क्राइम

मप्र में जनहित बैंक के नाम पर फर्जीवाड़ा: कई जगह खोल रखी थीं ब्रांचेस, मामूली ब्याज और रकम दोगुना लालच देकर लोगों से ठगे लाखों रुपए

शाखा प्रबंधक-कैशियर भी निकले फर्जी,पुलिस के हत्थे चढ़े तो खुली फर्जीवाड़े की पोल
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन ।
रायसेन जिले के सुल्तानगंज में बैंक खोल कर जनहित बैंक के नाम से फर्जीवाड़ा चल रहा था। बैंक में मैनेजर से लेकर तमाम कर्मचारी भी फर्जी थे। यही नहीं इन जालसाजों ने राहतगढ़, छतरपुर और महाराजपुर में फर्जी बैंक की शाखाएं भी खोल रखी थीं। ग्रामीण इलाके में दो और ब्रांच खोली जाने की तैयारी थी। ठगों ने बैंक में मामूली ब्याज पर कर्ज और रकम दोगुना करने का लालच देकर खाते खुलवाए। सैकड़ों लोगों से खाते खोलने के नाम पर लाखों रुपए ठग लिए।इसके बाद चंपत हो गए।पुलिस ने बाद में हिरासत में लेकर इनके काले कारनामों का भांडा फोड़ दिया।
तत्कालीन एसडीएम डीके सिंह ने मौके पर जाकर जांच कर जनहित बैंक का रिकॉर्ड जब्त किया था। एसडीएम के प्रतिवेदन पर तत्कालीन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव द्वारा सुल्तानगंज थाना में ठग गिरोह के सरगना रामप्रसाद पुत्र रामचरण पटेल निवासी कान्हा रेसिडेंसी भोपाल चौराहा राहतगढ़ हाल निवास 257 हरीगंगा नगर होशंगाबाद रोड भोपाल पर एफआरआई दर्ज करने के आदेश किया था।
पुलिस ने जेल से रिमांड पर लिया सरगना
नवागत रायसेन जिले के एसपी विकास कुमार शाहवाल ने पदभार संभालते ही लंबित अपराध को निपटाने मुहिम चलाई। इसमें एसडीओपी पीएन गोयल के नेतृत्व में थाना प्रभारी बीबी तिवारी ने सागर जेल में अन्य धोखाधड़ी के मामलों में बंद फर्जी बैंक के सरगना रामप्रसाद पटेल को रिमांड पर लेकर पूछताछ की। इसमें आरोपी ने बड़े खुलासे किए हैं। उसने बताया मैंने कई डॉक्टरों की फर्जी नियुक्तियां भी की हैं। वहीं उसके घर से फर्जी बैंक के दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
थाना प्रभारी बीबी तिवारी ने कहा कि कई लोगों से सुनवाहा के जनहित बैंक में रकम जमा करने के नाम पर ठगी की गई है। जनहित बैंक के सरगना रामप्रसाद पटेल ने जिला संचालक से लेकर शाखा प्रबंधक और कैशियर तक की बाकायदा फर्जी नियुक्तियां भी की थीं।
फर्जी बैंक के सदस्य लोगों को 500, 1000 और 10 हजार रुपए प्रतिमाह का खाता खोलने का झांसा देते थे और इस पर अन्य बैंक से अधिक ब्याज देने का वादा करते थे। 1, 2 और 3 साल तक लगातार रकम जमा करने पर दोगुना करने का लालच भी देते थे। इसके अलावा सस्ते ब्याज पर लोन, पर्सनल लोन, गोल्ड लोन, कृषि लोन, पशुधन लोन देने का आश्वासन देते थे। एफडी और आरडी के नाम पर भी रकम जमा कराते थे।

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