कुशवाहा विकास मंच ने मनाई सम्राट अशोक जयंती

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । भारत के इतिहास में बहुत से शक्तिशाली एवं चक्रवर्ती राजाओं का वर्णन आता है इन्ही में से एक मौर्य वंश के सम्राट अशोक भी है। इन्हे इतिहास में देवानाम्प्रिय एवं प्रियदर्शी के नाम से भी उल्लेखित किया है। अशोक ने मगध के राज्य को तो अपना बना लिया किन्तु उनके राजतिलक में विभिन्न बाधाओं का आनाजाना लगा रहा जिसका उन्होंने शक्ति से सामना भी किया। अशोक को चक्रवर्ती राजा इस कारण से कहा जाता है कि वे अपने राज में भोग विलास में ना रहकर निरंतर पराक्रम करते रहते थे। इसी कारण उन्होंने उत्तर भारत से दक्षिण के मैसूर, कर्नाटक, बंगाल से लेकर अफगानिस्तान तक अपनी शौर्य पताका फहरा दी थी। इस प्रकार से उनका साम्राज्य उस समय तक का सर्वाधिक फैला हुआ साम्राज्य था।
उक्त उद्गार कुशवाहा विकास मंच के तत्वधान में अखंड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान जयंती को लेकर आयोजित कार्यक्रम में समाज अध्यक्ष अमर सिंह शाक्य ने व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जन्म 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था। सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में जाने गए थे। चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी काफी शक्तिशाली था। पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के बाद उन्होंने अपने राज्य को पुरे अखंड भारतवर्ष में फैलाया और पुरे भारत पर एकछट राज किया। अशोक को अपने जीवन में बहुत से सौतेले भाइयों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। थोड़ा ही बड़ा होने के बाद अशोक की सैन्य कौशल देखने को मिलने लगी थी। उनके युद्ध कौशल को और अधिक निखार देने के लिए शाही प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी थी। इस प्रकार से अशोक को काफी कम आयु में तीरंदाजी के साथ अन्य जरुरी युद्ध कौशलो में काफी अच्छी महारत मिल चुकी थी। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हे मौर्य शासन के अवन्ति में होने वाले दंगों को रोकने भी भेजा गया था। अपने समय के दो हजार वर्षो के बाद भी अशोक के राज्य के प्रभाव दक्षिण एशिया में देखने को मिलते है। अपने काल में जो अशोक चिन्ह निर्मित किया था उसका स्थान आज भी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह में है।
कार्यक्रम में सभी समाज बंधुओं ने अपना अमूल्य समय निकाल कर सम्राट अशोक जी की पूजन अर्चना कर चित्र पर माल्यार्पण कर सभी ने एकता का परिचय दिया।
कार्यक्रम में संरक्षक गण आसाराम कुशवाहा, परमहंस कुशवाहा, प्रांतीय कुशवाहा महासभा के उपाध्यक्ष प्रहलाद सिंह कुशवाहा, तहसील अध्यक्ष अमर सिंह शाक्य (कुशवाहा), विनोद कुशवाहा, खिलान सिंह कुशवाहा, पुरुषोत्तम कुशवाहा, महेंद्र सिंह कुशवाहा, संजीव कुशवाहा, अशोक कुशवाहा, पुष्पेंद्र कुशवाहा, धीरज सिंह कुशवाहा, हरि कुशवाहा, हेमराज कुशवाहा सहित सभी समाज बंधु बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।