ज्योतिषधार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग बुधवार, 09 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 09 जुलाई 2025
09 जुलाई 2025 दिन बुधवार को आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष कि चतुर्दशी तिथि है। आप उड़ीसा में भगवान शिव को शयन कराया जाता है, वहां आज की चतुर्दशी को लोग शिवशयान के चतुर्दशी से भी जाना जाता है।जैन लोग आज की चतुर्दशी को चौमासी या चौदस कहते हैं। आप उसका णमोकार 34 व्रत एवं 26वा उपवास भी है। आज रवि योग एवं परंयमधंट योग भी है। आप सभी सनातनियों को “शिवशयन चतुर्दशी” की हार्दिक शुभकामनायें।।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – आषाढ़ मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – बुधवार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि 01:37 AM तक उपरांत पूर्णिमा
🖍️ तिथि स्वामी :- चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है । चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र मूल 04:49 AM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
🪐 नक्षत्र स्वामी – मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है, और राशि स्वामी गुरु है। तथा मूल नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी निरृति हैं।
🔱 योग – ब्रह्म योग 10:08 PM तक, उसके बाद इन्द्र योग
प्रथम करण : गर – 01:11 पी एम तक
द्वितीय करण: वणिज – 01:36 ए एम, जुलाई 10 तक विष्टि
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 11:10 से 12:35 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:35 से 2:00 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:14:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:46:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:09 ए एम से 04:50 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:29 ए एम से 05:30 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:21 पी एम से 07:41 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:22 पी एम से 08:23 पी एम
💧 अमृत काल : 10:00 पी एम से 11:43 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:06 ए एम, जुलाई 10 से 12:47 ए एम, जुलाई 10
❄️ रवि योग : 05:30 ए एम से 04:50 ए एम, जुलाई 10
🚓 यात्रा शकुन-हरे फल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-गणेश मंदिर में मूंग के लड्डू अर्पित करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – मूल समाप्त/भद्रा/ रवि योग/ साईं बाबा उत्सव प्रारम्भ (शिर्डी)/ शिवशयन चतुर्दशी (उड़िसा)/ मेला ज्वालामुखी (हिमाचल प्रदेश)/ पूर्णिमा प्रारम्भ उ.रात्रि 01. 36/ राष्ट्रीय चीनी कुकी दिवस, अभिनेता गुरु दत्त जन्म दिवस, अभिनेता संजीव कुमार जन्म दिवस, भारतीय राजनेता सत्य नारायण सिन्हा जन्म दिवस, भारतीय राजनीतिज्ञ सुखबीर सिंह बादल जन्म दिवस, राष्ट्रीय डिम्पल दिवस, फैशन दिवस, राष्ट्रीय शुगर कुकी दिवस, डूरियन फल दिवस, नुनावुत दिवस, राष्ट्रीय चीनी कुकी दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – चतुर्दशी तिथि को शहद त्याज्य होता है। चतुर्दशी तिथि को एक क्रूरा तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं चतुर्दशी तिथि को उग्रा तिथि भी माना जाता है। यह चतुर्दशी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्दशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ और कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। इस चतुर्दशी तिथि के देवता भगवान शिवजी हैं।।
🗺️ Vastu Tips 🏚️
किस दिशा में खड़े होकर नहाना चाहिए?
आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार जब आप पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्नान करते हैं तो आपके शरीर की गंदगी के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा भी आपका साथ छोड़ देती है। इसका कारण यह है कि पूर्व दिशा सूर्यदेव की दिशा है। जब सूर्य इस दिशा से उगता है तो उसकी तेज और प्रभावी सकारात्मक ऊर्जा आती है। ऐसे में सुबह के समय इस दिशा में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा होती है। ऐसे में जब आप इस दिशा की ओर मुंह करके नहाते हैं तो यह सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर की सभी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देती है। जब आपके शरीर में कोई नकारात्मक ऊर्जा नहीं होती, सकारात्मक ऊर्जा की अधिकता होती है तो आपकी किस्मत अपने आप चमकने लगती है।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
गुरु के लिए विशेष:
👉गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान:गुरु पूर्णिमा, गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मानित करने का दिन है, जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है !
👉ज्ञान और मार्गदर्शन का उत्सव:यह दिन गुरुओं द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन के महत्व को दर्शाता है, जो शिष्यों को सही मार्ग पर ले जाता है !
👉सफलता और पूर्णता की ओर मार्गदर्शन:गुरु पूर्णिमा का दिन, गुरुओं द्वारा दिए गए शिक्षाओं का पालन करके सफलता और पूर्णता प्राप्त करने का संकल्प लेने का भी दिन है !
शिष्य के लिए विशेष:_
👉गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता:शिष्य गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं !
👉ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करना:गुरु पूर्णिमा का दिन, गुरु से ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करने का एक विशेष अवसर होता है !
👉आध्यात्मिक विकास:यह दिन शिष्य के आध्यात्मिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि गुरु उन्हें सही मार्ग पर ले जाते हैं
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
चेहरे पर लकवा मारने पर क्या करना चाहिए जो ठीक हो जाए?
मालिश: सरसों के तेल में लहसुन पकाकर या तुलसी के पत्तों और दही के पेस्ट से हल्के हाथों से प्रभावित हिस्से पर मालिश करने से कुछ लोगों को आराम मिल सकता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम: कुछ लोग मानते हैं कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम लकवे की रिकवरी में मदद कर सकता है।
आहार: करेले का जूस या सब्जी फायदेमंद मानी जाती है।
गर्दन और सिर को ढकना: ठंड में कान और सिर को ढकने से चेहरे पर लकवा होने का खतरा कम हो सकता है, क्योंकि ठंडी हवा नसों को प्रभावित कर सकती है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें~जल्दी इलाज~लकवे के लक्षण दिखते ही जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर से संपर्क करना रिकवरी की संभावना को बढ़ाता है।
धैर्य: चेहरे के लकवे से ठीक होने में समय लग सकता है। नियमित रूप से इलाज और फिजियोथेरेपी का पालन करना महत्वपूर्ण है।
पूरी तरह ठीक होना: बेल्स पाल्सी के कई मामलों में, अधिकांश लोग 3 से 6 महीनों के भीतर पूरी तरह या आंशिक रूप से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, यह कारण और व्यक्तिगत प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिन्दू धर्म में ‘चातुर्मास’ कहा गया है। ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है।,
जिन दिनों में भगवान् विष्णुजी शयन करते हैं उन चार महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं, देवशयनी एकादशी से हरिप्रबोधनी एकादशी तक चातुर्मास हैं, इन चार महीनों की अवधि में विभिन्न धार्मिक कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है, क्योंकि इन दिनों में किसी भी जीव की ओर से किया गया कोई भी पुण्यकर्म खाली नहीं जाता।,
वैसे तो चातुर्मास का व्रत देवशयनी एकादशी से शुरु होता है, परंतु जैन धर्म में चतुर्दशी से प्रारंभ माना जाता है, द्वादशी, पूर्णिमा से भी यह व्रत शुरु किया जा सकता है, भगवान् को पीले वस्त्रों से श्रृंगार करे तथा सफेद रंग की शैय्या पर सफेद रंग के ही वस्त्र द्वारा ढककर उन्हें शयन करायें।,
पदमपुराण के अनुसार जो मनुष्य इन चार महीनों में मंदिर में झाडू लगाते हैं तथा मंदिर को धोकर साफ करते है, कच्चे स्थान को गोबर से लीपते हैं, उन्हें सात जन्म तक ब्राह्मण योनि मिलती है, जो भगवान को दूध, दही, घी, शहद, और मिश्री से स्नान कराते हैं, वह संसार में वैभवशाली होकर स्वर्ग में जाकर इन्द्र जैसा सुख भोगते हैं।,
धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजन करने वाला प्राणी अक्षय सुख भोगता है, तुलसीदल अथवा तुलसी मंजरियों से भगवान का पूजन करने, स्वर्ण की तुलसी ब्राह्मण को दान करने पर परमगति मिलती है, गूगल की धूप और दीप अर्पण करने वाला मनुष्य जन्म जन्मांतरों तक धनवान रहता है, पीपल का पेड़ लगाने, पीपल पर प्रति दिन जल चढ़ाने, पीपल की परिक्रमा करने, उत्तम ध्वनि वाला घंटा मंदिर में चढ़ाने, ब्राह्मणों का उचित सम्मान करने वाले व्यक्ति पर भगवान् श्री हरि की कृपा दृष्टि बनी रहती है।,
किसी भी प्रकार का दान देने जैसे- कपिला गो का दान, शहद से भरा चांदी का बर्तन और तांबे के पात्र में गुड़ भरकर दान करने, नमक, सत्तू, हल्दी, लाल वस्त्र, तिल, जूते, और छाता आदि का यथाशक्ति दान करने वाले जीव को कभी भी किसी वस्तु की कमीं जीवन में नहीं आती तथा वह सदा ही साधन सम्पन्न रहता है।,
जो व्रत की समाप्ति यानि उद्यापन करने पर अन्न, वस्त्र और शैय्या का दान करते हैं वह अक्षय सुख को प्राप्त करते हैं तथा सदा धनवान रहते हैं, वर्षा ऋतु में गोपीचंदन का दान करने वालों को सभी प्रकार के भोग एवं मोक्ष मिलते हैं, जो नियम से भगवान् श्री गणेशजी और सूर्य भगवान् का पूजन करते हैं वह उत्तम गति को प्राप्त करते हैं, तथा जो शक्कर का दान करते हैं उन्हें यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है।,
माता लक्ष्मी और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए चांदी के पात्र में हल्दी भर कर दान करनी चाहिये तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बैल का दान करना श्रेयस्कर है, चातुर्मास में फलों का दान करने से नंदन वन का सुख मिलता है, जो लोग नियम से एक समय भोजन करते हैं, भूखों को भोजन खिलाते हैं, स्वयं भी नियमवद्घ होकर चावल अथवा जौं का भोजन करते हैं, भूमि पर शयन करते हैं उन्हें अक्षय कीर्ती प्राप्त होती है।,
इन दिनों में आंवले से युक्त जल से स्नान करना तथा मौन रहकर भोजन करना श्रेयस्कर है, श्रावण यानि सावन के महीने में साग एवम् हरि सब्जियां, भादों में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में दालें खाना वर्जित है, किसी की निंदा चुगली न करें तथा न ही किसी से धोखे से उसका कुछ हथियाना चाहियें, चातुर्मास में शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिये और कांसे के बर्तन में कभी भोजन नहीं करना चाहियें।,
जो अपनी इन्द्रियों का दमन करता है वह अश्वमेध यज्ञ के फल को प्राप्त करता है, शास्त्रानुसार चातुर्मास एवं चौमासे के दिनों में देवकार्य अधिक होते हैं जबकि विवाह आदि उत्सव नहीं किये जाते, इन दिनों में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा दिवस तो मनाए जाते हैं परंतु नवमूर्ति प्राण प्रतिष्ठा व नवनिर्माण कार्य नहीं किये जाते, जबकि धार्मिक अनुष्ठान, श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ, श्री रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ, हवन यज्ञ आदि कार्य अधिक होते हैं।,
गायत्री मंत्र के पुरश्चरण व सभी व्रत सावन मास में सम्पन्न किए जाते हैं, सावन के महीने में मंदिरों में कीर्तन, भजन, जागरण आदि कार्यक्रम अधिक होते हैं, स्कन्दपुराण के अनुसार संसार में मनुष्य जन्म और विष्णु भक्ति दोनों ही दुर्लभ हैं, परंतु चार्तुमास में भगवान विष्णु का व्रत करने वाला मनुष्य ही उत्तम एवं श्रेष्ठ माना गया है।,
चौमासे के इन चार मासों में सभी तीर्थ, दान, पुण्य, और देव स्थान भगवान् विष्णु जी की शरण लेकर स्थित होते हैं तथा चातुर्मास में भगवान विष्णु को नियम से प्रणाम करने वाले का जीवन भी शुभफलदायक बन जाता है, भाई-बहनों! चौमासे के इन चार महीनों में नियम से रहते हुयें, शुभ कार्य करते हुये, भगवान् श्री हरि विष्णुजी की भक्ति से जन्म जन्मांतरों के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करें।,👏
🚩जय श्री हरि!,🚩
∝∝∝∝∝∝•⊰⧱⊱•∝∝∝∝∝∝∝∝
⚜️ चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का ज्यादा-से-ज्यादा पूजन, अर्चन एवं अभिषेक करना करवाना चाहिये। सामर्थ्य हो तो विशेषकर कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को विद्वान् वैदिक ब्राह्मणों से विधिवत भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना चाहिये। आज चतुर्दशी तिथि में भगवान् शिव का रुद्राभिषेक यदि शहद से किया करवाया जाय तो इससे मारकेश कि दशा भी शुभ फलदायिनी बन जाती है। जातक के जीवन कि सभी बाधायें निवृत्त हो जाती है और जीवन में सभी सुखों कि प्राप्ति सजह ही हो जाती है।।

Related Articles

Back to top button