Today Panchang आज का पंचांग बुधवार, 16 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 16 जुलाई 2025
16 जुलाई 2025 दिन बुधवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि षष्ठी तिथि है। आज सूर्य देवता मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में (रात्रि 0.55 बजे) प्रवेश कर जाएगा। आज पंचांग के अनुसार सूर्य देवता उत्तरायण से दक्षिणायन हो जायेंगे। आज से राक्षसों का दिन और देवताओं की रात्रि का प्रारम्भ होता है। आज ही संक्रांति का पुण्यकाल भी मनाया जाता है। इसमें मन्दाकिनी का स्नान श्रेष्ठ बताया गया है। गाय और गाय के घी का दान करना चाहिए। कहां गया है कि संक्रांति के तीन दिन का समय बिल्कुल शुभ नहीं होता है, इसलिए कोई भी कार्य वर्जित बताया गया है। आज से वर्षा ऋतु का आरंभ भी हो जाता है। आज रवि योग भी है। आप सभी सनातनियों को “दक्षिणायन और वर्षा ऋतू के आगमन” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
⛈️ मास – श्रावण मास
🌓 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – बुधवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि 09:02 PM तक उपरांत सप्तमी
🖍️ तिथी स्वामी – षष्ठी के देता हैं कार्तिकेय। इस तिथि में कार्तिकेय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र उत्तरभाद्रपदा 04:50 AM तक उपरांत रेवती
🪐 नक्षत्र स्वामी – उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र का स्वामी शनि है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अहिर्बुध्न्य हैं।
⚜️ योग – शोभन योग 11:57 AM तक, उसके बाद अतिगण्ड योग
⚡ प्रथम करण : गर – 09:52 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : वणिज – 09:01 पी एम तक विष्टि
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 11:10 से 12:35 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:35 से 2:00 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:17:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:43:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:12 ए एम से 04:53 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:32 ए एम से 05:34 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:19 पी एम से 07:40 पी एम
🌃 सायाह्न सन्ध्या : 07:20 पी एम से 08:22 पी एम
💧 अमृत काल : 12:13 ए एम, जुलाई 17 से 01:46 ए एम, जुलाई 17
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 17 से 12:48 ए एम, जुलाई 17
❄️ रवि योग : 05:46 ए एम से 04:50 ए एम, जुलाई 17
🚓 यात्रा शकुन-हरे फ़ल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-किसी बटुक को धर्मशास्त्र भेंट करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ मूल प्रारंभ/भद्रा/ पंचक जारी/ राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता दिवस, भारत हॉकी इतिहास के सबसे तेज कुशल खिलाड़ि धनराज पिल्लै जन्म दिवस, ताजा पालक दिवस, राष्ट्रीय हॉट डॉग दिवस, राष्ट्रीय परमाणु वेटरन्स दिवस, राष्ट्रीय चेरी दिवस, भारतीय राजनीतिज्ञ आर. के. धवन जन्म दिवस, बालीवुड अभिनेत्री कटरीना कैफ जन्म दिवस, अभिनेता श्रिंगार नागराज जन्म दिवस, साझा सेवा केंद्र (सीएससी) दिवस, वीर शासन जयंती (दिग.जैन), भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली जयन्ती, विश्व सर्प दिवस (World Snake Day)
✍🏼 तिथि विशेष – षष्ठी तिथि को तैल कर्म अर्थात शरीर में तेल मालिश करना या करवाना एवं सप्तमी तिथि को आँवला खाना तथा दान करना भी वर्ज्य बताया गया है। इस षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय जी को बताया गया हैं। यह षष्ठी तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह षष्ठी तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस तिथि में स्वामी कार्तिकेय जी के पूजन से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। विशेषकर वीरता, सम्पन्नता, शक्ति, यश और प्रतिष्ठा कि अकल्पनी है।
🏘️ Vastu tips 🛕
लिविंग रूम उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, क्योंकि इसे धन और समृद्धि का क्षेत्र माना जाता है। वास्तु के अनुसार, बैठने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आप और आपके मेहमान उत्तर या पूर्व दिशा में बैठें।
रसोईघर दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा अग्नि और ऊर्जा से जुड़ी है। इससे वास्तु के अनुसार घर में तत्वों का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। चूल्हा दक्षिण-पूर्व कोने में और रेफ्रिजरेटर उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
शयनकक्ष मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और बिस्तर इस तरह रखना चाहिए कि आप पूर्व या पश्चिम दिशा में सिर करके सो सकें। उत्तर दिशा में सिर करके सोने से बचें, क्योंकि यह दिशा नकारात्मक से जुड़ी।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
प्रार्थना करते वक्त किसी भी प्रकार की वासना से दूर रहे, वासनायुक्त भावनाओं को मन में ना आने दें। जब मनुष्य वासना से ऊपर उठकर भगवान से प्रार्थना करता है, तो वो प्रार्थना अवश्य स्वीकार होती है।
अगर आपका मन पूरी तरह से भगवान से जुड़ा हुआ है तो तभी भगवान के आगे प्राथना करनी चाहिए।
अगर आप भगवान से सुख-समृद्धि मांगते हैं तो आपको सिर्फ वह ही प्राप्त होगी लेकिन अगर आप भगवान से उनका साथ, उनका सानिध्य मांगते हैं तो आपका जीवन खुद ही सुख और सौभाग्य से परिपूर्ण हो जाएगा।
परमात्मा से कुछ मांगने के लिए ज़रूरी है कि आप अपनी अंतर्रात्मा के साथ समय बिताएं, अपने मन की आवाज़ सुनें और आपने क्या चूक की है, कहां आप ग़लत हैं, इन पहलुओं पर विचार करें। याद रखें, खुद के साथ वक्त बिताना भी बहुत ज़रूरी है।
अपनी प्रार्थना को गोपनीय ही रखें। जब भी मौका मिले, अपनी प्रार्थना दोहराते रहें अगर आपने इन तरीकों से सच्चे मन से प्राथना करेंगे तो जरूर स्वीकार की जाएगी।
☕ आरोग्य संजीवनी 🍵
गंथोड़ा चूर्ण के मुख्य फायदे
हड्डियों को मजबूत बनाना गंथोड़ा चूर्ण कैल्शियम और मिनरल्स से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) और जोड़ों की समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
जोड़ों के दर्द और गठिया में राहत यह चूर्ण सूजन-रोधी गुणों से भरपूर है, जो गठिया, आर्थराइटिस, और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है। नियमित सेवन से जोड़ों की जकड़न और सूजन में आराम मिलता है।
गंथोड़ा चूर्ण पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह अपच, गैस, और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। इसे भोजन के बाद लेने से पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है।
शारीरिक बल और ऊर्जा बढ़ाना गंथोड़ा को ताकत और ऊर्जा बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कमजोरी या थकावट महसूस करते हैं।
शरीर की सूजन कम करना यह प्राकृतिक औषधि शरीर की सूजन और दर्द को कम करने में सहायक है। चोट या सर्जरी के बाद रिकवरी में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
📚 गुरु भक्ति योग_ 🕯️
अगर मनुष्यों को अपनी मृत्यु की तारीख पहले से पता होती तो उनका जीवन आज के जीवन से किस प्रकार भिन्न होता?
अगर मनुष्यों को अपनी मृत्यु की तारीख पहले से पता होती तो उनका जीवन आज के जीवन से किस प्रकार भिन्न होता?
मृत्यु के देवता यम को श्री राम तक पहुंचने की हिम्मत कैसे होती, जब उनके महल का प्रहरी, उनका अनन्य भक्त हनुमान, वज्र सरीखी भुजाएं लिए खड़ा थे? यम का अयोध्या में प्रवेश मानो सिंह के गुफा में घुसने जैसा था। तब लीलाधर राम ने एक अद्भुत योजना बनाई।एक दिन, जब प्रभु राम जान गए कि उनके लौकिक लीला का समापन निकट है, उन्होंने हनुमान से कहा – ‘हे पवनपुत्र, अब यमराज को मेरे पास आने दो। मेरे वैकुंठ धाम जाने का समय आ गया है।’ पर भक्ति के सागर में डूबे हनुमान भला यह कैसे स्वीकार करते?’लेकिन हनुमान जी नहीं मान रहे थे
यम के प्रवेश के लिए श्री हनुमान को हटाना जरुरी था।इसलिए तब भगवान राम ने अपनी मुद्रिका, अपनी प्रिय अंगूठी, महल की धरती के एक छोटे से छिद्र में गिरा दी। व्याकुलता का नाटक करते हुए उन्होंने हनुमान से उसे ढूंढ लाने का आग्रह किया। प्रभु की आज्ञा शिरोधार्य कर, हनुमान पल भर में भौंरे के समान छोटे हो गए और उस रहस्यमय छेद में उतर गए।यह छिद्र मात्र एक बिल नहीं था, बल्कि नागों के लोक, नागलोक की ओर जाने वाली एक लंबी सुरंग थी! वहां हनुमान की भेंट नागों के राजा वासुकी से हुई, जिन्हें उन्होंने अपने आने का कारण बताया। वासुकी हनुमान को नागलोक के मध्य में ले गए, जहां अंगूठियों का एक विशाल पर्वत खड़ा था!
‘यहां आपको श्री राम की अंगूठी अवश्य मिल जाएगी,’ वासुकी ने कहा। हनुमान उस अथाह ढेर को देखकर सोच में पड़ गए – भूसे के ढेर में सुई ढूंढना भी इतना मुश्किल न होगा! किस्मत ने साथ दिया, और पहली जो अंगूठी हनुमान के हाथ लगी, वह भगवान श्री राम की ही थी! आश्चर्य तब और गहरा गया, जब दूसरी अंगूठी भी वही निकली। वास्तव में, उस पूरे पर्वत पर जितनी भी अंगूठियां थीं, सब एक समान थीं! हनुमान का मस्तिष्क चकरा गया – ‘इसका क्या अर्थ है?’
वासुकी मंद-मंद मुस्कुराए और बोले, ‘हे वानरश्रेष्ठ, यह संसार सृष्टि और विनाश के चक्र में घूमता रहता है, और इसके मध्य में कर्म का पहिया चलता है। भगवान राम ने अवतार लेकर यही सिखाया है कि कर्म को कैसे जिया जाए। हर सृष्टि चक्र एक कल्प कहलाता है, और हर कल्प में चार युग होते हैं।’
वासुकी ने आगे कहा, ‘दूसरे युग, त्रेता युग में, भगवान राम अयोध्या में जन्म लेते हैं। एक वानर उनकी अंगूठी का पीछा करता है, और पृथ्वी पर राम मृत्यु को प्राप्त होते हैं। यह अंगूठियों का ढेर ऐसे ही सैकड़ों-हजारों कल्पों से बनता आ रहा है। सभी अंगूठियां सत्य हैं। गिरती रहीं और इनका अंबार बढ़ता रहा। भविष्य के रामों की अंगूठियों के लिए भी यहां पर्याप्त स्थान है।’
अब हनुमान समझ गए कि उनका नागलोक में आना और अंगूठियों के पर्वत से मिलना कोई साधारण घटना नहीं थी। यह स्वयं श्री राम का तरीका था उन्हें यह समझाने का कि मृत्यु एक अटल सत्य है, जिसे कोई रोक नहीं सकता। भगवान राम मृत्यु को प्राप्त होंगे और फिर से जन्म लेंगे।
हे मनुष्य! तुम्हें भवसागर से पार होने के लिए यह सुंदर मानव शरीर रूपी नौका मिली है। कर्म की पतवार को ठीक से थामना होगा। जरा सी चूक, और वासना, अहंकार, ईर्ष्या और द्वेष के भंवर में पड़कर यह नौका डूब जाएगी! सतर्क रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम स्वयं ही अपनी मुक्ति के मार्ग में बाधा बन जाओ!
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⚜️ षष्ठी तिथि आपके उपर यदि मंगल कि दशा चल रही हो और आप किसी प्रकार के मुकदमे में फंस गये हों तो षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय स्वामी का पूजन करें। मुकदमे में अथवा राजकार्य से सम्बन्धित किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिये षष्ठी तिथि को सायंकाल के समय में किसी भी शिवमन्दिर में षण्मुख के नाम से छः दीप दान करें। कहा जाता है, कि स्वामी कार्तिकेय को एक नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपने भुजा पर बाँधने से शत्रु परास्त हो जाते हैं। साथ ही सर्वत्र विजय कि प्राप्ति होती है।।


