पर्यावरणमध्य प्रदेश

नौरादेही अभ्यारण्य में आएगा एक और बाघ बाघिन का जोड़ा चीता लाने भी कवायद जारी

अभ्यारण्य में अभी भी उम्मीद आ सकते हैं चीते कूनो में अब नए साल में ही चीते आने की तैयारियों में देरी देख वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने लिया फैसला
रिपोर्टर : विशाल रजक तेंदूखेड़ा, दमोह
दमोह।  सागर दमोह व नरसिंहपुर सहित कुछ हिस्सा जबलपुर जिले से भी लगता है जो कि प्रदेश में सबसे बड़ा अभ्यारण्य है जहां लंबे समय से नौरादेही अभ्यारण्य में चीतों को लाने की कवायद होने के बाद भी कभी हा और कभी न की स्थिति बनी हुई है बीच में दूसरे अभ्यारण्य का चयन होने के बाद नौरादेही की उम्मीद खत्म मानी जा रही थी लेकिन पर्यावरण मंत्रालय को नौरादेही अभ्यारण्य चीतों के बसाहट के लिए उचित लगा है ऐसे में यहां अभी भी प्रक्रिया जारी है और नए वर्ष तक यहां चीतों की बसाहट की तैयारी की जा रही है दूसरी बार यहां चीतों की बसाहट का सर्वे करने के लिए देहरादून से टीम भी आ चुकी है लेकिन कुछ सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद यह टीम वापसी चली गई थी अभी फिर से सर्वे रिपोर्ट के लिए टीम आने की उम्मीद है नौरादेही अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है यहां चीतों को बसाने के लिए सबसे पहले नौरादेही का ही चयन होना था जिसके लिए एक बार देहरादून से टीम सर्वे करके चली गई थी जिसके बाद कूनो पालपुर पार्क में चीता लाने की बात सामने आई थी लेकिन टीम को लगा कि नौरादेही में भी चीता रह सकता है और यहां की परिस्थितियों का जायजा लेने के लिए दूसरी बार टीम के सदस्य देहरादून से नौरादेही पहुंचे थे जहां उन्हें करीब डेड़ महीने यहां रहना था चीता प्रोजेक्ट के लिए नौरादेही अभ्यारण्य के अंतर्गत आने वाली रेंजों की बीटों में जाकर पूरी जानकारी एकत्रित करनी थीए लेकिन टीम के कुछ सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए और सर्व बीच में ही छोड़कर टीम वापस चली गई
भारत में नए साल में आएंगे चीते
जहां नौरादेही अभ्यारण्य अभी चीतों को बसाने की उम्मीद बरकरार है तो वहीं श्योपुर जिले के कूनो पालपुर में चीतों को अक्टूबर व नवंबर माह में ही लाया जाना था जिसकी तैयारी पूर्ण रूप से हो चुकी थी लेकिन अब इन चीतों को फरवरी व मार्च तक ही लाया जाएगा दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की योजना पांच छह महीने के लिए टल गई है अब अगले साल 2022में इन्हें लाया जाएगा पहले नंवबर माह में ही दक्षिण अफ्रीका से पहली खेप में 10-12चीते लाए जाने थे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने चीतों को लाने की योजना को टालने के पीछे मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य और आसपास के क्षेत्रों में तैयारियां पूरी नहीं होना है योजना के तहत पहली खेप में 30 से 35 चीते को लाया जाना है इसके तहत नंवबर तक चीतों की पहली खेप लाने की योजना थी
नौरादेही में बढ़ेंगे बाघों का कुनबा
नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ बाघिन का एक और जोड़ा लाने की तैयारी चल रही है वाइल्ड लाइफ से जुडें विशेषज्ञों ने बायो डायवर्सिटी जैव विविधता के लिए यहां बाघ बाघिन को लाने की आवश्यकता जताई है इसके अलावा भेड़ियों के प्राकृतिक वास के लिए प्रसिद्ध नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है जानवरों की बसाहट बनते ही नौरादेही अभ्यारण्य में सबसे पहले चीतों के लिए सबसे बहेतर माना गया था और चीतों को बसाने के लिए भी बेहतर अनुभव जताया गया था लेकिन चीतों प्रोजेक्ट में अभ्यारण्य का विस्थापन रोड़ा बना हुआ था देहरादून से आई वाइल्ड लाइफ की टीम ने यहां पर सर्व करने के बाद अभ्यारण्य में कमियां बताई थी विस्थापन की कमजोर रफ्तार के कारण चीतों को लाने की उम्मीद पर पानी फिरता हुआ दिखाई दे रहा है विस्थापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने और सैकड़ों लोगो को अभ्यारण्य की सीमा से बाहर विस्थापित करने के बाद भी यह समस्या अब भी खड़ी हुई है जिसके कारण चीता प्रोजेक्ट पर सिर्फ उम्मीद जताई जा रही है कि अभ्यारण्य में भी कुछ उम्मीद है कि चीतों को लाया जाएगा
*बाढ़ व अफ्रीका में हुई हिंसा के चलते टला प्रस्ताव*
कूनों पालपुर नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीते अब जनवरी से आखिर तक ही आ पाएंगे पहले इन्हें नंवबर में ही इयर लिप्ट करने की तैयारी थी लेकिन प्रोजेक्ट में देरी के पीछे ग्वालियर-चंबल संभाग में पिछले दिनों आई बाढ़ और दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय और स्थानीय लोगों के बीच हाल ही में हुई हिंसा एक बड़ी वजह है पार्क के फील्ड डायरेक्टर सहित 6 अफसरों की टीम को यहां से दक्षिण अफ्रीका प्रक्षिक्षण के लिए इसी महीने जाना था लेकिन इसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया है इधर बाढ़ के चलते चीतों के लिए जो बाड़ा बनाया जा रहा था उसका काम भी दो महीने तक रुका रहा दरअसल पार्ड तक जाने के लिए दो नदियों को पार करना होता है लेकिन बाढ़ में दोनों नदियों के पुल टूट गए थे इससे आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया था बता दें कि अभी सिर्फ 5 किलोमीटर की ही फैंसिंग हो पाई है जबकि करीब 14 किमी में फेंसिंग होना है हालांकि पुलों की मरम्मत कर फिर से आवागमन शुरू कर दिया गया है जिससे पार्क तक लोहा सरिया सहित अन्य मटेरियल जाने लगा है
            इस संबंध में नौरादेही अभ्यारण्य के डीएफओ शुभांशु यादव का कहना है कि अभी तो ऐसा नहीं है इसका एसेसमेंट जरूर किया गया है लेकिन फाइनल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है हा उम्मीद तो है।

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