Today Panchang आज का पंचांग रविवार, 20 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 20 जुलाई 2025
20 जुलाई 2025 दिन रविवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि दशमी तिथि है। आज़ भगवान श्रीसूर्यनारायण पुनर्वासु नक्षत्र को छोड़कर पुष्य नक्षत्र में सायं 05.13 PM बजे पर चले जाएंगे। जिसका विवरण इस प्रकार से है:- चन्द्र – चन्द्र, पु. स्त्री. योग हैं। चटक वहां चंदा नदी जिसका स्वामी शनि है। जिससे तेज हवाओं के साथ सामान्य से लेकर अच्छी वर्षा का भी योग बनेगा। आप सभी सनातनियों को “सूर्य देवता के पुष्य संक्रांति” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌓 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – रविवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष दशमी तिथि 12:13 PM तक उपरांत एकादशी
🖍️ तिथि स्वामी – दशमी के देवता हैं यमराज। इस तिथि में यम की पूजा करने से नरक और मृत्यु का भय नहीं रहता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र कृत्तिका 10:53 PM तक उपरांत रोहिणी
🪐 नक्षत्र स्वामी – कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि हैं। कृतिका नक्षत्र का संबंध भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से भी है।
⚜️ योग – गण्ड योग 09:47 PM तक, उसके बाद वृद्धि योग
⚡ प्रथम करण : विष्टि – 12:12 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : बव – 10:56 पी एम तक बालव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 4:51 बजे से 6:17 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:18:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:42:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:14 ए एम से 04:55 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:34 ए एम से 05:36 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:18 पी एम से 07:38 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:19 पी एम से 08:21 पी एम
💧 अमृत काल : 08:39 पी एम से 10:08 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 21 से 12:48 ए एम, जुलाई 21
🚕 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारम्भ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को सवाकिलो गुड़ भेंट करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/देवदर्शन/मासिक कार्तिगाई/ व्यास जयंती/ राष्ट्रीय चंद्र दिवस, सिकंदर महान (356-323 ईसा पूर्व) जयन्ती, राष्ट्रीय आइसक्रीम दिवस, अर्जेंटीना में मित्र दिवस, अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस, अंतरिक्ष अन्वेषण दिवस, बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जन्म दिवस, पूर्व राज्यपाल एवं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित स्मृति दिवस, प्रसिद्ध पार्श्वगायिका गीता दत्त स्मृति दिवस, प्रसिद्ध सदाबहार अभिनेता राजेन्द्र कुमार जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – दशमी तिथि को कलम्बी एवं परवल का सेवन वर्जित है। दशमी तिथि धर्मिणी और धनदायक तिथि मानी जाती है। यह दशमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह दशमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। दशमी को धन देनेवाली अर्थात धनदायक तिथि माना जाता है। इस दिन आप धन प्राप्ति हेतु उद्योग करते हैं तो सफलता कि उम्मीदें बढ़ जाती हैं। यह दशमी तिथि धर्म प्रदान करने वाली तिथि भी माना जाता है। अर्थात इस दिन धर्म से संबन्धित कोई बड़े अनुष्ठान वगैरह करने-करवाने से सिद्धि अवश्य मिलती है। इस दशमी तिथि में वाहन खरीदना उत्तम माना जाता है। इस दशमी तिथि को सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित कार्यों को आरम्भ करने के लिये भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
वास्तु विज्ञान के अनुसार, पानी की टंकी मकान की छत पर पश्चिम दिशा की ओर लगाना चाहिए। इस दिशा में छत के अन्य भागों से ऊंचा चबूतरा बनाकर पानी की टंकी रखना चाहिए। वास्तु के नियमानुसार यह बहुत ही शुभ होता है।
घर का मुखिया अगर भगवान शिव और चंद्र देव के मंत्रों का हर रोज जप करता है तो उसके यहां सुख और शांति का वास रहता है। वास्तु के नियमानुसार घर के बड़ों को नियमित शिवजी के मंत्रों का जप करना चाहिए, इससे घर में बरकत आती है।
शनिदेव की कृपा पाने और साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान संकट से मुक्ति के लिए घर के पश्चिम दिशा में शनि यंत्र की विधिपूर्वक स्थापना करनी चाहिए। इससे आपके जीवन में आने वाली समस्याओं का अंत होगा। हर दिन सुबह मुख्य द्वार पर एक लोटा जल जरूर डालना चाहिए इससे सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
अच्छी नींद के लिए सोने से पहले क्या करना जरूरी होता है?
मैं कोई चिकित्सक नहीं जो इसकी दवा बता सकूँ. लेकिन कुछ योग और प्राणायाम ऐसे है जो दवा से भी ज्यादा कारगर सिद्ध हुए है.
आप सोने से 15–30 मिनट पहले भ्रामरी प्राणायाम करें. ये मेरा स्वयं को आजमाया हुआ नुस्खा है. इससे काफी हद तक अनिद्रा की समस्या दूर होती है.
यह मानसिक शांति और एकाग्रता बढाता है. यह अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है.
भ्रामरी प्राणायाम करने का तरीका 👉
सबसे पहले एक साफ़ और समतल स्थान पर एक चटाई बिछाएँ और पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में आ जाएँ.
इसके बाद अपने हाथों को ऊपर उठाएं और उन्हें अपने कंधों के समानांतर रखें.
फिर अपनी कोहनियों को मोड़ें और अपने हाथों को अपने कानों के पास ले जाएं.
इसके बाद, अपने अंगूठे से दोनों कानों को ढक लें.
प्रत्येक हाथ की तर्जनी उंगली को माथे पर रखें, जबकि बाकी उंगलियों को आंखों के ऊपर रखें.
मुंह को पूरी तरह बंद रखें और नाक से सांस लेंलें.
नाक से साँस छोड़ते हुए, भिनभिनाती हुई मधुमक्खी जैसी हम्म्म्म ध्वनि निकाले.
इस तकनीक को 5-7 बार दोहराएं.
🧋 आरोग्य संजीवनी 🍶
अश्वगंधा फायदे: तनाव और चिंता कम करता है: अश्वगंधा एक एडाप्टोजेन है, जो कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। शारीरिक शक्ति और स्टैमिना: मांसपेशियों को मजबूत करता है और थकान को कम करता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है: यह यौन स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। नींद की गुणवत्ता में सुधार: अनिद्रा की समस्या में मददगार।
उपयोग: मात्रा: 1-2 ग्राम (आधा चम्मच) चूर्ण को गुनगुने दूध या पानी के साथ रात को सोने से पहले लें। वैकल्पिक: मधु या घी के साथ भी लिया जा सकता है। सावधानी: उच्च रक्तचाप या थायरॉइड रोगियों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
सफेद मूसली फायदे: यौन स्वास्थ्य के लिए उत्तम: पुरुषों और महिलाओं में यौन शक्ति, स्पर्म काउंट, और प्रजनन क्षमता बढ़ाता है। शारीरिक कमजोरी दूर करता है: यह एक प्राकृतिक टॉनिक है जो ऊर्जा और सहनशक्ति प्रदान करता है। पाचन में सुधार: भूख बढ़ाता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर करता है। हृदय स्वास्थ्य: रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक।
उपयोग: मात्रा: 1-2 ग्राम चूर्ण को दूध या पानी के साथ, सुबह या रात को लें। वैकल्पिक: इसे शहद के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है। सावधानी: अधिक मात्रा में सेवन से पेट में भारीपन हो सकता है।
🌷 गुरु भक्ति योग 🌹
हनुमान जी जिनसे सभी बल, बुद्धि, विद्या देने की कामना करते हैं। लेकिन मां को तो हर बात का ध्यान रखना होता है ना इसलिए हनुमान जी की शिक्षा के लिए उनकी माता बड़ी चिंतित थी।
सन्तान के चरित्र-निर्माण में माता की भूमिका आधारशिला स्वरूप होती है इसीलिए महीयसी “माता को प्रथम गुरु” का सम्मान दिया गया है।
अंजनादेवी परम सदाचारिणी, तपस्विनी एवं सद्गुण-सम्पन्न आदर्श माता थीं। वे अपने पुत्र श्रीहनुमानजी को श्लाघनीय तत्परता से आदर्श बालक का स्वरूम प्रदान करने की दिशा में सतत जगत और सचेष्ट रहती थीं।
पूजनोपरान्त और रात्रि में शयन के पूर्व वे अपने प्राणाधिक प्रिय पुत्र को पुराणों की प्रेरणाप्रद कथाएं सुनाया करतीं थीं। वे आदर्श पुरुषों के चरित्र श्रीहनुमानजी को पुनः-पुनः सुनातीं और अपने पुत्र का ध्यान उनकी ओर आकृष्ट करती रहतीं।
माता अंजनादेवी जब भगवान् श्रीरामजी के अवतार की कथा सुनाना प्रारम्भ करतीं, तब बालक श्रीहनुमानजी का सम्पूर्ण ध्यान उक्त कथा में ही केन्द्रित हो जाता। निद्रा एवं क्षुधा उनके लिए कोई अर्थ नहीं रखतीं। सहजानुराग से श्रीहनुमानजी पुनः-पुनः श्रीराम-कथा का श्रवण करते और खो जाते।
माता को चिंता सताने लगी। श्री हनुमानजी की आयु भी विद्याध्ययन के योग्य हो गई थी। माता अंजनीदेवी एवं वानरराज केसरी ने विचार किया- ‘अब हनुमान को विद्यार्जन के निमित्त किसी योग्य गुरु के हाथ सौंपना ही होगा। अतएव माता अंजना और कपीश्वर केसरी ने श्रीहनुमानजी को ज्ञानोपलब्धि के लिए गुरु-गृह भेजने का निर्णय किया।
अपार उल्लास के साथ माता-पिता ने अपने प्रिय श्रीहनुमानजी का उपनयन-संस्कार कराया और उन्हें विद्यार्जन के लिए गुरु-चरणों की शरण में जाने का स्नेहिल आदेश किया, पर समस्या यह थी कि श्रीहनुमानजी किस सर्वगुण-सम्पन्न आदर्श गुरु का शिष्यत्व अंगीकृत करें।
माता अंजना ने प्रेमल स्वर में कहा- ‘‘पुत्र ! सभी देवताओं में आदि देव भगवान् भास्कर को ही कहा जाता है और फिर, सकलशास्त्र मर्मज्ञ भगवान् सूर्यदेव तुम्हें समय पर विद्याध्ययन कराने का कृपापूर्ण आश्वासन भी तो दे चुके हैं। अतएव, तुम उन्हीं के शरणागत होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शिक्षार्जन करो।’’
श्रीहनुमान जी माता-पिता के श्रीचरणों में अपने सादर प्रणाम निवेदित कर आकाश में उछले तो सामने “सूर्यदेव के सारथि अरुण” मिले। श्रीहनुमानजी ने पिता का नाम लेकर अपना परिचय दिया और अरुण ने उन्हें अंशुमाली के पास जाने को कहा। आंजनेय ने अतीव श्रद्धापूर्वक भगवान् सूर्यदेव के चरणों का स्पर्श करते हुए उन्हें अपना हार्दिक नमन निवेदित किया।
विनीत श्रीहनुमानजी को बंद्धाजलि खड़े देख भगवान् भुवन भास्कर ने स्नेहिल शब्दों में पूछा- ‘बेटा ! आगमन का प्रयोजन कहो।’ श्रीहनुमानजी ने विनम्र स्वर में निवेदन किया- ‘प्रभो ! मेरा यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाने पर माता ने मुझे आपके चरणों में विद्यार्जन के लिए भेजा है। आप कृपापूर्वक मुझे ज्ञानदान कीजिए।’
सूर्यदेव बोले- ‘‘बेटा ! मुझे तुम्हें अपना शिष्य बनाने में अमित प्रसन्नता होगी, पर तुम तो मेरी स्थिति देखते ही हो। मैं तो अहर्निश अपने रथ पर सवार दौड़ता रहता हूं। सूर्यदेव की बात सुनकर पवनपुत्र बोले-‘प्रभो ! वेगपूर्वक चलता आपका रथ कहीं से भी मेरे अध्ययन को बाधित नहीं कर सकेगा। हां आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। मैं आपके सम्मुख रथ के वेग के साथ ही आगे बढ़ता रहूंगा।’
श्रीहनुमानजी सूर्यदेव की ओर मुख करके उनके आगे-आगे स्वभाविक रूप में चल रहे थे।
सूर्यदेव को ये देख हैरानी नहीं हुई क्योंकि वे जानते थे कि हनुमानजी खुद बुद्धिमान हैं लेकिन प्रथा के अनुसार गुरु द्वारा शिक्षा गृहण करना जरुरी है इसलिए सूर्यदेव ने कुछ ही दिनों में उन्हें कई विद्याएं सिखाई ।जिसमें नौ विद्याएं भी शामिल हैं ।
ॐ भास्कराय नमः 🙏 जय श्री हनुमान 🌺🌺🙏🙏
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⚜️ दशमी तिथि के देवता यमराज जी बताये जाते हैं। यमराज दक्षिण दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इस दशमी तिथि में यमराज के पूजन करने से जीव अपने समस्त पापों से छुट जाता है। पूजन के उपरान्त क्षमा याचना (प्रार्थना) से जीव नरक कि यातना एवं जीवन के सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। इस दशमी तिथि को यम के निमित्ति घर के बाहर दीपदान करना चाहिये, इससे अकाल मृत्यु के योग भी टल जाते हैं।
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है, वो लोग देशभक्ति तथा परोपकार के मामले में बड़े तत्पर एवं श्रेष्ठ होते हैं। देश एवं दूसरों के हितों के लिए ये सर्वस्व न्यौछावर करने को भी तत्पर रहते हैं। इस तिथि में जन्म लेनेवाले जातक धर्म-अधर्म के बीच के अन्तर को अच्छी तरह समझते हैं और हमेशा धर्म पर चलने वाले होते हैं।


