जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है, प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं : पं. हरिनारायण शास्त्री
सुदामा चरित्र के साथ कथा का हुआ समापन
रिपोर्टर : सतीश मैथिल
सांचेत । समीपस्थ ग्राम सिरसौदा में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के सातवे दिन मंगलवार को कथा वाचक पंडित हरिनारायण शास्त्री टिकोदा वालों ने भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया साथ ही विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग- अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पीठाधीश्वर हरिनारायण शास्त्री ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। पटेल परिवार की तरफ से सिरसौदा में चल रही सात दिवसीय कथा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। कथा व्यास पं, हरिनारायण शास्त्री ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। कथा समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।