₹ 107. 92 रुपए हुए डीजल के दाम, किसान परेशान
सिलवानी। डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी ने मंहगाई की मार और बाजार में अनाज जिंसों के दामों में उतार की समस्या का सामना कर रहे क्षेत्र के किसानों को एक बार कराहने पर मजबूर कर दिया है। रोज बढ़ रहे डीजल और पेट्रोल के दामों में वृद्वि का कृषि प्रधान माने जाने वाले सिलवानी और आस पास के क्षेत्रों में काफी असर पड़ा है। शुक्रवार को यहां डीजल के दाम जहां 107. 92 रूपया प्रतिलीटर तक पहुंच गए। वहीं पेट्रोल के दाम 118.82 रूपये प्रतिलीटर तक रहे। यहां पर विभिन्न क्षेत्रों में किसानों की माने तो खेती किसानी के काम काज में डीजल की ज्यादा खपत होती है और किसानों का आमदनी का एक निश्चित हिस्सा डीजल में ही खप जाता है। किसानों का कहना है कि डीजल के दामों मंे होे रही बढ़ोत्तरी के कारण उनकी खेती की लागत बढ़ रही है इसके साथ ही उत्पादन पर डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है किसानों के मुताबिक फसल़ निर्माण के काम डीजल के स्थान पर बिजली अधिक सस्ती पड़ती है लेकिन हर जगह 24 घंटे की आपूर्ति न होने के कारण लोगों को ईधन के रूप में डीजल का उपयोग करना पड़ता है।
इनका कहना है…
बोवनी का काम तो चल ही रहा है साथ में फसल ढुलाई भी चल रही है। इन सभी में डीजल के दाम बढने के साथ ही वृद्वि हो जाती है इसके अलावा अभी अनाज के जिंसों के दामों में उतार की स्थिति बनी हुई है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में किसान आमदनी पर डीजल आदि की मूल्य वृद्वि का विपरीत असर पड़ता है।
गंभीर रघुवंषी, रोसरा रानी।
डीजल के रेट बढने से छोटे किसानों के लिए मुश्किल हो जाती है क्योंकि उनके पास निजी संसाधन न होने के कारण वे किराये के भरोसे रहते है और डीजल के रेट बढने के साथ ही ट्रेक्टर का किराया और भाड़ा आदि सब कुछ में वृद्वि हो जाती है। लिहाजा उनका बजट गड़बड़ा जाता है। आज कल तो रोज ही डीजल के दामों में फेर बदल होता रहता है। इससे भी अस्थिरता बनी रहती है।
केदार सिंह रघुवंशी, किसान सांईखेड़ा।
आज कल खेती किसानी में मशीनों का उपयोग बढ़ गया है जिनके संचालन के लिए डीजल अनिवार्य है। ऐसे में सरकार डीजल के दामों पर लगाम लगाने के बजाए बढ़ाती जा रही है। गांवों में पंप न होने के कारण लोगों को डीजल लेने के लिए भी सिलवानी जाना पड़ता है। ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने से दिनों दिन खेती की लागतों में भी बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
सोनू प्रजापति, किसान