कोटा खजारी में वादा खिलाफी की सजा भुगत रहे 300 ग्रामीण
तीन साल से सड़क नहीं पुल नहीं इलाज और शिक्षा से कटे गांव के लोग
चुनाव बहिष्कार पर मिला था आश्वासन अब ग्रामीण बोले अबकी बार कोई नहीं मानेंगे झूठे वादा
सिलवानी । मुख्यालय से महज 12 किमी दूर बसे कोटा खजारी गांव के 300 से अधिक ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। तीन साल पहले जब ग्रामीणों ने सड़क पुल और पुलिया के अभाव में विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था तब प्रशासन और अधिकारियों ने वादा किया था चुनाव के बाद पक्की सड़क और पुल बनेगा। लेकिन अब विधानसभा चुनाव को दो साल और लोकसभा चुनाव को एक साल बीत चुका है ना सड़क बनी ना पुल और ना ही पुलिया।
बरसात में टूटा संपर्क
गांव के पास बहने वाली कोसीकसा नदी पर ग्रामीणों ने करीब तीन साल पूर्व चंदा एकत्रित कर करीब 50,000 रुपए की लागत से खुद अस्थायी पुलिया का निर्माण कराया था जो हाल ही में हुई बारिश में बह गयी। अब हालात यह हैं कि गर्भवती महिलाओं और मरीजों को खटिया पर ले जाना पड़ता है
बच्चे दलदल और उफनती नदी पार कर स्कूल नहीं जा पा रहे हैं अस्पताल और राशन लाने तक के लिए भी गांव पूरी तरह कट चुका है
दलदल में फिसलते ग्रामीण वाहन नहीं पहुंचते
गांव तक पहुंचने वाली करीब 2 किमी की कच्ची सड़क आज कीचड़ और दलदल में तब्दील हो चुकी है। दो पहिया और चार पहिया वाहन फंस जाते हैं। पूर्व सरपंच सुदर्शन आदिवासी और ग्रामीण दीनदयाल आदिवासी बताते हैं बारिश में रोज लोग गिरते हैं घायल होते हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।
शिकायतों के बाद भी नहीं आई कोई राहत
ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन 10 दिन से आवागमन पूरी तरह ठप है और आज तक कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों का कहना है कि अब वे चुनावी वादों पर भरोसा नहीं करते हर बार वादे होते हैं हर बार हम ठगे जाते हैं
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
पटना चौराहे से कोटा खजारी तक पक्की सड़क
कोसीकसा नदी पर मजबूत पक्का पुल कच्चे नालों पर पक्की पुलिया गांव तक एंबुलेंस और स्कूली वाहन की सुविधाएं होयह सिर्फ कोटा खजारी की कहानी नहीं बल्कि उस हर गांव की सच्चाई है जहां वोट के बाद वादे भुला दिए जाते हैं।अब गांव कह रहा है अबकी बार बादा खिलाफी नहीं सहेंगे।



