आस्था का दंडवत तापमान में न धूप नं कंकड़ शरीर तौलिया लपेट दंड भरते श्रद्धालु पहुंचे मां बलख्ड़न के दरबार

ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
दमोह । जिले के जबेरा नवरात्रि के दिनों में भक्तों के द्वारा भक्ति की शक्ति का परिचय दिया जाता है। जितनी कठिन साधना हो सके भक्तों के द्वारा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के पर्व पर नवमी तिथि को जिला मुख्यालय से 30 किलो दूर दसोदा गांव की बलख्ड़न माता के दरबार में पहुंचने वाले श्रद्धालु उधारे होकर दंड भरते हुये जाते हैं। भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है चारों और श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी रहतीं हैं कि जगह की कम पड़ जाती है। केवल वे ही लोग दंड भरते हुए जाते है घट स्थापना करते हैं बाक़ी श्रद्धालु पैदल ही दर्शनों के लिए जातें हैं दसोदी के बलख्ड़न दरबार में सैकड़ों की संख्या में कंकड़ पत्थरों के रास्तों मे होते हुए दंड भरते बंलखड़न माता के दरबार में पहुंचते हैं। रास्ते में होने वाले कष्ट आसमान से बरसती हुई धूप का उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और नहीं थकान का एहसास होता है। बंलखड़न माता का चमत्कार हैं कि चौबीस क्षेत्र के गांव गांव से पंडा जवारे के घट लिए मीलों की दूरी तय कर मां के दरबार तक पहुंचते हैं। सनातन काल से चली हा रही पंरपरा आज भी उसी अंदाज से निभाई जा रही है ग्राम दसोदी नन्ने सिंह हेमराज सिंह ने बताया सैकड़ों बर्ष पहले मां बलख्ड़न पहाड़ी पेड के नीचे प्रकट हुई थी मां बलख्ड़न चमत्कार से श्रद्धालु चेत्र नवरात्रि पर्व पर घंट भंडारा लेकर मीलों दूर तय करके आते मां बलख्ड़न माता भक्त।
