पायलट प्रोजेक्ट के तहत रायसेन में स्थापित जिला आपदा प्रबंधन एवं नियंत्रण कक्ष का मुख्यमंत्री ने किया वर्चुअल लोकार्पण
मुख्यमंत्री को कलेक्टर ने जिले में आपदा प्रबंधन संबंधी तैयारियों से कराया अवगत
रायसेन। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आपदा प्रबंधन के लिये वल्लभ भवन मंत्रालय एनेक्सी-2 में स्थापित राज्य स्तरीय सिचुएशन रूम का लोकार्पण किया। साथ ही पायलट प्रोजेक्ट के रूम में पहले चरण में तीन जिलों रायसेन, सीहोर तथा होशंगाबाद में जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन एवं नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। जिनका मुख्यमंत्री चौहान द्वारा वर्चुअल लोकार्पण किया गया। उन्होंने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलों में आपदा प्रबंधन हेतु की गई तैयारियों को देखा तथा कलेक्टर्स से जानकारी ली। रायसेन में कलेक्ट्रेट परिसर में स्थापित किए गए जिला आपदा प्रबंधन एवं नियंत्रण कक्ष से कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, अपर कलेक्टर अनिल डामोर तथा डिस्ट्रिक्ट होमगार्ड्स कमान्डेंट नीलमणी लाड़िया सहित अन्य अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री चौहान द्वारा कलेक्टर भार्गव से जिले में आपदा प्रबंधन हेतु की गई तैयारियों की ऑनलाईन जानकारी लेने पर कलेक्टर भार्गव ने अवगत कराया कि जिले के नर्मदा तटीय वाले क्षेत्रों के विगत पॉच वर्षो के रिकार्ड का विश्लेषण करते हुए देवरी, बाड़ी, बरेली तथा उदयपुरा सहित क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका वाले गॉवों को चिन्हांकित किया गया है। इन गॉवों में बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर तुरंत राहत एवं बचाव कार्य शुरू करने के लिए 10-10 लोगों की टीम बनाई गई हैं जिनमें तैराक तथा गॉव के लोग शामिल हैं। कलेक्टर भार्गव ने अवगत कराया कि देवरी, बाड़ी, उदयुपरा तथा बाड़ी में बोट उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त लोकल स्तर पर भी नाव, लाईफ जैकेट सहित अन्य जरूरी संसाधन है। मुख्यमंत्री चौहान ने उदयपुरा के बौरास घाट पर उपस्थित तहसीलदार से भी आपदा प्रबंधन संबंधी व्यवस्थाओं की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संकट के समय में सिचुएशन रूम, डिस्ट्रिक्ट कमांड सेंटर में बैठकर हम लोगों से बात कर उन्हें आपदा से बचा सकते हैं। लोग किन परिस्थितियों में है उसका पता लगा सकते हैं। कितने गांव बांढ़ में डूंब में आ सकते हैं। इसका पता भी पहले से लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिचुएशन रूम में बैठकर आपदा नियंत्रण की सारी तैयारियों को देखा। टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल करते हुए हम कितना प्रभावी तरीके से बचाव और राहत का काम कर सकते हैं उसका उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाढ़ हर साल कई जगह आती ही आती है। नदियों के किनारे जो गांव होते हैं, लगभग 272 के आसपास गांव बाढ़ से प्रभावित होते ही हैं। जहां बाढ़ की इस तरह की परिस्थितियां बनती है। उन जगहों पर राहत और बचाव के कार्यो में कठिनाईयां होती थी। उनका चयन कर लिया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि 5500 होमगार्ड के जवान, लगभग 550 एसडीआरएफ के जवान और अलग-अलग टीमें अलग-अलग स्तर पर किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार है। यह टीमें संसाधनों से पूरी तरह लैस है। कोई भी आपदा हो, अगर जरूरत पड़ेगी तो हमारी टीम उपलब्ध रहेगी। हमने अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। चाहे एक्सीडेंट हो, आग लगी हो, भूकंप आ गया हो। इन सभी आपदा से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा।
कलेक्ट्रेट परिसर में स्थापित जिला आपदा प्रबंधन एवं नियंत्रण कक्ष के नोडल अधिकारी एवं जिला प्रबंधक रवि चन्देल ने बताया कि यह जिला स्तरीय आपदा नियंत्रण कक्ष उच्च तकनीक से लैस हैं जिसमें एक्टिव एलईडी के माध्यम से जिले में किसी भी लोकेशन पर होने वाली आपदा पर निगरानी रखी जा सकेगी। साथ ही त्वरित रूप से राहत एवं बचाव कार्य किए जा सकेंगे। सामान्य दिवसों में यह कंट्रोल रूम जनशिकायत निवारण हेतु कॉल सेंटर के रूप में उपयोग किया जाएगा।