आस्था : जाने-अनजाने पापों को शयन कराने महिलाओं ने ऋषि पंचमी का रखा व्रत
शिव पार्वती परिवार की मिट्टी से बनीं प्रतिमाओं की पूजन कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने व परिवार में सुख, शांति और समृद्धि मांगने के लिए अखण्ड सौभाग्वती महिलाओं ने व्रत रखे और परिवार की खुशहाली व सम्रद्धि की कामना के लिए शिव पार्वती परिवार की पूजन कर आराधना की।
धर्मशास्त्री पण्डित ओमप्रकाश शुक्ला पण्डित राममोहन, कृष्ण मोहन चतुर्वेदी ने बताया कि जाने-अनजाने पापों के शमन के लिए महिलाओं ने ऋषि पंचमी का व्रत रखकर सप्त ऋषियों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। पंडित शुक्ला ने बताया कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों के प्रति कृतज्ञता के लिए महिलाएं यह व्रत रखती है। ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। शहर सहित ग्रामीण अंचल में ऋषि पंचमी का पर्व मनाया गया। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति के लिए किया जाता है। पं. शुक्ला ने आगे बताया कि महिलाओं ने सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने, सुख, शांति और समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत रखा। यह व्रत ऋषियों के प्रति श्रद्धा, समर्पण और सम्मान की भावना को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण आधार है। सप्त ऋषि की विधि विधान से पूजा की। ऋषि पंचमी व्रत की कथा सुनी और सुनाई। यह व्रत पापों का नाश करने वाला व श्रेष्ठ फलदायी है।
पंडित शुक्ला ने बताया कि महिलाओं ने शनिवार की सुबह जल्दी उठकर अपामार्ग के पौधे की पत्तियों व टहनियों से स्नान करने के साथ दांतों की विशेष सफाई की। पंचगव्य ग्रहण कर आंतरिक शुद्धि किया। हल से जुते खेत का अन्न और नमक इस व्रत में नहीं खाया। कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि तथा वशिष्ठ ऋषियों सहित अरुंधति का पूजन किया। इसके लिए अपामार्ग की सात टहनियों पर सफेद कपड़ा बांधकर सप्त ऋषि व एक टहनी पर लाल कपड़ा बांध कर उसे अरूंधती मानकर पूजा की। घर के स्वच्छ स्थान पर हल्दी, कुमकुम, रोली आदि से चौकोर मंडल (चोक) बनाकर उस पर सप्तऋषि की स्थापना की। शुद्ध जल व पंचामृत से उन्हें स्नान कराया। चंदन का टीका, पुष्प माला व पुष्प अर्पित कर यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाए और श्वेतांबरी वस्त्र अर्पित किए। शुद्ध फल और मिठाई आदि का भोग लगाया साथ ही अगरबत्ती, धूप, दीप आदि जलाए। ऋषियों का विधि-विधान से पूजन कर कथा सुनी और सुनाई।