मध्य प्रदेश

नहीं लगे रैन वाटर सिस्टम, कैसे सहेजा जाए बारिश का पानी…?

जिन्हें मकान के लिए लोन चाहिए, वे ही करते हैं आवेदन, नगर परिषद प्रशासन नहीं दिखा रहा सिस्टम के लिए सख्ती

रिपोर्टर : शुभम साहू, सिलवानी।

सिलवानी। नगर में बनने वाले नए मकानों के लिए वैसे तो नगर परिषद की अनुमति जरूरी है, लेकिन जब से नए मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाना शासन द्वारा अनिवार्य किया गया है। तब से मकान मालिक मकान बनाने के लिए अनुमति लेना जरूरी नहीं समझ रहे हैं। ऐसे में बारिश के पानी को कैसे सहेजा जा सकता है? रोचक बात यह है कि वही व्यक्ति मकान बनाने की अनुमति लेता है, जिसे बैंक इत्यादि से लोन लेना होता है। शेष 98 प्रतिशत लोग बिना अनुमति के ही धड़ल्ले से मकान बना रहे हैं, लेकिन नगर परिषद प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। उल्लेखनीय है कि शासन ने नए मकानों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया है। ताकि बारिश के पानी को सहेजने में मदद मिले। नियमों के तहत मकान बनाने की अनुमति नगर परिषद तभी देती है, जब संबंधित ने अपने मकान में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का शपथ पत्र दिया हो। इसके लिए संबंधित को मकान बनाने से पहले 10 हजार की राशि भी बतौर सुरक्षा जमा करनी होती है, किन्तु अधिकांश लोग न केवल बिना अनुमति ही मकान बना रहे हैं, बल्कि मकान में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं लगा रहे हैं। हालांकि यदा-कदा लोग नगर परिषद से मकान बनाने की अनुमति भी लेते हैं, लेकिन अनुमति वहीं लोग ले रहे हैं, जिन्हें बैंक इत्यादी से लोन की आवश्यकता है। क्योंकि बैंक तभी लोन देती हैं, जब मकान बनाने की बाकायदा नगर परिषद से अनुमति ली गई हो। बारिश के पानी को सहेजने के लिए लागू किए गए इस नियम का पालन कराने में नगर परिषद प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। नगर में एकाध मकान को छोड़ दिया जाए तो किसी ने भी अपने मकान में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया है, जिससे वर्षा का पानी सहेजने के बजाय फिजूल का यूं ही लाखों गैलन पानी नालियों में बह रहा है।
यदा-कदा ले रहे अनुमति
सबसे बड़ी बात तो यह है कि नगर में मकान बनाने वालों में से चंद लोग ही नगर परिषद से मकान निर्माण की अनुमति ले रहे हैं। अनुमति लेने वालों में उनकी संख्या अधिक है, जिन्हें मकान के लिए बैंक इत्यादि से लोन चाहिए। शेष बिना अनुमति के ही दो, तीन और चार मंजिला मकान बनाने में लगे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि नगर परिषद प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं हो, लेकिन प्रशासन के नुमाइंदे यह सब जानते हुए भी खामोश बने हुए हैं।
भू-जल स्तर को बनाए रखने में सहायक
बारिश का पानी यूं ही नालियों में न बहे। इसके लिए राज्य शासन ने प्रत्येक मकान मालिक को रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया है। इस सिस्टम से मकान की छतों का पानी जमीन के अंदर ही समा जाता है। यह सिस्टम नगर के भू-जल स्तर को बनाए रखने में खासा सहायक है। इसके बाद भी शासन-प्रशासन इस दिशा में गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
यह थे शासन के निर्देश
वर्ष 2009 में शासन ने सिलवानी सहित प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में नए भवन निर्माण के साथ ही रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया हुआ है। भवन निर्माण की अनुज्ञा जारी करते समय नगरीय निकाय को संबंधित मकान मालिक से दस हजार की अमानत राशि जमा कराने का भी प्रावधान है। किन्तु नगत परिषद इस नियम का पालन कराने में असफल बनी हुई है।
जागरूकता की है कमी
नगरी क्षेत्र में मकान निर्माण के दौरान हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के प्रति लोगों में जागरूकता की भी कमी बनी हुई है। नगर परिषद की ओर से भले ही नए मकान निर्माण की अनुमति से पहले इसकी जानकारी दी जाती हो, लेकिन लोग इस सिस्टम को अपनाने में कतई रूचि नहीं ले रहे हैं। नगर में अभी हाल ही में दर्जनों मकानों का निर्माण हुआ है, किन्तु किसी ने इस सिस्टम को नहीं लगाया।
सरकारी कार्यालयों तक में नहीं सिस्टम
रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम निजी मकानों में तो दूर की बात है किसी भी सरकारी बिल्डिंग तक में नहीं है। कुछ सरकारी भवनों में लगे भी है देखरेख रखरखाब के अभाव में क्षतिग्रस्त हो गए है। अब सिर्फ दिखाबे के लिये नजर आते है। आम नागरिकों का कहना है कि सरकार को पहले शासकीय भवनों में इस सिस्टम को लगवाना चाहिए। तब निजी मकानों मेें लगवाने के लिए वाध्य किया जाना चाहिए। सिलवानी में अधिकांश विभागों के भवन नए बने हुए हैं, लेकिन किसी में भी यह सिस्टम नजर नहीं आता है।
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बन आवासों में यह अनिवार्य रूप से लागू किया जाए और इसके निर्माण के लिये पृथक से राशि का प्रावधान किया जाए। इन दिनों बड़ी संख्या में इस योजना से आवासों का निर्माण हो रहा है।
क्या है स्थिति…
सरकारी भवनों में भी नहीं लगे रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
वर्षा का जल बचाने लोगों में जागरूकता की है खासी कमी।
नगर में एक प्रतिशत से भी कम मकानों में ही लगे हैं रैन वाटर सिस्टम।
सिस्टम से जमीन में पहुंचाया जा सकता लाखों गैलन पानी।
240 वर्गफीट के मकान में जरूरी है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
इस संबंध में राजेन्द्र शर्मा मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद, सिलवानी का कहना है कि भवन निर्माण की अनुज्ञप्ति में रैन वॉटर सिस्टम लगाने के शपथपत्र लेने के बाद ही जाती थी और अनुमति के साथ 5000 रुपये की सुरक्षा निधि जमा कराई जाती थी परन्तु अब भवन निर्माण की ऑनलाइन प्रक्रिया होजाने से बहुत कम लोग भवन निर्माण की अनुमति लेते है। रैन वॉटर सिस्टम बड़े साइज के मकानों के लिए ही अनिवार्य है जहाँ ज्यादा पानी गिरता है। रैन वॉटर सिस्टम लगाने के जन जागरूकता अभियान चलाया जावेगा और मुनादी भी कराई जावेगी।

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