क्राइम

बंदूक से घायल करने वाले आरोपी को कारावास और जुर्माना, धारा 307 की जगह धारा 324 में न्यायालय ने माना दोषी

तेंदूखेड़ा थाना क्षेत्र का मामला
ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
दमोह। अपर सत्र न्यायाधीश डॉ. आरती शुक्ला पांडेय द्वारा बंदूक से फायर कर एक व्यक्ति को घायल करने वाले आरोपी को अपराध का दोषी मानते हुए भादवि की धारा 324 में दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीन हज़ार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है, दिनांक एक सितंबर 2022 को थाना तेंदूखेड़ा अंतर्गत निवासी लक्ष्मण यादव अपनी मोटरसाइकिल पर घर से तेंदूखेड़ा जा रहा था, जैसे ही वह रास्ते में दोपहर करीब 1 बजे अभियुक्त घासीराम गोंड (52) ग्राम भोड़ी निवासी के घर के पास से निकला, तो अभियुक्त घासीराम जो अपने घर के दरवाजे पर एयरगन बंदूक लिए बैठा था उसने लक्ष्मण को देखते ही पुरानी रंजिश के कारण गालियां देना शुरू कर दी, लक्ष्मण ने गालियां देने से मना किया, तो आरोपी ने अपने हाथ में ली हुई एयरगन बंदूक को लक्ष्मण के ऊपर चला दिया. एयरगन बंदूक के छर्रे लक्ष्मण की कांखरी में लगे.बंदूक चलाने के बाद आरोपी वहां से भाग गया। आहत लक्ष्मण ने थाना तेंदूखेड़ा पहुंचकर घटना के संबंध में रिपोर्ट लिखाई. पुलिस ने लक्ष्मण का चिकित्सीय परीक्षण कराया.पुलिस द्वारा अभियुक्त घासीराम के विरुद्ध भादवि की धारा 307 का मामला पंजीबद्ध किया. मामला न्यायालय में आने पर प्रकरण की संपूर्ण परिस्थितियों एवं साक्ष्य पश्चात न्यायालय द्वारा माना गया कि आरोपी का आशय हत्या का था ऐसा प्रकरण की परिस्थितियों से प्रकट नहीं होता, प्रकरण में आयी साक्ष्य में ऐसी कोई परिस्थितियों नहीं पाई गई कि अभियुक्त अगर अन्य प्रहार कर आहत की हत्या करना चाहता तो क्यों नहीं कर सकता था, अभियुक्त द्वारा एयरगन बंदूक से आहत के शरीर पर किसी मार्मिक अंग पर भी चोट कारित नहीं की गई है जिससे आहत की मृत्यु संभावित हो, प्रकरण में चिकित्सक द्वारा भी आहत को आयी चोट साधारण प्रकृति की बताई है, ऐसे में प्रकरण की परिस्थितियों एवं प्रकरण में आई साक्ष्य से यह प्रमाणित होता है कि अभियुक्त का आशय लक्ष्मण की हत्या का नहीं था, इसलिए न्यायालय द्वारा अभियुक्त को भादवि की धारा 307 में दोषी नही मानते हुए उसके द्वारा आहत को पहुंचाई गई.चोट को देखते हुए धारा 324 में दोषी मानते हुए 2 वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीन हज़ार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।

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