मध्य प्रदेश

गोद लिये भांजे को भूले शिवराज मामा, पांच साल में नहीं मिली कोई सहायता


गोद लिया बालक आज भी पशु चराकर कर रहा पढ़़ाई और गुजारा
प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लिया था गोद
मृगांचल एक्सप्रेस की जीरो ग्राउंड रिपोर्ट
सिलवानी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस बालक को सार्वजनिक रूप से गोद लेकर उसकी पढ़ाई, लिखाई और पालन पोषण की जिम्मेदारी ली थी वही भांजे को आज तक प्रदेश सरकार से कोई सहायता नहीं मिली और वह अब भी पशुओं को चराकर अपना लालन- पालन और पढ़ाई कर रहा है। बालक के माता पिता बाल्यकाल में ही स्वर्गवास हो गया था। मुख्यमंत्री मामा शिवराजसिंह का भांजा आज भी दर दर की ठोकर खाने मजबूर है।
उल्लेखनीय है कि 15 जून 2016 को सिलवानी नगर में प्रदेश स्तरीय “स्कूल चले हम अभियान” के शुभारंभ कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सम्मिलित होकर शासकीय कन्या उमावि में वे एक शिक्षक की भूमिका में नजर आए थे। इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल पहुँच कर बच्चों को प्रेरणादायी कहानिया सुनाई तथा अपने लक्ष्य पर एकाग्र होकर ध्यान केन्द्रित करने की बात कही थी। उन्होंने बच्चों से खूब मेहनत करने और आगे बढ़ने की बात कही थी। मुख्यमंत्री चौहान द्वारा कौरव और पाण्डवों के गुरू द्रोणाचार्य द्वारा लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने की कहानी सुनाई गई। कहानी सुनाने के बाद उन्होंने इस कहानी का सारांश बताते हुए बच्चों से पूरी लगन से पढ़ाई पर ध्यान केन्द्रित करने की बात कही थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्लैक बोर्ड पर कुछ अंक लिखकर बच्चों से उनके बारे में पूछा और गणित का सवाल भी पूछा। उन्होंने बच्चों को गले लगाया और चाॅकलेट भी दीं थी। ग्राम जुनिया के सुमित ठाकुर द्वारा मुख्यमंत्री के सवालों के जबाब तत्परता से दिये जाने एवं उसके द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज मामा के नाम अपनी दुःख भरी आप बीती चिठ्ठी सौंपी थी जिस पर मुख्यमंत्री ने चिठ्ठी को पढ़कर सुमित से चर्चा की। और मुख्यमंत्री ने तत्काल कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव (तत्कालीन कलेक्टर) को निर्देशित कर उसकी पढ़ाई की सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन स्तर पर करने को कहा था।
दो दिन बाद 17 जून 2016 को ल्यूपिन फाउण्डेशन द्वारा उसे गोद लेते हुये उसकी पढ़ाई कर खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली। और कहा था कि सुमित की आगे पढ़ाई का खर्च ल्यूपिन फाउण्डेशन वहन करेगा। लोक निर्माण विभाग के विश्रामगृह में आयोजित कार्यक्रम में एसडीएम अनिल जैन की उपस्थिति में ल्यूपिन फाउण्डेशन भोपाल के मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक देवेन्द्रसिंह भदौरिया, प्रोजेक्ट ऑफिसर सिलवानी भैयाजी पटेल ने सुमित को टेबिल, कुर्सी, काॅपी किताब, जूते, ड्रेस आदि सामग्री प्रदान की थी।
सुमित ठाकुर ने मुख्यमंत्री को एक चिठ्ठी सौपी थी
ज्ञातव्य है उस समय कक्षा तीसरी से उत्तीर्ण होकर चौथी कक्षा में पढ़ने वाले सुमित ठाकुर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक चिठ्ठी देते हुए अवगत कराया कि उसके माता-पिता का देहांत हो गया है और वह आगे पढ़ना चाहता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उसे गले लगाते हुए कहा था कि अब उसकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी सरकार की है मामा मुख्यमंत्री है और वह बिना किसी कठिनाई के आगे पढ़ेगा।
पांच साल में नहीं मिली कोई सहायता
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांच साल पूर्व जिस बालक को गोद लिया था तब वह कक्षा चौथी में अध्ययनरत था और तब से प्रदेश सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद ल्युपिन कंपनी ने भी एक बार ही टेबिल, कुर्सी, काॅपी किताब, जूते, ड्रेस ही और वह भी उसकी सुध लेना भूल गये। सुमित आज कक्षा 9 बी में शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में अध्ययनरत है और स्कूल की पढाई के बाद अपनी पढ़़ाई के खर्च एवं लालन पालन के लिए मवेशियों को चराने जंगल जाता है। उसके माता पिता नहीं होने पर दादा बाबूलाल आदिवासी, दादी भुज्जोबाई के पास झोपड़ी में रहता है। उस झोपडी में कबेलू है ना चादर उस पर पन्नी तनी हुई है।
सुमित ने बताया मामा शिवराज हमें भूल गये और 2000 रूपये प्रतिमाह देने का कहा था जो आज तक नहीं मिले। उसने बताया कि ग्राम पंचायत जुनिया के सरपंच सफीक उद्दीन तब से हर साल 26 जनवरी को काॅपी किताब, जूते, ड्रेस देते है। अन्य कोई सहायता नहीं मिलती है।
सुमित की दादी भुज्जोबाई आदिवासी ने बताया कि सुमित सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिल रही है वह पढ़ाई लिखाई में काफी होशियार है उसे सरकार से सहायता मिलती तो वह आज काफी आगे जाता। और परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन करता।
इस संबंध में प्रभारी ब्लाक शिक्षा अधिकारी नरेश रघुवंशी का कहना है कि मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि सुमित को मुख्यमंत्री जी द्वारा गोद लिया गया था। और ल्यूपिन फाउण्डेशन द्वारा 2000 प्रतिमाह सहायता उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। मैं व्यक्तिगत रूप से ल्यूपिन फाउण्डेशन से बात करके हरसंभव शासकीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास करूंगा। उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षा 9 की प्रवेश शुल्क एवं अन्य शुल्क नही लेने के संबंध में उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य से बात करेंगे।

सुमित की चिट्ठी को पढ़ते हुए मुख्यमंत्री
17 जून 2016 को ल्यूपिन फाउण्डेशन द्वारा उसे गोद लेते हुये उ
दादा बाबूलाल आदिवासी, दादी भुज्जोबाई के पास झोपड़ी में रहता है। उस झोपडी में कबेलू है ना चादर उस पर पन्नी तनी हुई है।

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