मध्य प्रदेश

संत शिरोमणि सेन जी महाराज की जयंती: नगर में निकला भव्य चल समारोह

सिलवानी। नगर में संत शिरोमणि सेन जी महाराज की जयंती धूमधाम से मनाई। इस दौरान नगर में चल समारोह में निकाला गया। चल समारोह में सैकड़ों की संख्या में समाज के लोग शामिल हुए सेन जी महाराज की प्रतिमा को रथ में रखकर चल समारोह निकाला गया। चल समारोह के दौरान मौजूद लोग नाचते झूमते हुए शामिल हुए। यह चल समारोह नगर के मंगल भवन प्रारंभ हुआ जो कि मुख्य मार्गों से होता हुआ नायक गार्डन पहुंचा। इस वर्ष भी संत शिरोमणि सेन जी महाराज की 723 वी जयंती मनाई गई। चलसमारोह में बैंड बाजे, ढोल ताशे, डीजे, आकर्षण का केन्द्र रहे। वही महिलाए सिर मंगल कलश लिए चल रही थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जमना सेन ने सेन जी महाराज के बारे में संबोधन दिया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल, भाजपा मंडल अध्यक्ष विजय शुक्ला सहित अनेक जन प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। और अपना उदबोधन दिया। इस दौरान वहां पर मौजूद लोगों ने सेन जी महाराज की प्रतिमा को माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। वही चल समारोह का नगर में जगह जगह फूल वर्षाकर स्वागत किया। अंत में आभार व्यक्त सेन समाज के अध्यक्ष रामकृष्ण सेन ने व्यक्त किया।
सेन समाज के युगपुरुष रामानंदाचार्य की 12 शिष्यों में प्रधान शिष्य सेन जी महाराज हुए जाति सती संत सूरमाओं जहां प्रादुर भाव होता है उस नगर प्रांत देश को बड़े आदर की नजर से देखा जाता है भारत के मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में विक्रम संवत 1357 को वैशाख शुक्ल बारस रविवार को पूर्व भाद्रपद नक्षत्र तुला लग्न ब्रह्म योग में श्री संत सेन जी महाराज का जन्म अगस्त्य संहिता अध्याय 12 के आधार पर माना गया है तो दूसरी ओर सिकंदर लोधी के शासन काल में उन्हें बताया गया है ठीक उसी प्रकार उनकी जन्म स्थल पर भी अलग-अलग मान्यताएं बनी हुई है पंजाब के लोगों की मान्यता है कि सेन जी का जन्म 16 जून रविवार को प्रातः मार्ग मास की पूर्णिमा विक्रम संवत 1416 रूडी जिला अमृतसर में हुआ पिता का नाम मुकुंदराय एवं माता का नाम जीवणी देवी गोत्र गोल्हन है उनका विवाह शाहदरा लाहौर निवासी जलु राम के घर तथा पत्नी साहिबा देवी बतलाया है तथा पुत्र का नाम नई-था इनके वंशज आज भी पंजाब में बसते हैं सरदार हरजिंदर सिंह अकाल राय छपाई जिला अमृतसर सिंह जी के वंशज बताते हैं कि भारत का सबसे बड़ा ग्रंथ सेन सागर ग्रंथ है और यह ग्रंथ पंजाबी भाषा में इस ग्रंथ में सेन जी द्वारा लिखित 66 वाणियां है महाराष्ट्र की लोग इसी महाराष्ट्र के जानते हैं और पंजाब के लोग पंजाब का जानते हैं।
निमित्त भजन में उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा है कि जन्मे लोग नवीन के उनकी अर्थात नाविन माता के गर्भ से मेरा जन्म हुआ है गोत्र कोल्हन तथा पिता का नाम देवी दत्त माता का नाम प्रेम कमर वाई दो पुत्र एक पुत्री का उल्लेख है अथारत सेन भगत जन्म के बारे में विभिन्न मान्यताएं रही है भगवत माल राम रसीला वर्ली में रीवा नरेश रघुराज सिंह के अनुसार संवत 1611 से 1648 तक रीवा के राजा या रामचंद्र का राज माना जाता है इसी अवधि में सेन जी ने रामानंद जी से दीक्षा ली और एक गाथा ऐसी भी मिलती है बांधवगढ़ में उग्रसेन नाई की घर महात्मा के वरदान से एक पुत्र हुआ जो भीष्म का अवतार था वही सैन जी महाराज हुए सेन जी महाराज एक युग वेत्ता संत ज्ञानी भक्ति कवि गरीबों के मसीहा वह विष्णु के अवतार के रूप में जाने जाते हैं वह अनेक भाषाओं में अपनी रचना की सेन समाज का सौभाग्य की कुल गुरु पावन पवित्र भक्ति के फल स्वरुप भगवान को स्वयं निर्धारण करके राजा का छोर कार्य किया वह सेन जी को राजा गुरु पद की उपाधि प्रदान की इस संबंध में किसी प्रकार का मतभेद नहीं है ऐसे कुलगुरू सेन जी के पावन चरण कमलों में सदैव नतमस्तक रहेगा जीवन के अंतिम समय के संदर्भ में उनकी निर्माण तिथि माघ मास की एकादशी वार रविवार 1449 को अपने पुत्र नई से मिलकर विदा होना बताया गया है सेन जी महाराज की 723 पावन जयंती पर यह लेख समर्पित है।
हमें खुशी इस बात की है कि हमारे संत शिरोमणि सेन जी महाराज को कई लोग मानते हैं मगर वह उसी जगह पर मानते हैं जहां पर मनवाने वाले लोग हैं जिनका अपना खुद का जमीर है।

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