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06 अगस्त 2024: सिंधारा दूज पर कैसे करें पूजन, जानें महत्व और विधि

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
⚜❀┉☆…हरि ॐ…☆❀⚜
🔮 06 अगस्त 2024: सिंधारा दूज पर कैसे करें पूजन, जानें महत्व और विधि
🔘 HEADLINES
▪️ सिंधारा दूज 2024
▪️ मंगलवार, 06 अगस्त 2024
▪️ द्वितीया तिथि आरंभ: 05 अगस्त 2024 को शाम 06:03 बजे
▪️ द्वितीया तिथि समाप्त: 06 अगस्त 2024 को शाम 07:52 बजे
🪙 06 अगस्त 2024 : सिंधारा दूज प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाया जाता है।सिंधारा दूज का त्योहार जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है और भारत के उत्तरी राज्यों में इसे बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। सिंधारा दूज मुख्य रूप से महिलाओं का त्यौहार है, जिसमें वे एक-दूसरे को उपहार देती हैं। इसे ‘सौभाग्य दूज’, ‘प्रीति द्वितीया’, ‘स्थान्य वृद्धि’ या ‘गौरी द्वितीया’ जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इस बार यह पर्व 6 अगस्त को मनाया जाएगा और इसके बाद ही हरियाली तीज मनाई जाएगी। यह पर्व सावन मास में मनाया जाता है। आइए जानते हैं आचार्य श्री गोपी राम से सिंधारा दूज की तिथि शुभ मुहूर्त महत्व और इससे जुड़े उपाय।
📆 श्रावण मास तिथि
▶️ श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ: 05 अगस्त, सोमवार सायं 6:04 मिनट से
▶️ श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त: 06 अगस्त, रात्रि 07:52 मिनट पर
▶️ उदयातिथि के अनुसार सिंधारा दूज 6 अगस्त को मनाई जाएगी।
⚛️ पूजा शुभ मुहूर्त
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04: 21 से 05:03 तक
🌇 प्रातः सांध्य: प्रातः 04:42 से 05:45 तक
🌟 अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:54 तक
✡️ विजय मुहूर्त: दोपहर 03:41 से 03:34 तक
💧 अमृत काल, दोपहर 03:06 से 04:51 तक
🐃 गोधूलि मुहूर्त: सायं 07:08 से 07:29 तक
☝🏼 क्या है सिंधारा दूज ?
सिंधारा दूज हरियाली तीज के एक दिन पूर्व आता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ पूरे विधि विधान से गौरी पूजा भी की जाती है। सिंधारा दूज को गौरी द्वितीया, सौभाग्य दूज या स्थान्य वृद्धि के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मुख्य रूप से यह नव वधुओं या बहुओं का पर्व माना जाता है। इस दिन सास अपनी बहुओं को उपहार देती हैं। सिंधारा दूज के दिन बहूएं अपने माता-पिता द्वारा दिया गया बायना लेकर ससुराल वापस आती है। शाम को गौरी माता/देवि पार्वती की पूजा करने के बाद वह अपनी सास को मायके से लाया हुआ बायना देती है।
🍱 सिंजारा में ये खास सामान होते हैं
◼️ हरी चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, नथ, गजरा,
◼️ मांग टीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद,
◼️ अंगूठी, कंघी आदि दिए जाते हैं। सोने के आभूषण
◼️ मिठाई – घेवर, रसगुल्ला, मावा बर्फी भी भेजी जा सकती है।
◼️ बहू और बेटी के अलावा परिवार के लिए कपड़े।
👉🏽 सिंधारा दूज पर उपाय_
सिंधारा दूज पर गरीबों को गुड़ दान करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
सिंधारा दूज पर किसी गरीब को सफेद कपड़े दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही चंद्र देव और भगवान शिव की कृपा भी मिलती है।
सिंधारा दूज पर महिलाएं मंदिर में जाकर देवी पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
सिंधारा दूज पर चावल और दूध से बनी खीर का दान करना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता के रास्ते खुलते हैं।
💁🏻 हरियाली तीज पर सिंधारा दूज का महत्व
सिंधारा की परंपरा विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में निभाई जाती है। हरियाली तीज से एक दिन पहले विवाहित महिलाओं के मायके या ससुराल से सोलह श्रृंगार का सामान भेजा जाता है, इसे सिंधारा कहते हैं।इसमें कपड़े, श्रृंगार का सामान, मिठाई भेजी जाती है।मान्यता है कि सिंधारा की परंपरा निभाने से बहू और बेटी को हमेशा अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। सिंधारा दूज कैसे मनाई जाती है (सिंधरा दूज विधि)
सिंधरा दूज नवविवाहिता के लिए बेहद खास त्योहार है। कई जगहों पर शादी के बाद नवविवाहिताएं अपने मायके में पहली हरियाली तीज मनाती हैं। उनके लिए ससुराल से सिंधारा आता है, जिसमें सुहाग का सामान, कपड़े, आभूषण होते हैं। इन्हें पहनकर वह हरियाली तीज की पूजा करती हैं। सिंधोरा में मिले उपहार भी एक-दूसरे को बांटे जाते हैं। फल, मिठाई, उपहार, कपड़े और सुहाग का सामान बांटने का भी रिवाज है।

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