आज का पंचांग आज का पंचांग रविवार, 10 मार्च 2024

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला मुख्यालय हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 10 मार्च 2024
10 मार्च 2024 दिन रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। आज स्नान-दान एवं श्राद्धादि की पुण्यतमा अमावस्या है। आज रविवार है और इसे पापवार की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए आज पापवार की अमावस्या होने के वजह से दुर्भिक्ष एवं भय की स्थिति बनी रहेंगी। आप सभी सनातनियों को “फाल्गुन कृष्ण अमावस्या” की हार्दिक शुभकामनायें।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसन्त ऋतु
⛈️ मास – फाल्गुन मास
🌑 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – रविवार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि 02:30 PM तक उपरांत प्रतिपदा
✏️ तिथि स्वामी : अमावस्या तिथि के देवता हैं अर्यमा जो पितरों के प्रमुख हैं। अमावास्या में पितृगणों की पूजा करने से वे सदैव प्रसन्न रहते हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पूर्वभाद्रपदा 01:55 AM तक उपरांत उत्तरभाद्रपदा
🪐 नक्षत्र स्वामी – नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता हैं, अज एकपाद यानी एक पैर वाला अजन्मा।
🔕 योग – साध्य योग 04:13 PM तक, उसके बाद शुभ योग
⚡ प्रथम करण : नाग – 02:29 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : किंस्तुघ्न – 12:36 ए एम, मार्च 11 तक बव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 16:34 बजे से 17:56 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:08:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:52:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:59 ए एम से 05:48 ए एम
🌄 प्रातः सन्ध्या : 05:23 ए एम से 06:36 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:08 पी एम से 12:55 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:17 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:24 पी एम से 06:49 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:27 पी एम से 07:40 पी एम
💧 अमृत काल : 06:55 पी एम से 08:19 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, मार्च 11 से 12:55 ए एम, मार्च 11
⭐ सर्वार्थ सिद्धि योग : 01:55 ए एम, मार्च 11 से 06:35 ए एम, मार्च 11
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻 आज का उपाय-किसी विप्र को भोजन कराएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – देवपितृकार्य अमावस्या/सर्वार्थसिद्धि योग/ पंचक जारी/ सावित्रीबाई फुले स्मृति दिवस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) स्थापना दिवस, माधवराव सिंधिया जन्म दिवस, आर्य समाज की स्थापना दिवस, राष्ट्रीय मारियो दिवस, नेशनल अपना लंच डे पैक करें, राष्ट्रीय ब्लूबेरी जनसंख्या दिवस, अंतर्राष्ट्रीय बैगपाइप दिवस, राष्ट्रीय महिला एवं बालिका एचआईवी, एड्स जागरूकता दिवस, नेता मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी जन्म दिवस, अमावस्या समाप्ति दोपहर 02.30
✍🏼 विशेष – अमावस्या को मैथुन एवं प्रतिपदा को कद्दू और कूष्माण्ड के फल का दान तथा भक्षण दोनों ही त्याज्य होता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि को सम्भोग वर्जित तिथि बताया गया है। अमावस्या तिथि एक पीड़ाकारक और अशुभ तिथि मानी जाती है। अमावस्या तिथि पितृगणों को समर्पित तिथि है अर्थात इसके स्वामी पितृगण हैं। यह केवल कृष्ण पक्ष में ही होती है तथा अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।
🗺️ Vastu tips 🗽
घर के बाहर जूते-चप्पल उतारने के क्या कारण हैं?
घर को मंदिर और देवालय का दर्जा दिया गया है और हम सभी जानते हैं कि मंदिर में हमेशा जूते उतारने के बाद ही प्रवेश किया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि हमेशा घर के बाहर जूते-चप्पल उतारने के बाद अंदर जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा जाता है कि घर के अंदर जूते ले जाने से घर का वातावरण अशुद्ध होता है। क्योंकि चप्पल हम सभी जगह पर पहन कर जाते हैं, ऐसे में इसके नीचे गंदगी का चिपकना लाजमी है। ऐसे में अगर आप इसे घर के अंदर ले जाते हैं तो वह आपके घर की ऊर्जा को खराब करती हैं। ये भी एक वजह है की हमे जूते -चप्पल घर के बाहर ही उतारने चाहिए।
⏺️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
थायराइड फंक्शन टेस्ट- भारत में थायराइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 30 साल के बाद महिलाओं को थायराइड का टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए। इसके लक्षण हार्मोंस में बदलाव, वजन बढ़ना, पीरियड्स के तारीख आगे-पीछे होना है।
डायबिटीज का टेस्ट- आजकल की लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज के मरीज हर दिन बढ़ रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ आपको ब्लड शुगर की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन ठीक से नहीं बन पाता है, जिससे शरीर में कमजोरी और थकान रहती है।
कैंसर की जांच- 35 की उम्र के बाद महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर की भी स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर के लिए 35 की उम्र के बाद BRCA जीन टेस्ट कराया जाता है। हर महिला को ये दो टेस्ट जरूर करवा लेने चाहिए। सही समय पर कैंसर का पता लगने से जान बच सकती है।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
गम्भीर श्वास रोगी के लिये योग।
गम्भीर श्वास रोगी के लिये योग क्रियाएँ वर्जित हैं। ऐसे व्यक्तियों को योगाभ्यास या कोई व्यायाम नही करना चहाए। ऐसी स्थिति मे चिकित्सा सहायता लेनी चहाए। चिकित्सक की अनुमति से कुछ सुक्ष्म अभ्यास कर सकते हैं।
सूक्ष्म अभ्यास :- खङे हो कर या बैठ कर धीरे-धीरे हाथों व पैरों को हिलाएँ। धीरे-धीरे जोङो की मूवमैंट करें।
पैदल टहलना :- गम्भीर हृदय रोग पीङित व्यक्ति के लिये धीमी गति से टहलना उत्तम है।
लम्बे-गहरे श्वास :- श्वास के गम्भीर रोगी को प्राणायाम नही करना चहाए। ऐसे व्यक्तियो के लिये लम्बे व गहरे श्वास का अभ्यास लाभदायी होता है।
अनुलोम-विलोम :- यह एक सरल प्राणायाम है।चिकित्सक की अनुमति से इसका अभ्यास कर सकते हैं। बाँये नासिका द्वार से श्वास भरना दाँये से खाली करना। दाँये से श्वास भरके बाँये से खाली करना। यह अनुलोम विलोम हैै।
सरल आसन करें।
आसन को परिभाषित करने के लिये पतंजलि योगसूत्र मे कहा गया है :- स्थिरसुखम् आसनम्।
अर्थात् स्थिरता से और सुखपूर्वक किये गये आसन ही लाभदायी होते हैं। अत: जिस आसन को करने मे सुख का अनुभव हो वही आसन करना चहाये। कष्ट देने वाले आसन नही करने चहाएँ।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
भगवान का संकेत
एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बिनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी।
एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी खुशी घसीट कर चल रही थी।
यह कैसे ज़िंदा रहती है जबकि किसी शिकार को भी नहीं पकड़ सकती, किसान ने सोचा. तभी उसने देखा कि एक शेर अपने दांतो में एक शिकार दबाए उसी तरफ आ रहा है. सभी जानवर भागने लगे, वह किसान भी पेड़ पर चढ़ गया. उसने देखा कि शेर, उस लोमड़ी के पास आया. उसे खाने की जगह, प्यार से शिकार का थोड़ा हिस्सा डालकर चला गया।
दूसरे दिन भी उसने देखा कि शेर बड़े प्यार से लोमड़ी को खाना देकर चला गया. किसान ने इस अद्भुत लीला के लिए भगवान का मन में नमन किया। उसे अहसास हो गया कि भगवान जिसे पैदा करते है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देते हैं।
यह जानकर वह भी एक निर्जन स्थान चला गया और वहां पर चुपचाप बैठ कर भोजन का रास्ता देखता। कई दिन गुज़र गए, कोई नहीं आया। वह मरणासन्न होकर वापस लौटने लगा।
तभी उसे एक विद्वान महात्मा मिले। उन्होंने उसे भोजन पानी कराया, तो वह किसान उनके चरणों में गिरकर वह लोमड़ी की बात बताते हुए बोला, महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर दया दिखाई पर मैं तो मरते मरते बचा; ऐसा क्यों हुआ कि भगवान् मुझ पर इतने निर्दयी हो गए ?
महात्मा उस किसान के सर पर हाथ फिराकर मुस्कुराकर बोले, तुम इतने नासमझ हो गए कि तुमने भगवान का इशारा भी नहीं समझा इसीलिए तुम्हें इस तरह की मुसीबत उठानी पड़ी। तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हे उस शेर की तरह मदद करने वाला बनते देखना चाहते थे, निरीह लोमड़ी की तरह नहीं
हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं। ईश्वर ने हम सभी के अंदर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं।
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
⚜️ अमावस्या को दूध का दान श्रेष्ठ माना जाता है। किसी कुआँ, तलाब, नदी अथवा बहते जल में दो-चार बूंद दूध डालने से कार्यों में आनेवाली परेशानियाँ दूर होती है। जौ दूध में धोकर नदी में प्रवाहित करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है। इस तिथि को पीपल में जल देना परिक्रमा करना मिश्री दूध में मिलाकर अर्घ्य देना अत्यन्त शुभ फलदायी माना जाता है।
ऐसा करने से शनिदेव का प्रकोप कम होता है तथा भगवान नारायण एवं माँ लक्ष्मी कि पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। अमावस्या को तुलसी और बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिये। आज घर की सफाई करना और कबाड़ बेचना शुभ माना जाता है। अमावस्या को भूलकर भी सम्भोग (स्त्री सहवास) नहीं करना चाहिये। घर के मन्दिर एवं आसपास के नजदीकी मन्दिर में तथा तुलसी के जड़ में सायंकाल में घी का दीपक जलाना चाहिये इससे लक्ष्मी माता प्रशन्न होती हैं।