धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 26 जून 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 26 जून 2025
26 जून 2025 दिन गुरुवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा उपरान्त द्वितीय तिथि, है। आज से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ होता है। आज गुप्त नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि अर्थात पहला दिन है। आज माता शैलपुत्री की उपासना का दिन है। आप सभी सनातनियों को “गुप्त नवरात्रि के पहले एवं द्वितीय दिन अर्थात प्रतिपदा एवं द्वितीय को माता शैलपुत्री एवं माता ब्रह्मचारिणी के उपासना एवं दर्शन” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352_
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – आषाढ़ मास
🌘 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📅 तिथि – गुरुवार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 01:24 PM तक उपरांत द्वितीया
🖍️ तिथि स्वामी – प्रतिपदा तिथि के देवता हैं अग्नि। इस तिथि में अग्निदेव की पूजा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र आद्रा 08:46 AM तक उपरांत पुनर्वसु
🪐 नक्षत्र स्वामी – आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है। तथा भगवान शिव के रुद्र रूप को आर्द्रा नक्षत्र का अधिपति देवता माना जाता है।
⚜️ योग – ध्रुव योग 11:39 PM तक, उसके बाद व्याघात योग
प्रथम करण : बव – 01:24 पी एम तक
द्वितीय करण : बालव – 12:17 ए एम, जून 27 तक कौलव
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 09:45:00 से 11:10:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 2:00 से 3:25 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:14:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:46:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:05 ए एम से 04:45 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:25 ए एम से 05:25 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:56 ए एम से 12:52 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:44 पी एम से 03:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:22 पी एम से 07:42 पी एम
🎆 सायाह्न सन्ध्या : 07:23 पी एम से 08:23 पी एम
💧 अमृत काल : 05:06 ए एम, जून 27 से 06:36 ए एम, जून 27
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:04 ए एम, जून 27 से 12:44 ए एम, जून 27
सर्वार्थ सिद्धि योग : 08:46 ए एम से 05:25 ए एम, जून 27
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरु वै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-विष्णु मंदिर में सवाकिलो पीले फल भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – गुप्त नवरात्रि प्रारंभ/सर्वार्थसिद्धि योग/कर्णवेध संस्कार मु./महा कवि कालिदास जयन्ती/ मनोरथ द्वितीय व्रत (बंगाल)/ संयुक्त राष्ट्र स्थापना दिवस, विश्व ड्रग दिवस, अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस, राष्ट्रीय नारियल दिवस, बंकिम चंद्र चटर्जी जन्म दिवस, अरुणा रॉय जन्म दिवस, गौहर जान अर्जुन कपूर जन्म दिवस, बाल गंधर्व की जयन्ती, गोविंद शास्त्री दुगवेकर, यश जौहर स्मृति दिवस, एकनाथ सोलकर पुण्यतिथि, छत्रपति शाहू महाराज, राजर्षि शाहू महाराज जयन्ती, भारतीय अभिनेता यश जौहर स्मृति दिवस, भारतीय शोधकर्ता गोवर्धन मेहता जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – प्रतिपदा तिथि को कद्दू एवं कूष्माण्ड का दान एवं भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। प्रतिपदा तिथि वृद्धि देनेवाली अर्थात किसी भी कार्य को अथवा कार्यक्षेत्र को बढ़ाने वाली तिथि मानी जाती है। साथ ही प्रतिपदा तिथि सिद्धिप्रद अर्थात कोई भी कार्य को निर्विघ्नता पूर्वक चरम तक पहुंचाने अर्थात सिद्धि तक पहुंचाने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देवता को बताया गया है। यह प्रतिपदा तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है।।
🗼 Vastu tips 🗽
दूध वाले वृक्ष की लकड़ी आपने कई जगहों पर ऐसे पेड़ देखे होंगे, जिनकी शाखा या पत्तियां तोड़ने पर उनमें से सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में कभी भी ऐसे पेड़ की लकड़ी या उससे बना सामान नहीं रखना चाहिए। रबर का पेड़ और आक का पेड़ दो ऐसे वृक्ष हैं जिनमें से ये सफेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है। इनकी लकड़ी या इससे बना सामान भूलकर भी घर न लाएं।
शमशान में उगने वाला पेड़ अगर किसी डेकॉर आइटम, मूर्ति या फ्रेम को बनाने में शमशान की लकड़ी का प्रयोग किया गया है तो उसे भी घर लेकर न आएं। इस प्रकार की लकड़ी घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाती है। ये आपके घर की आर्थिक संपन्नता को बर्बादी में तब्दील कर सकती है। श्मशान में उगने वाले पेड़ की लकड़ी को घर में जलाना भी नहीं चाहिए। इनकी लकड़ियां घर से दूर ही रहें तो अच्छा होगा।
कमजोर और सूखे पेड़ अगर किसी सामान या मूर्ति को बनाने में कमजोर या सूखे वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग किया गया है तो उन्हें भी घर बिल्कुल न लाएं। खासतौर से जिन पेड़ों को दीमक या चींटियां खोखला कर चुकी होती हैं, उनकी लकड़ियों का प्रयोग बिल्कुल न करें। इसके अलावा, ऐसे पेड़ जिनकी पत्तियां सूख जाने के बाद उनमें केवल दो सूखी शाखाएं रह जाती हैं, उनका सामान या लकड़ी भी घर न लेकर आएं।
🎯 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
आप पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए ये सटीक उपाय करे,
अगर पितृदोष बहुत ज्यादा दुख दे रहा है तो आप जितना रोज बोलते है उसका 75% बोलना तत्काल कम कर दीजिए
और अपनी बोलने की आदत को घटा कर 25% करे
जितना आप कम बोलेंगे उतना पितृदोष कम परेशान करेगा
और जितना ज्यादा बक बक करेंगे उतना ज्यादा समस्याएं खड़ी करेगा।
अपने से जो भी बड़े है उनको आदर से सम्मान के साथ पुकारे,बड़ो के साथ बहस और बाद विवाद से बचे,बिना मतलब किसी के साथ न उलझे।
खाना नियमित समय पर ही खाए,कभी भी कुछ भी खाने से खुद को रोके,खाने पीने का टाइम टेबल बनाए
बाहर की चीजे फास्ट फूड जंक फूड,या बाहर का तेल में बना तला भोजन न खाए।
भोजन हमेशा धीरे धीरे करे,प्रेम से खाए,भोजन करते समय चुप रहे, मौन रहे और शांत रहे।
भोजने तुरंत बाद एक दो घूंट से ज्यादा पानी न पिए
प्रतिदिन सुबह शाम 2 2 माला प्रभु के नाम से जपे,
🍸 आरोग्य संजीवनी 🍶
कब्ज दूर करने के लिए सबसे अच्छा चूर्ण कौनसा है?
कब्ज दूर करने के लिए कई आयुर्वेदिक चूर्ण और प्राकृतिक उपाय उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रभावी और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले चूर्ण और उपाय निम्नलिखित हैं:
त्रिफला चूर्ण : यह कब्ज के लिए सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला आयुर्वेदिक चूर्ण है। यह तीन फलों – आंवला, हरड, और बहेड़ा का मिश्रण है।
लाभ: त्रिफला एक सौम्य रेचक के रूप में काम करता है, पाचन में सुधार करता है, आंतों को साफ करता है, और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह “त्रिदोषिक” है, यानी यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करता है।
सेवन विधि: आमतौर पर रात को सोने से पहले एक छोटी चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है। आप इसे दही के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं।
इसबगोल : इसबगोल एक प्राकृतिक फाइबर है जो कब्ज से राहत दिलाने में बहुत प्रभावी माना जाता है।
लाभ: यह पानी को अवशोषित करके मल को नरम करता है और उसकी मात्रा बढ़ाता है, जिससे मल त्यागना आसान हो जाता है।
सेवन विधि: रात को सोने से पहले एक या दो चम्मच इसबगोल को एक गिलास गर्म पानी या दूध के साथ लें।सुनिश्चित करें कि आप इसे तुरंत पी लें क्योंकि यह पानी में गाढ़ा हो जाता है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहां पर भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे। उसी समय माता पार्वती ने पीछे से आकर अपने हाथों से भगवान शिव की आंखों को बंद कर दिया। ऐसा करने पर उस पल के लिए पूरे संसार में अंधेरा छा गया। दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोल दी, जिससे संसार में पुनः रोशनी बहाल हो गई। लेकिन उसकी गर्मी से माता पार्वती को पसीना आ गया।
उन पसीने की बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ। उस बालक का मुंह बहुत बड़ा था और भंयकर था। उस बालक को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी उत्पत्ति के बारे में पूछा।
भगवान शिव ने पसीने से उत्पन्न होने के कारण उसे अपना पुत्र बताया। अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से उसका नाम अंधक रखा गया। कुछ समय बाद दैत्य हिरण्याक्ष के पुत्र प्राप्ति का वर मांगने पर भगवान शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में प्रदान कर दिया। अंधक असुरों के बीच ही पला बढ़ा और आगे चलकर असुरों का राजा बना।
अंधक ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया था कि वह तभी मरे जब वह यौन लालसा से अपनी माँ की ओर देखे। अंधक ने सोचा था कि ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि उसकी कोई माँ नहीं है। वरदान मिलने के बाद अंधक देवताओं को परास्त करके तीनों लोकों का राजा बन गया।
फिर उसे लगा कि अब उसके पास सब कुछ है इसलिए उसे शादी कर लेनी चाहिए। उसने तय किया कि वह तीनों लोकों की सबसे सुन्दर स्त्री से शादी करेगा।
जब उसने पता किया तो उसे पता चला की तीनों लोकों में पर्वतों की राजकुमारी माता पार्वती से सुन्दर कोई नहीं है। जिसने अपने पिता का वैभव त्याग कर भगवान शिव से शादी कर ली है। वह तुरंत माता पार्वती के पास गया और उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। माता पार्वती के मना करने पर वह उसे जबरदस्ती ले जाने लगा तो माता पार्वती ने भगवान शिव का आह्वान किया।
माता पार्वती के आह्वान पर भगवान शिव वहां उपस्थित हुए और उसने अंधक को बताया कि तुम माता पार्वती के ही पुत्र हो। ऐसा कहकर उन्होंने अंधक का वध कर दिया।
वामन पुराण में अंधक को शिव-माता पार्वती का पुत्र बताया गया है जिसका वध भगवान शिव करते है जबकि एक अन्य मतानुसार अंधक, कश्यप ऋषि और दिति का पुत्र था। जिसका वध भगवन भगवान शिव ने किया था।
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⚜️ प्रतिपदा तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। आज प्रतिपदा तिथि को अग्निदेव से धन प्राप्ति के लिए एक अत्यंत ही प्रभावी उपाय कर सकते हैं। आज प्रतिपदा तिथि को इस अनुष्ठान से अग्निदेव से अद्भुत तेज प्राप्त करने के लिए भी आज का यह उपाय कर सकते हैं। साथ ही आज किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति भी इस अनुष्ठान के माध्यम से अग्निदेव से करवायी जा सकती हैं। इसके लिए आज अग्नि घर पर ही प्रज्ज्वलित करके गाय के शुद्ध देशी घी से (ॐ अग्नये नम: स्वाहा) इस मन्त्र से हवन करना चाहिये।।

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