नर्मदा घाटी प्राधिकरण क्षेत्र महनेर में जलभराव, लगभग 200 किसानों की फसल बर्बादी और आवागमन की परेशानी से जूझ रहे

ध्वस्त नहरें, बंद नालियां और विभागीय लापरवाही से खेतों में भरा पानी बना किसानों की आजीविका के लिए संकट
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान । नर्मदा घाटी प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले महनेर गांव के किसानों के लिए इस बार बारिश से राहत नहीं, बल्कि मुसीबत बनकर आई है। क्षेत्र में लगातार जलभराव की स्थिति बनी हुई है, जिससे लगभग 200 से अधिक किसान बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। खेतों में पानी भर जाने से खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हुई है, जबकि पहले से लगी मूंग और उड़द क़ी फसलें सड़ चुकी हैं ।
गांव के किसानों ने बताया कि जल निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पूरे खेत तालाब में तब्दील हो गए। वर्षों पहले विभाग द्वारा जो नाली खुदवाई गई थी, वह अब मिट्टी, घास और मलबे से पूरी तरह बंद हो चुकी है। अब उसमें से पानी निकलने की कोई संभावना नहीं बची है । स्थिति यह हो गई है कि पानी का बहाव पूरी तरह से रुक गया है और खेतों में जमा हुआ पानी 15-20 दिनों से सूख ही नहीं रहा।
किसानों का आरोप है कि शासन द्वारा हर साल नहरों और नालियों के मेंटेनेंस के लिए बजट स्वीकृत किया जाता है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण वह पैसा जमीन पर दिखाई नहीं देता। ग्रामीणों ने बताया कि नहरों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि कुछ हिस्सों में वे पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं, जबकि कई जगहों पर दरारें आ गई हैं । इन दरारों से पानी बहकर सीधे खेतों में पहुंच रहा है, जिससे और भी अधिक नुकसान हो रहा है।
इतना ही नहीं, क्रॉसिंग के लिए जो ढोला या पुलिया लगाए जाने थे, वे अब तक नहीं लगाए जा सके हैं। इससे ग्रामीणों को पैदल भी चलने में कठिनाई हो रही है। मवेशियों और वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। और आपातकालीन स्थितियों में लोगों को भारी संकट झेलना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि यह स्थिति कोई नई नहीं है । हर वर्ष इसी प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है, लेकिन इस बार हालात और भी भयावह हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बार-बार प्रशासन से शिकायत करने के बावजूद कोई भी अधिकारी मौके पर देखने तक नहीं आया । किसानों ने मांग की है कि क्षेत्र की जल निकासी व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त किया जाए, नहरों और नालियों की समुचित मरम्मत कराई जाए तथा क्रॉसिंग के लिए ढोला लगवाया जाए ।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी विभागीय उदासीनता पर नाराज़गी जताते हुए कहा है कि यदि जल्द कार्य नहीं किया गया तो क्षेत्र में जनाक्रोश उभर सकता है । उन्होंने चेतावनी दी है कि किसान अब सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होंगे । क्षेत्र में फैली यह समस्या केवल एक गांव की नहीं, बल्कि आसपास के कई इलाकों में यही स्थिति बन रही है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ तो यह एक बड़ा संकट बन सकता है । प्रशासन से ग्रामीणों और किसानों ने यह अपील की है कि समस्याओं का स्थायी हल निकाला जाए, केवल कागज़ों पर दिखावा न किया जाए । नर्मदा घाटी प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले गांवों में जल प्रबंधन को लेकर दीर्घकालिक योजना बनाई जाए, ताकि हर वर्ष किसानों को इस त्रासदी का सामना न करना पड़े।
ग्रामीणों ने अंत में यह भी कहा कि यदि शासन और प्रशासन आंखें मूंदे रहा, तो वे जल्द ही आंदोलन की राह पकड़ेंगे, क्योंकि अब उनके सामने अपनी आजीविका बचाने का सवाल खड़ा हो गया है।



