09 अप्रैल 2023 : को है संकष्टी चतुर्थी, गणपति पूजा के वक्त पढ़ें यह व्रत कथा, विपदाएं होंगी दूर, सुख-समृद्धि बढ़ेगी

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
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🪙 09 अप्रैल 2023 : को है संकष्टी चतुर्थी, गणपति पूजा के वक्त पढ़ें यह व्रत कथा, विपदाएं होंगी दूर, सुख-समृद्धि बढ़ेगी
🥏 HEADLINES
♦️ 9 अप्रैल को सुबह 09:35 बजे से वैशाख कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी।
♦️ पूजा में गणपति बप्पा को दूर्वा, सिंदूर, हल्दी, लाल पुष्प और मोदक अवश्य चढ़ाएं।
👉🏽 वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है और उसे विकट संकष्टी के नाम से जाना जाता है। विकट संकष्टी के दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है और रात के समय चंद्रमा को अर्घ दिया जाता है। आइए जानते आचार्य श्री गोपी राम से कि विकट संकष्टी चतुर्दशी का महत्व और पूजा विधि। संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 अप्रैल रविवार को रखा जाएगा।
❄️ विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
विकट संकष्टी चतुर्थी सुबह 9 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अमृत योग सुबह 10 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप भगवान गणेश की उपासना कर सकते हैं।
⚛️ जानें संकष्टी चतुर्दशी की पूजा विधि
🔸 इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद भगवान गणेश का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जप करें ‘मम वर्तमानागामि सकल निवारणपूर्वक सकल अभीष्टसिद्धये गणेश चतुर्थीव्रतमहं करिष्ये’ और व्रत का संकल्प लें।
🔹 इसके बाद एक स्थान की अच्छे से साफ सफाई करके गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद गंध, पुष्प, अक्षत, रोली आदि से विधि विधान के साथ पूजन करें।
🔸 इसके बाद गणेशजी को लड्डू का भोग लगाकर उनकी आरती करें और फिर शाम के समय भी उनका विधि पूर्वक पूजन करें।
🌝 गणेश और चंद्रमा दोनों की पूजा होती है
चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और चंद्रमा दोनों की पूजा की जाती है। माएं ये व्रत अपनी संतान की सुख-शांति के लिए करती है। माना जाता है कि चतुर्थी की पूजा करने से बच्चों की उम्र लंबी होती है और वो गणेश जी तरह काफी बुद्दिमान बनते हैं तो वहीं दूसरी ओर चंद्रमा की पूजा करने से महिलाओं का सौभाग्य बना रहता है उनके पति की भी उम्र लंबी होती है और उन्हें यश की प्राप्ति होती है।
🤷🏻♀️ गणेश जी मंत्र- ‘श्री गणेशाय नम:’, ‘ॐ गं गणपतये नम:’, वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा। आदि का अधिक से अधिक जाप करें।
🗣️ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार इंद्र समेत सभी देवता गण भगवान शिव के पास अपने संकटों को दूर करने की प्रार्थना लेकर पहुंचे. तब भगवान शिव के दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी वहीं मौजूद थे. तब भगवान शिव ने उन दोनों से पूछा कि कौन सबसे पहले देवताओं की विपदा को दूर कर सकता है, तो दोनों ने ही कहा कि वे सक्षम हैं. तब भगवान शिव को एक युक्ति सुझी. उन्होंने अपने दोनों पुत्रों से कहा कि इसके लिए पहले परीक्षा देनी होगी।
शिव जी ने कहा कि जो सबसे पहले इस पृथ्वी की परिक्रमा करके हमारे पास आ जाएगा, उसे ही देवताओं का संकट दूर करने के लिए भेजा जाएगा. परीक्षा की बात सुनकर भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर सवार हो गए और पिता से आज्ञा लेकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े. उधर गणेश जी बड़े ही सोच में पड़ गए कि उनका वाहन मूषक है. इससे पूरी पृथ्वी की परिक्रमा संभव नहीं है।
तब गणेश जी के मन में एक विचार आया. वे झट से अपने स्थान से उठे. फिर वे हाथ जोड़कर अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा किए. उसके बाद अपने स्थान पर आकर बैठ गए. सभी देवी देवता यह देखकर आश्चर्य में पड़ गए. कुछ समय बाद कार्तिकेय जी पृथ्वी की परिक्रमा करके कैलाश पर आए और स्वयं को विजेता घोषित करने लगे।
इस बीच शिव जी ने गणेश जी से पूछा कि तुमने पृथ्वी की जगह अपने माता-पिता की परिक्रमा क्यों की? इस पर गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक बसता है छोटे पुत्र का उत्तर सुनकर शिवजी बड़े प्रसन्न हुए. उन्होंने गणेश जी को देवताओं का संकट दूर करने के लिए भेजा।
महादेव ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा करके रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी पाप मिट जाएंगे. विपदाएं दूर होंगी और मनोकामनाएं पूरी होंगी. जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होगी।
इस व्रत कथा को पढ़ने के बाद गणेश जी से प्रार्थना करें कि आप हमारे संकटों को दूर करके जीवन में सुख और समृद्धि दें।