मध्य प्रदेशव्यापार

पेड़ों से गिर रहें हैं महुआ के फूल, एकत्रित करने में जुटे आदिवासी

सिलवानी । महुआ का नाम सुनते ही मदहोशी छाने लगती है, क्योंकि महुआ के फूलों से देशी शराब बनाई जाती है। आदिवासी समाज के लोग परिवार के सदस्य की तरह महुआ के पेड़ की देखभाल करते हैं । क्योंकि महुआ ऐसा पेड़ है इसके फूल और फल दोनों ही बेचे जाते हैं। महुआ आदिवासियों के परंपरागत आय का स्रोत है। सिलवानी की जंगलों में सैकड़ो की संख्या में महुआ के पेड़ हैं। महुआ के पेड़ पर आने वाले फूलों से देशी शराब बनती है और इस पर लगने वाला फल जिसे टोली कहा जाता है और टोली से तेल को खाने के उपयोग में लिया जाता है। इसके अलावा औषधि रूप में भी महुआ के फूल और फलों के साथ-साथ इसकी जड़ और छाल भी औषधि के रूप में उपयोग की जाती है। इस प्रकार महुआ के फूल और फल दोनों ही आमदनी दे कर जाते हैं।
*परिवार सहित संग्रहण में जुटे लोग*
इन दिनों क्षेत्र में महुआ की बहार आई हुई है। महुआ के फूल पककर तैयार हो चुके हैं और यह फूल पेड़ों से गिरने लगे हैं जिन्हें संग्रहित करने के लिए परिवार सहित आदिवासी समुदाय के लोग अलसुबह से जंगल में पहुंच जाते हैं और महुआ एकत्रित कर घर लाकर उसे सुखाते हैं और फिर तैयार होने पर बाजार में बेचने के लिए लाते हैं। फूलों के पश्चात महुआ के पेड़ों पर फल यानी टोली लगने लगेगी और फिर उसका संग्रहण में यह लोग जुट जाएंगे।
वहीं कुछ आदिवासियों का कहना है कि बे मौसम से बारिश अंधी से उनका कुछ नुकसान तो हुआ है। लेकिन अब जो भी है उसमें भगवान की मर्जी है हम कुछ नहीं कर सकते जो बचा हुआ है उसी को हम लोग एकत्रित कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button