भगवान की लीलाओं का अनुकरण करने से जीवन का मूल उद्देश्य पूर्ण होता है : पं.रामकिंकर शर्मा
सिलवानी । ग्राम बीकलपुर में चल रही श्री मद्भागवत के विश्राम दिवस की कथा का वाचन करते हुए कथाव्यास पं.रामकिंकर शर्मा ने कहा कि भगवान के जितने भी अवतार हुए उन सब में भगवान द्वारा जो कार्य प्रतिपादित किये गए वह हमारे लिए अनुकरनीय है क्योंकि स्वयं जब भगवान ने शास्त्र, वेद सम्मत कार्यों को किया तो हम उनका त्याग करते हुए स्वयं की वुद्धि लगाकर कार्य करें तो उनसे हमारे धर्म की संस्कृति परम्परा तो टूटेगी ही इसके अन्यत्र शास्त्र अवज्ञा से जो हम कार्य करेंगे उससे हमें कुछ भी प्राप्त नही होगा केवल व्यर्थ श्रम ही हम करेंगे ।
व्यास जी द्वारा यह भी कहा गया कि जब स्वयं श्री राम ने अपने पिता के महाप्रयाण के पश्चात वन में फलों के द्वारा पिंड बनाकर पिंडदान किया, मृत्युभोज कराया ज्ञा जी में पिंड दान किया तो हम क्यों अपनी वुद्धि को लगाकर यह कार्य कर रहे जबकि पुत्र के सभी संस्कार पिता द्वारा संपादित कराए जाते है केवल अंतिम संस्कार ही पुत्र द्वारा किया जाता है एवं पुत्र वही श्रेष्ठ है जो अपनी सामर्थ्य अनुसार माता-पिता का प्रयाण हो जाने के पश्चात शास्त्र द्वारा सम्मत सभी कार्य पूर्ण करें ।
इसी के साथ आज कथा में उध्दव चरित्र, भगवान श्री कॄष्ण के विवाहों का वर्णन हुआ, सुदामा चरित्र, श्रीकृष्ण के गौ-लोक गमन, परीक्षित जी का सर्प दंश द्वारा महाप्रयाण के साथ ही श्रीमदभागवत कथा का विश्राम हुआ।
