ज्योतिष

आज का पंचाग शनिवार 08 अक्टूबर 2022

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
🧾 आज का पंचाग 🧾
शनिवार 08 अक्टूबर 2022

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। श्री हरि आप सभी का कल्याण करें ।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
🔮 शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022
🌐 संवत्सर नाम-राक्षस
✡️ शक संवत 1944 (शुभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत 5123
☣️ सायन दक्षिणायन
🌦️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
🌤️ मास – आश्र्विन मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथिः- चतुर्दशी तिथि 27:43:00 तक तदोपरान्त पूर्णिमा तिथि
✏️ तिथि स्वामीः- चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव जी हैं तथा पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव हैं।
💫 नक्षत्रः- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र 17:08:00 तक तदोपरान्त उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
🪐 नक्षत्र स्वामीः- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी गुरु देव हैं तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं।
🔊 योगः- वृद्घि 20:53:00 तक तदोपरान्त ध्रुव
प्रथम करण : गर – 04:30 पी एम तक
द्वितीय करण : वणिज – 03:41 ए एम, अक्टूबर 09 तक विष्टि
🔥 गुलिक कालः-शुभ गुलिक काल 06:17:00 A.M से 07:45:00 AM तक
⚜️ दिशाशूलः- आज के दिन पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए यदि यात्रा करना ज्यादा आवश्यक हो तो घर से अदरक खाकर जायें।
🤖 राहुकालः- आज का राहु काल 09:13:00 से 10:40:00 तक राहू काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
🌞 सूर्योदय – प्रातः 05:48:09
🌅 सूर्यास्त – सायं 17:30:39
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:39 ए एम से 05:28 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:04 ए एम से 06:18 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:45 ए एम से 12:32 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:05 पी एम से 02:52 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:48 पी एम से 06:12 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:59 पी एम से 07:13 पी एम
💧 अमृत काल : 09:31 ए एम से 11:02 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:44 पी एम से 12:33 ए एम, अक्टूबर 09
❄️ रवि योग : 06:18 ए एम से 05:08 पी एम
🚓 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शनि मंदिर में सवा किलो इमरती चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – श्री वराहा चतुर्दशी, जैन चौदस, श्री कोजागरी व्रत (पंचाग भेद से कल भी , लक्ष्मी – इन्द्र पूजन ), मारवाड़ उत्सव प्रारम्भ (दो दिन जोधपुर , राज. ), मेला शाकम्भरी देवी देवबन्द, भारतरत्न श्री जयप्रकाश नारायण पुण्यतिथि, श्री मुंशी प्रेमचंद पुण्यतिथि, भारतीय वायुसेना दिवस, पंचक जारी
✍🏽 विशेष – चतुर्दशी तिथि को शहद त्याज्य होता है। चतुर्दशी तिथि को एक क्रूरा तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं चतुर्दशी तिथि को उग्रा तिथि भी माना जाता है। यह चतुर्दशी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्दशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ और कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। इस चतुर्दशी तिथि के देवता भगवान शिवजी हैं।
🌋 Vastu tips 🏚️
वास्तुशास्त्र में घर के बेड को व्यवस्थित करने के लिए दिशा के बारे में बताया गया है, लेकिन सोते समय भी आपको दिशा का ध्यान रखना चाहिए. वास्तु के मुताबिक पूर्व दिशा की ओर पैर करके सोने से कई बीमारियां शरीर में बनने लगती हैं. बीमारियों से दूर रहना है, तो वास्तु के मुताबिक सोना शुरू करें.
अच्छी सेहत पाने के लिए घर में हल्के रंगों का प्रयोग करें. घर की दावारों से लेकर फर्नीचर, पर्दे, बेडशीट, कुशन आदि सभी हल्के रंग के ही चुनें. घर में गहरे रंगों के प्रयोग से बचें.
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के किसी भी कोने में सीलन नहीं होनी चाहिए. वास्तु के मुताबिक, घर में सीलन होने से नकारत्मक ऊर्जा बढ़ती है. इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है इसलिए सीलन की जल्द से जल्द मरम्मत करवानी चाहिए ऐसी मान्यता है कि घर के ईशान कोण में अगर गंदगी है और उसे समय रहते साफ न किया जाए, तो इससे घर की ग्रहणी और मुखिया को अक्सर सिर में दर्द की प्रॉब्लम हो सकती है. लोगों को सिर में दर्द रहता है और इसे वे हेल्थ इशू समझकर इलाज करवाते हैं. हो सकता है कि इसके पीछे स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो, लेकिन वास्तु की नजरअंदाजी भी इस स्वास्थ्य संबंधी समस्या का कारण बन सकती है.
▶️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
कन्या का विवाह न हो रहा हो तो …..
जिस कन्या का विवाह न हो पा रहा हो उसके स्नान के जल में आम के पुष्पों की थोड़ी-सी मंजरी वसंत पंचमी (16 फरवरी) से लेकर पूर्णिमा ( 27 फरवरी) तक नित्य डालें | उस जल से कन्या स्नान करें | प्रतिदिन स्नान के बाद पूजास्थान में शांत बैठ के कन्या कुछ देर माता पार्वती का स्मरण, चिंतन व उनसे प्रार्थना करे | इससे विवाह में आनेवाली रूकावटे दूर होकर कार्य-साफल्य होता है |
🧉 आरोग्य संजीवनी 🍶
40 प्रतिशत लोगों को खर्राटे थकान के कारण आते हैं और 60 प्रतिशत लोगों को जो खर्राटे आते हैं वे संकेत देते हैं कि शरीर में रोग जमा हो रहा है | इसका जल्दी इलाज करो, नहीं तो ह्रदयघात (heart attack), उच्च रक्तचाप ( hypertension), निम्न रक्तचाप (low B.P.) की समस्या पैदा हो सकती है | किसी भी थोड़ी-सी बीमारी में ज्यादा धक्का लग सकता है |
खर्राटे आते हैं तो उनको नियंत्रित करने का उपाय बताता हूँ | 5 ग्राम गुड़, 10 मि.ली. अदरक का रस व संतकृपा चूर्ण मिला के थोडा-थोडा लो | खर्राटे बंद हो जायेंगे, कफ और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित हो जायेगा | 21 दिन करो | फिर 5-10 दिन छोडो, फिर करो | नाड़ियाँ साफ़ हो जायेंगी | केला, फलों का र्स, मिठाई- इनका सेवन नहीं करना |
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
गुरु भक्त शिष्य आरुणि की कहानी प्राचीन काल की बात हैं, जब गुरु अपने शिष्यों को नगर के बाहर शांत माहौल में बने गुरुकुलों में विद्याध्ययन कराते थे. उनके शिष्यों की संख्या सैकड़ों में थी जो आश्रम में रहकर ही अध्ययन किया करते थे. बरसात का मौसम था ऋषि धौम्य अपने आश्रम में विराजित शिष्यों को विद्या दे रहे थे, आसमान में घने बादल छाएँ हुए थे।
एक दोपहर की बात है अचानक मौसम बदलता है तथा काले घने बादलों के साथ आकाश की दसों दिशाएं घोर गर्जन करने लगी. सहसा ही मूसलाधार बारिश शुरू हो गई और देखते ही देखते मानों बादल फट गया. चारों ओर जल ही जल का सागर हो गया. गुरूजी थोड़ी चिंता में बोले इतनी बारिश आज से पूर्व कभी न हुई थी, कुछ देर ऐसे ही मूसलाधार बारिश होती रही तो खेत की मेड इतना दवाब न झेल पाएगी और सारी फसल तबाह हो जाएगी।
गुरूजी ने अपनी बात पूरी की ही नहीं कि एक शिष्य धीरे से बोला मेरी कुटियाँ भी रिस रही होगी यह कहता हुआ चलता बना, तभी दूसरा उठा मेरी कुटियाँ का पिछला हिस्सा भी टूट सकता है कहकर चलता बना. इस तरह किसी ने कपड़ों का बहाना किया तो किसी ने और कुछ कहते हुए सभी गुरूजी की कुटियाँ से खिचकते बने।
आरुणि अभी तक वहां शांत बैठा था वह भी खड़ा हुआ और बोला गुरूजी मुझे आगया दीजिए मैं खेत पर जाता हूँ तथा बाँध को पक्का कर देता हूँ, गुरूजी ने कह कहते हुए आज्ञा दी कि भले ही कड़ी मेहनत करनी पड़े मेड कमजोर मत बनाना।
गुरूजी की आज्ञा पाकर वह तेजी से खेत की तरफ चल दिया. उसने वहां जाकर देखा तो खेत की मेड एक जगह से टूट चुकी थी. खेत का सारा पानी तेज गति से वहां बह रहा था. आरुणि उस टूटी मेड की जगह मिट्टी डाल डालकर थक गया मगर तेज जल प्रवाह के आगे उसकी मेहनत काम नहीं आ रही थी, पानी उस रेत को बहाकर ले जा रहा था।
गुरूजी की आज्ञा पालन करना जरुरी था, मगर कैसे वो इस बहते पानी को रोके तथा पक्का बाँध बनाएं. उन्हें यकायक एक विचार आया और बांध के टूटे हिस्से पर मिट्टी लाकर डालने की जगह वह स्वयं लेट गया. आखिर जल धारा को भी आरुणि की हठ के आगे हार माननी पड़ी और खेत का बहता पानी रुक गया।
पूरी रात बीत गई मगर वह उसी अवस्था में बिना शरीर को हिलाएं डुलाएं वहां लेटा रहा. बारिश थम चुकी थी भौर हुई. सभी शिष्य गुरु के समक्ष बैठकर अध्ययन में लग गये. आरुणि के नजर न आने पर गुरूजी ने चिंतित भाव से उसके बारे में पूछा तो एक शिष्य ने जवाब दिया उसे कल दोपहर खेत की तरफ जाते हुए देखा था उसके बाद वह कभी दिखाई नहीं दिया।
किसी ने कहा वह अपनी कुटियाँ में सो रहा होगा, गुरूजी ने पता करने को भेजा तो वह कही नहीं मिला. गुरूजी अब किसी की न सुनकर खेत की तरफ चल पड़े और खेत के पास जाकर पुकारने लगे आरूणि… आरूणि… बेटा आरूणि. मगर कोई जवाब नहीं मिल रहा था. वे खेत के चक्कर लगाने लगे. आखिरी में उन्हें टूटे बांध के मुहाने के पास बेहोश पड़े आरुणि को देखा. उन्हें सारा माजरा समझ आ गया और आँखों से आंसू की धारा बह निकली।
तुरंत उसकी तरग लपक पड़े उसे उठाकर शरीर को मिट्टी से साफ़ किया तथा कपड़े से ढककर मालिश करने लगे. जब उसे होश आया तो गुरु ने कहा मुझे आप पर गर्व हैं मैं आपको वरदान देता हूँ आप समस्त विद्याओं में पारंगत हो सुखपूर्वक जीवन बिताओं और खूब नाम करों, गुरूजी के ये वचन सत्य ही सिद्ध हुए
●●●●●★᭄ॐ नमः श्री हरि नम: ★᭄●●●●●
⚜️ चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का ज्यादा-से-ज्यादा पूजन, अर्चन एवं अभिषेक करना करवाना चाहिये। सामर्थ्य हो तो विशेषकर कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को विद्वान् वैदिक ब्राह्मणों से विधिवत भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना चाहिये। आज चतुर्दशी तिथि में भगवान् शिव का रुद्राभिषेक यदि शहद से किया करवाया जाय तो इससे मारकेश कि दशा भी शुभ फलदायिनी बन जाती है। जातक के जीवन कि सभी बाधायें निवृत्त हो जाती है और जीवन में सभी सुखों कि प्राप्ति सजह ही हो जाती है।
जिस व्यक्ति का जन्म चतुर्दशी तिथि को होता है वह व्यक्ति नेक हृदय का एवं धार्मिक विचारों वाला होता है। इस तिथि को जन्मा जातक श्रेष्ठ आचरण करने वाला होता है अर्थात धर्म के मार्ग पर चलने वाला होता है। इनकी संगति भी उच्च विचारधारा रखने वाले लोगों से होती है। ये बड़ों की बातों का पालन करते हैं तथा आर्थिक रूप से सम्पन्न होते हैं। देश तथा समाज में इन्हें उच्च श्रेणी की मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

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