों के घर में लोग बिस्तर पर बैठकर खाना खाते हैं उनको बार-बार आर्थिक हानि हो सकती है। इसलिए ऐसा करने से आपको बचना चाहिए। अगर आप जमीन पर बैठकर खाना खाते हैं तो आपको बेहद अच्छे बदलाव अपने जीवन में देखने को मिल सकते हैं।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
कान की समस्याओं में – अगर कान की कोई भी समस्या है तो तेल में कलौंजी डालकर उसे गर्म कर लें।फिर उसे छान लें। थोड़ा गुनगुना होने पर एक या दो बूंद कान में डाल ले ।इससे कान की समस्याएं ठीक हो जाती हैं ।
पेट के कीड़ों के लिए – अगर पेट में कीड़े हो तो थोड़ी सी कलौंजी को पीसकर और उसमें शहद मिलाकर खाने से पेट के कीड़े बाहर आ जाते हैं।
लकवे के रोगी के लिए – लक्मे के रोगी को अगर कलौंजी के तेल से मालिश करते हैं तो काफी आराम मिलता है।
बवासीर के लिए- कलौंजी को जलाकर उसकी भस्म बना ले। फिर बवासीर वाले स्थान पर लगाने से बवासीर ठीक हो जाती है।
अगर आप लोगों को मेरी यह जानकारी अच्छी लगे तो कृपया मुझे अपवोट करना ना भूलें।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
सुश्रुत संहिता में आंख के 76 रोगों का वर्णन किया गया जिसमें निमेश नाम से एक आंख का रोग बताया गया जिसमें आंख निरंतर रूप से फड़कती रहती है सुश्रुत संहिता के मुताबिक यह रोग असाध्य है इसका कोई इलाज नहीं लेकिन यह निमेश किसी प्रकार की नसों की खराबी की वजह से हो सकता है जिसमें आंख हमेशा के लिए तड़पती रहती हो और यह बहुत सीरियस कंडीशन है जिसमें ऑकुलोमोटर नस की खराबी हो सकती है , आमतौर पर जो देखा जाता है की आंख फड़कने का इस नस की खराबी से लेना देना नहीं होता , क्योंकि यह कुछ समय के लिए ही होता है जैसे कि अगर आप लगातार किसी बारीक चीज को देखते हैं या फिर आपने ठीक से नींद नहीं ली है रात को बहुत देर तक जाग रहे हैं या फिर आंख से कुछ ज्यादा ही श्रम लिया है तो आंखों के स्नायु में टेंपरेरी पैरालिसिस हो जाता है जो कुछ क्षण के लिए आंखों के स्नायु पर आपका कंट्रोल खत्म कर देता है और अपने आप फड़कने लगती है, इस स्थिति को आयुर्वेद आंखों के वात प्रकोप के नाम से जाना जाता है ,इसमें वायु के शमन का उपाय करना अच्छा रहता है जैसे कि अक्षितर्पण, शिरोबस्ती, स्नेहन नस्य और कुछ वात शामक औषधियां या फिर सर में वात शामक तेल से मसाज और थोड़ी नींद ।और कभी-कभी ज्यादा रोने से जी ऐसा होता है।
📗 गुरु भक्ति योग 🕯️
उपमन्यु अपने मामा के घर से लौटा और घर आकर अपनी माँ की गोद में बैठ गया।वो माँ से बोला ! माँ, मुझे उतना ही मीठा दूध पिलाओ ,जितना मैंने मामा के घर पिया था। उसने अभी थोड़ी देर पहले अपने मामा के लड़के को दूध पीते देखा था, उसे भी थोड़ा-सा दूध पीने के लिए मिला था। माँ बोली ‘बेटा! हम लोग गरीब हैं, पेट भरने के लिए घर में अन्न का अभाव है तो दूध किस तरह मिल सकता है।’
माता ने बहुत प्रकार से समझाया परन्तु हठी उपमन्यु, वह किसी तरह मानता ही नहीं था। बालहठ ऐसा होता ही है। जब उपमन्यु नहीं माना तो माता ने दिन काटने के लिए कुछ अन बटोरकर घर में रखा था। उसने उसे पीसकर तथा पानी में घोलकर उपमन्यु से कहा कि ‘दूध पी लो ।’ नहीं माँ! यह तो नकली दूध है, असली दूध तो मीठा होता है। उपमन्यु ने ओठ लगाते ही दूध पीना अस्वीकार कर दिया।
वह मचल मचलकर रोने लगा। माँ ने फिर से समझाया ‘बेटा! संसार में हीरा, मोती, माणिक्य सब हैं, पर भाग्य से ही उनकी प्राप्ति होती है। हम लोग अभागे हैं, इसलिए हमारे लिए असली दूध मिलना कठिन है। भगवान् शिव सर्व समर्थ हैं, वे भोलानाथ प्रसन्न होने पर क्षीर सागर तक दे देने में संकोच नहीं करते। उनकी शरण में जाने पर ही मनोकामना पूरी हो सकती है। वे तप से प्रसन्न होते हैं।’ उपमन्यु की माँ ने सीख दी।
ये सुनकर उपमन्यु बोला !ठीक है माँ तो मैं तप करूँगा, माँ! मैं अपने तपोबल से सर्वेश्वर महेश्वर का आसन हिला दूँगा। वे कृपामय मुझे क्षीर सागर अवश्य देंगे। उपमन्यु पल भर के लिये भी घर में नहीं ठहर सका। उपमन्यु ने हिमालय पर घोर तप आरम्भ किया। उसने महादेव की प्रसन्नता के लिये अन्न-जल तक का त्याग कर दिया। उसकी तपस्या से समस्त जगत् संतप्त हो उठा।
इतनी कठिन तपस्या देख भगवान् विष्णु ने देवताओं को साथ लेकर मन्दराचल पर जाकर परम शिव से कहा कि हे प्रभु !’बालक उपमन्यु को तप से निवृत्त कर जगत् को आश्वस्त करना केवल आपके ही वश की बात है।’ उसे दर्शन दीजिए प्रभु। भगवान् विष्णु और देवताओं की बात सुनकर प्रभु मुस्कुराये और उपमन्यु को दर्शन देने हेतु उसके पास गए और बोले –
यह अत्यन्त कठोर तप तुम्हारे लिये नहीं है, बालक! ऐरावत से उतरकर इन्द्र ने अपना परिचय दिया। उपमन्यु ने इन्द्र का स्वागत किया और कहा आपके आगमन से यह आश्रम पवित्र हो गया कृपया आप मुझे शिव-चरणों में दृढ़ भक्ति प्रदान करें ।इंद्रदेव बोले ! शिव की प्राप्ति कठिन है। आखिर शिव में ऐसा क्या है। मुझे देखो – मेरा तीनों लोकों पर अधिकार है, तुम मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें समस्त भोग प्रदान करूँगा। इन्द्र ने परीक्षा ली।
उपमन्यु ने कहा ! इन्द्र इस प्रकार शिव-भक्ति की निन्दा नहीं कर सकते। ऐसा लगता है. कि तुम उनके वेष में कोई दैत्य हो। मेरी तपस्या में विघ्न डालना चाहते हो। तुम शिव निन्दक हो, मैं तुम्हारे प्राण ले लूँगा, तुमने मेरे आराध्य की निन्दा की है। उपमन्यु मारने के लिए दौड़ पड़ा, पर सहसा ठहर गया।
तुमने अपने तपोबल से मेरी भक्ति प्राप्त की है, मैं प्रसन्न हूँ, वत्स! इन्द्ररूपी शिव ने अभय दिया। उपमन्यु उनके चरणों पर नत-मस्तक गया । मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। क्षीर सागर प्रकट कर चन्द्रशेखर ने भक्त की कामना पूरी की। उसे पार्वती की गोद में रखकर कहा कि ‘जगजननी तुम्हारी अम्बा हैं। मैं पिता हूँ।’ भगवती ने उसे योग-ऐश्वर्य और ब्रह्म विद्या दी। निहाल होकर गद्गद कण्ठ से जगत् के माता-पिता का स्तवन करने लगा। शंकर गिरिजा समेत अन्तर्धान हो गये
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⚜️ अष्टमी तिथि के देवता भगवान शिव भोलेनाथ जी माने जाते हैं। इसलिये इस अष्टमी तिथि को भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करना चाहिए। आज अष्टमी तिथि में कच्चा दूध, शहद, काला तिल, बिल्वपत्र एवं पञ्चामृत शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। घर में कोई रोगी नहीं होता एवं सभी मनोकामनाओं की सिद्धि तत्काल होती है।।
मंगलवार को छोड़कर बाकि अन्य किसी भी दिन की अष्टमी तिथि शुभ मानी गयी है। परन्तु मंगलवार की अष्टमी शुभ नहीं होती। इसलिये इस अष्टमी तिथि में भगवान शिव के पूजन से हर प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इस अष्टमी तिथि को अधिकांशतः विष्णु और वैष्णवों का प्राकट्य हुआ है। इसलिये आज अष्टमी तिथि में भगवान शिव और भगवान नारायण दोनों का पूजन एक साथ करके आप अपनी सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण कर सकते हैं।।

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