शनिश्चरी अमावस्या पर शनि देव भगवान की शरण में पहुंचे श्रद्धालु, काली तिल सरसों का तेल प्रसाद चढ़ाकर की पूजन आरती और हवन
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। शनिवार को अगहन की शनिश्चरी अमावस्या के संयोग पर श्रद्धालु सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव की शरण में पहुंचकर काली तिल ,सरसों तेल नारियल प्रसाद आदि चढ़ाकर दर्शन पूजन आरती कर घर परिवार में सुख समृद्धि खुशहाली की कामना श्रद्धालुओं ने भगवान शनि महाराज से की।रायसेन शहर के नवग्रह शनिदेव मन्दिर धाम श्रीराम लीला ग्राउंड और दशहरे मैदान स्थित शनिदेव मन्दिर श्रद्धालुओं की भीड़ पूजन आराधना के लिए पहुंचने लगी थी।
हवन कर कराया शांति जाप…
शनिश्चरी अमावस्या के उपलक्ष्य में सुबह शाम के वक्त नवग्रह शनिदेव मन्दिर परिसर में मंदिर के पुजारी पण्डित राजू जोशी सुनील जोशी द्वारा श्रद्धालुओं को साढ़े साती शनि और अढैया शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए हवन जाप शांति के लिए कराया गया।
सूर्य ग्रहण भी पड़ा….
इस साल की अंतिम शनिश्चरी अमावस्या और आखिरी सूर्य ग्रहण के साथ 4 दिसंबर शनिवार को पड़ा। दरअसल इस बार की शनिश्चरी अमावस्या खास हुई । क्योंकि इस दिन चतुर्थग्रही योग वृश्चिक राशि में योग बना।चन्द्रमा, सूर्य और बुध और केतु एक साथ वृश्चिक राशि में रहेंगे।इसके कारण रोजगार के अवसर भी न बनेंगे।शासन-प्रशासन में सख्ती देखने को मिलेगी।हाल ही में सबसे लंबी अवधि वाला चन्द्र ग्रहन लगा था।इस खगोलीय घटना के 15 दिन बाद अब शनिवार 4 दिसंबर शनिवार को यह 2021 का सबसे बड़ा दूसरा सूर्यग्रहण पड़ा।इसमें खास बात तो यह है कि
इसका प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र तथा ज्येष्ठा नक्षत्र में सबसे अधिक रहा।अमावस्या तिथि का प्रारंभ 3 दिसंबर शुक्रवार को शाम 4.45 बजे से हुआ जो शनिवार 4 दिसंबर को दोपहर 1.12 बजे तक रहा।