शहर में वर्षों पुराने हरे भरे पेड़ों की चढ़ाई जा रही बली, बिना इजाजत के काटे जा रहे पेड़,
सांचेत में सूखे पेड़ की परमिशन ली काट दिया फलदार आम का पेड़, परमिशन देने वाले बने खामोश
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। रायसेन सिटी में इन दिनों वर्षों पुराने आम, जामुन, नीम पीपल सहित अन्य प्रजातियों के हरे भरे पेड़ों की बली चढ़ाई जा रही है। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर सड़क ठेकेदार ने रोड़ किनारे हजारों हरे भरे सालों पुराने पेड़ों पर आरे चलवाकर कटवा दिए गए हैं। जिससे गर्मी भर लोग घनी छाया को तरसते रहे। 4 लेन सड़क निर्माण करवा रहे हरियाणा के ठेकेदार देवेंद्र जिंदल ने यह वायदा किया था कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए तीन गुना सड़क किनारे छायादार पौधे रोपे जाएंगे। लेकिन ठेकेदार का दावे वादे फिलहाल हवा हो गए हैं।
नगर में कहीं मकानों के निर्माण कराने में बाधा बन रहे बरसों पुराने बड़े बड़े पेड़ों को आहिस्ता आहिस्ता कटवाया जा रहा है तो कहीं कॉलोनियों का निर्माण कार्य करवा रहे कॉलोनाइजर भी पेड़ों की बलि चढ़ाने के जिम्मेदार हैं। कुछ पेड़ आलीशान इमारतों के बन जाने के बाद दिखावे के लिए बेवजह बलि चढ़ा दिए गए हैं। पिछले 4 से 5 महीनों के अंदर शहर की सीमा में लगभग 6 जामुन पेड़, 4 आम, 7 नीम पेड़ों पर कुल्हाड़ी की धार चल चुकी है। फिलहाल अब मौके पर ठूंठ नजर आ रहे हैं। लोगों को नगर में तेजी से बढ़ते पक्के मकानों के निर्माण में पर्यावरण को बचाए रखने का शायद ख्याल भूल गए हैं।
सांचेत में चढ़ा दी गई आम के फलदार पेड़ की बलि
तहसील रायसेन के सांचेत गांव के लोधी परिवार ने 3 मार्च 2021 को वर्षो पुराने सूखे आम के पेड़ कटवाने की अनुमति तहसीलदार अजय प्रताप सिंह पटेल ने आवेदन पर बकायदा परमिशन दी। लॉक डाउन के समापन के बाद बैरसिया के एक ठेकेदार की मदद से खेत में खड़े हरे भरे फलदार आम के पेड़ पर आरी चलवाकर धराशायी करवा दिया। बताया यह जा रहा है कि पेड़ के ठेकेदार अनुमति तो सूखे पेड़ों की लेते हैं। काम के लिए हरे भरे पेड़ों को कटवाया जा रहा है। ग्राम पंचायत के गांवों में यह उनकी कमाई का गौरखधंधा जमकर फलफूल रहा है। सांचेत के उस आम के पेड़ से लगभग 6 बोरे कैरियां भी निकली थी।इस तरह सूखे पेड़ की आड़ में फलदार हरे भरे पेड़ की बलि चढ़ा दी गई है।सत्यापन कराने के लिए जब डिप्टी रेंजर बाला प्रसाद जाटव को मौके पर बुलाया तो उन्होंने आम के हरे भरे पेड़ कैरियां देखकर वेरिफिकेशन करने से साफ इनकार कर दिया।
नगर में निर्माणाधीन विकसित हो रही कालोनियों में बगैर अनुमति के हरे भरे पेड़ों को बेरहमी से काटे जाने का खेल जमकर चल रहा है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी इस मामले में पूरी तरह से खामोश बने हुए हैं । उनको शायद पर्यावरण बचाए रखने की कोई चिंता ही नहीं है।