बढ़ते डीजल के दाम बढे़गी खेती की लागत किसानों का खेती करना हो रहा मुश्किल
सिलवानी। डीजल के दाम में बढोत्तरी का असर खेती किसानी पर नजर आने लगा है। तहसील में डीजल के दाम प्रति लीटर 106 रुपए 5 पैसे हो गए हैं। डीजल के दाम बढ़ने से जुताई के लिए ट्रैक्टर संचालक 900 रुपए प्रति घंटे की दर से चार्ज वसूल रहे हैं जबकि पहले 600 से 700 रुपए ही लगते थे। जुताई के दाम बढ़ने से छोटे किसानों की लागत बढ़ गई है। खाद-बीज की महंगाई से पहले परेशान किसानों ने ऐसे में इस समस्या का समाधान निकालने के लिए छोटे किसानों ने बैल व हल से खेत जोतना शुरू कर दिया है। छोटे खेत वाले किसानों के पास ये संसाधन न होने से उन्हें किराए पर ये सामग्रियां लेना पड़ती है। जुताई के लिए वर्तमान में प्रति घंटे 900 रुपए का भुगतान किसानों को करना पड़ रहा है। जिससे डेढ से दो एकड़ खेत की जुताई एक घंटे में होती है। वहीं डीजल के दाम बढ़ने से थ्रेसर बैगरह का किराया भी महंगा होने की संभावना से किसान चिंतित हैं। खेती के लिए ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, हेरो, थ्रेसर और दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। खेतों की जुताई के अलावा सिंचाई के लिए भी डीजल की जरुरत होती है। प्रतापगढ, नारायणपुर, सेमराखास क्षेत्र के छोटे किसानों ने परंपरागत साधन बैल-हल का इस्तेमाल कर जुताई का खर्च तो कम लिया है, लेकिन सिंचाई के लिए महंगा डीजल खरीदने को लेकर किसान अभी भी चिंतित हैं। मौसम की मार से प्रभावित खेती को आगे जारी रखने के लिए किसानों को आधुनिऽ यंत्रों के साथ अब परंपरागत संसाधन भी अपनाना पड़ रहे हैं।
किसानों का कहना है कि डीजल- पेट्रोल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण दो सालों में किसानों की लागत में 50 प्रतिशत बढ़ गई है। डीजल के बढ़ रहे दाम के कारण तहसील के किसानों को खेती करना मुश्किल हो रहा है। डीजल के दामों में लगातार वृद्धि के कारण फसल की बोवनी, सिंचाई, दवा छिड़काव, कटाई से लेकर फसल को मंडी बेचने ले जाने तक में लागत बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि मंडी में उपज के इतने अच्छे दाम नहीं मिल पाते। वहीं समर्थन मूल्य केंद्रों पर भी अच्छी खासी फसल को कई बार रिजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसे में किसानों को मजबूरन कम कीमत पर उपज बेचना पड़ती है। वहीं खाद-बीज के दामों में भी 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी हो जाने से खेती का खर्चा बढ़ता जा रहा है। सोमवार को तहसील में पेट्रोल 117.17 रुपए व डीजल के दाम 106.5 रुपए रहा। डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष डीजल की बढ़ती कीमत से किसानों पर गेहंू की बोवनी पर प्रति हेक्टेयर ढाई से तीन हजार रुपए का अतिरिक्त बोझ पडने वाला है। जानकारों का कहना है कि गेहूं की बुवाई में जब लागत बढ़ रही है तो फसल को तैयार करने तक किसानों की हालत खराब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में किसानों पर खर्चे का बोझ बढ़ेगा और इन सबका भार गेहूं की कीमत को प्रभावित करेगा। कोई भी किसान लागत से कम कीमत में अपनी फसल नहीं बेंचेगा।