ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 30 नवम्बर 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 30 नवम्बर 2023

30 नवम्बर 2030 दिन गुरुवार को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। आज संकष्टि श्रीगणेश चतुर्थी व्रत है। आज सायं भगवान श्रीगणेश जी की पुजा के उपरान्त चन्द्र उदय (रात्री :: 07:39 PM) होने पर चन्द्र देवता को अर्घ्य प्रदान करके ही व्रत खोलना चाहिए। आज सौभाग्य सुंदरी का पावन व्रत भी है। आज तृतीया और सौभाग्य सुन्दरी व्रत का संयोग बहुत ही सुंदर मुहूर्त का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए आज माता गौरी की पुजा में सिन्दूर एवं सुहाग की सामाग्री अवश्य चढ़ाएँ। आप सभी सनातनियों को “श्रीगणेश चतुर्थी एवं सौभाग्य सुन्दरी व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें एवं मंगलकामनाएँ।।
मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।
गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।
इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
यदि गुरुवार को स्त्रियां हल्दी वाला उबटन शरीर में लगाएं तो उनके दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।और कुंवारी लड़कियां / लड़के यह करें तो उन्हें योग्य, मनचाहा जीवन साथी मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ अयन – दक्षिणायन
☀️ ऋतु – सौर हेमंत ऋतु
⛈️ मास – मार्गशीर्ष मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष वार गुरुवार तृतीया तिथि 02:25 PM तक उपरांत चतुर्थी
✏️ तिथी स्वामी : तृतीया: इस तिथि में गौरी जी की पूजा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है. कुबेर जी भी तृतीया के स्वामी माने गये हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र आद्रा 03:01 PM तक उपरांत पुनर्वसु
🪐 नक्षत्र स्वामी : नक्षत्र का स्वामी राहु है । तथा नक्षत्र के देवता रुद्र अर्थात शिव हैं।
🔕 योग – शुभ योग 08:14 PM तक, उसके बाद शुक्ल योग
प्रथम करण : विष्टि – 02:24 पी एम तक
द्वितीय करण : बव – 02:53 ए एम, दिसम्बर 01 तक
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 03:33:00 से 05:08:00 तक
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 1:30 से 3:00 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:43:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:17:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:47 ए एम से 05:38 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:12 ए एम से 06:29 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 01:56 पी एम से 02:41 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:38 पी एम से 06:03 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:40 पी एम से 06:57 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग : 03:01 पी एम से 06:30 ए एम, दिसम्बर 01
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, दिसम्बर 01
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-गणेश मंदिर में बेसन के लड्डू चढ़ाएं।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार : श्री गणेश चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 8:18 मि.), सौभाग्य सुंदरी पावन व्रत, संकष्टि श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, माता गौरी पुजा, बारबाडोस स्वतंत्रता दिवस, स्पेन से डोमिनिकन गणराज्य स्वतंत्रता दिवस, यमन स्वतंत्रता दिवस, प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस जयन्ती, प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल स्मृति दिवस, रासायनिक युद्ध के सभी पीड़ितों के लिए स्मरण दिवस
✍🏼 विशेष – तृतीया तिथि में नमक एवं चतुर्थी को मूली का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य माना गया है। चतुर्थी को मूली एवं तिल का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला और आरोग्यकारी तिथि मानी जाती है। इसकी स्वामी माता गौरी और कुबेर देवता हैं, जया नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी जाती है।
🗼 Vastu tips 🗽
फिश एक्वेरियम को रखने की सही दिशा यदि आप घर में फिश एक्वेरियम रखते हैं। तो इसे वास्तु के अनुसार पूर्व, उत्तर या पूर्व उत्तर दिशा में रखें। माना जाता है कि मछलियां जहां होती हैं वहां सकारात्मक ऊर्जा के प्रवह को बढ़ाती हैं। फिश एक्वेरियम को रखने से पहले दिशा का चयन अवश्य कर लें नहीं तो इसका लाभ नहीं मिलेगा।
मछली पालने से नहीं रहती धन की कमी मछली को जल की रानी तो कहा ही गया है। इसी के साथ वास्तु के नजरिये से भी इसे घर में पालना बेहद शुभ माना गया है। जिस घर में लोग एक्वेरियम में मछलियां पालते हैं उस घर में धन की कमी नहीं रहती। माना जाता है कि मछली पालने, उनकी सेवा करने और उनको दाना डालने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार मत्स्य का ही था।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
डल स्किन को चमकाएं: घी में ऐसे गुण हैं कि यह आपकी त्‍वचा के रूखेपन को दूर करने के साथ-साथ आपकी स्किन को मुलायम, चमकदार और खुबसूरत बनाने में मदद करता है। पैरों के तलवे में देसी घी की मालिश से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिससे स्किन पर नई सेल्स बनती हैं और रंग साफ होता है।
नींद न आने की समस्या : रात को सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर गर्म घी की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधर होगा और आपके पैरों को आराम मिलेगा। साथ ही आपको बेहद अच्छी नींद आएगी। दरअसल, घी में विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो तनाव और स्ट्रेस को आसनी से कम करने में मदद करते हैं।
स्ट्रेस दूर करे: रात को सोने से पहले देसी घी को हल्का गर्म करके अपने पैरों के तलवों और अंगूठे के आसपास अच्छी तरह लगाएं। साथ ही उनकी अच्छी तरह से मालिश करें। देसी घी में मौजूद विटामिन ए, ई और के होते हैं जो तनाव कम करने में मदद करते हैं।
🥝 आरोग्य संजीवनी 🥝
अस्थमा और एलर्जी में फायदेमंद- सीताफल खाने से एलर्जी की समस्या को दूर किया जा सकता है। रोजाना शरीफा खाने से अस्थमा के मरीजों को भी फायदा मिलता है। इससे फेफड़ों पर आई सूजन कम होती है और एलर्जी को कम करने में भी मदद मिलती है। शरीफा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो अस्थमा के खतरे को कम करते हैं।
हार्ट को बनाए हेल्दी- सीताफल दिल के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके सेवन से हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। सीताफल में विटामिन-बी6 अच्छी मात्रा में होता है जिससे स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। हार्ट की बीमारियों से बचने के लिए डाइट में सीताफल जरूर शामिल करें।
वजन बढ़ाएं- अगर आप दुबले-पतले हैं तो आपको सीताफल जरूर खाना चाहिए। सीताफल खाने से शरीर का वजन बढ़ता है। इससे तुरंत एनर्जी मिलती है और लगातार खाने से वजन भी बढ़ने लगता है। थकान और कमजोरी होने पर सीताफल जरूर खाएं।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
सनातन संस्कृति में वो सभी चीजों को महत्व दिया गया है। जिससे मनुष्य का जीवन बहतर बनाया जा सके। आज हम आपको गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज के महल के प्रवेश द्वार के बारे में बताएंगे। दरअसल गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों मे से एक है। इसमे जीवन के जन्म और मरण के चक्र, नरक लोक, स्वर्ग लोक और मनुष्यों के कर्मों के फल के बारे में सारांश से सब कुछ वर्णित है।
इस पुराण में विष्णु जी के श्री मुख द्वारा वो सभी बाते बताई गई हैं। जिसे पक्षिराज गरुड़ नें श्री हरि से प्राणियों के उद्दार के लिए पूछा है। जिसमें भगवान नारायण ने नरक लोक की यातनाओं के बारे में तो बताया ही है। साथ ही यह भी बताया है कि नरक लोक और पाप कर्मों से कैसे बचा जा सकता है। जिससे मृत्यु के पश्चात जीवात्मा को मोक्ष प्राप्त हो सके। तो आइए अब आज हम गरुड़ पुराण के अनुसार श्री गोपी राम से जानेंगे की यमलोक में प्रवेश करने वाली जीवात्माओं को उनके कर्म के अनुसार किस द्वार से प्रवेश मिलता है और यमलोक में यमराज देवता का महल आखिर कैसा है।
यमपुरी में बने हैं चार प्रवेश द्वार
गरुड़ पुराण में यहा बताया गया है कि यमपुरी में यमलोक के अंदर जाने के लिए चार प्रवेश द्वार जीवात्माओं के लिए बने हैं। प्राणी अपने जीवन काल में जैसा कर्म करता है। उसे वैसा ही भोगना पड़ता है। वैसो तो यमलोक में प्रवेश करने के लिए चार द्वार बताए गएं हैं और यमराज देवता का महल कई योजन लंबा और विशाल है। इन चार द्वारों को जीवात्मा के कर्मों के अनुसार विभाजित किया गया है।
चतुरस्त्रं चतुर्द्वरमुच्चप्राकारवेष्टितम्। योजनानं सहस्त्रं हि प्रमाणेन तदुच्यते।।
तस्मिन् पुरेअस्ति सुभगं चित्रकुप्तस्य मन्दिरम्। पञ्चविंशतिसंखयाकैर्योजनैर्विस्तृतायतम्।।
पूर्व द्वार- यमलोक का पूर्व द्वार सिद्ध योगियों, महान तपस्वीयों, ऋषियों-मुनियों और साधु-संतों के लिए बना है। इस द्वार से यही पुण्य जीवात्माओं को प्रवेश मिलता है। जब यह जीवात्माएं यमपुरी पहुंचती हैं। तो इनके लिए पूर्व का द्वार खुलता है। गरुड़ पुराण में यह द्वार कई प्रकार के रत्न एवं मोतियों से जड़ा हुआ है। इस द्वार पर गंधर्व, अप्सराएं एवं देवता इन पुण्य कर्म करने वाली जीवात्माओं के स्वागत हेतु खड़े रहते हैं। पुण्य जीवातमाएं जब इस द्वार से अंदर की ओर प्रवेश करती हैं तो सबसे पहले इन पर पुष्प वर्षा होती है। फिर चित्रगुप्त इनका अंदर आदर सत्कार करते हैं और इनको स्वर्ग का मार्ग प्रदान करते हैं।
पश्चिम द्वार- यमलोक का पश्चिम द्वार दान्य-पुण्य करने वाली जीवात्माओं के प्रवेश के लिए होता है। जिन लोगों ने अपने जीवन में सदैव धर्म का पालन किया है और निस्वार्थ भाव से सबकी सेवा की है या जिसन तीर्थ यात्रा के दौरान अपने प्राण त्यागे हों या किसी तीर्थ स्थल पर उसके प्राण निकले हों। ऐसी जीवात्माओं को यमपुरी में पश्चिम द्वार से प्रवेश करना होता है। इस द्वार पर भी रत्न इत्यादि जड़े हुए हैं।
उत्तर द्वार- जो लोग सत्य वादी होते हैं, माता-पिता की सेवा करते हैं, लोगो की सहायता करते हैं। ऐसे लोगों को यमलोक के उत्तर द्वार से प्रवेश करना होता है।
दक्षिण द्वार- यह द्वार सबसे कष्ट कारी और इसका दृश्य बाकी द्वारों से बिल्कुल अलग होता है। यह द्वार उन प्राणियों के लिए होता है जिन्होनें जीवन भर पाप कर्म किए हैं। मासाहार, मदिरा सेवन करने वाले, माता-पिता को दुःख देने वाले, भगवान को न मानने वाले, पति-पत्नी को धोखा देने वाले और अन्य पाप कर्म करने वाली जीवात्माओं को दक्षिण द्वार से प्रवेश करना होता है। इस द्वार तक पहुंचने से पहले ही जीवात्मा अनेक प्रकार की यातनाओं को झेलते हुए यमपुरी पहुंचती है। अनेक नरक के शहरों एवं वैतरणी नदी से दुर्गम यातनाओं को भोगते हुए वह यमलोक के द्वार में आने से पहले ही भयभीत हो जाती है। यह द्वार भयानक है, इसमे घोर अंधकार है और इस द्वार में जंगली जानवर जीवात्माओं को दांतों से काटते हैं। कई बार तो ये जंगली जानवर इन पापी जीवात्माओं को छोड़ते तक नहीं है। ऐसे में ये पापी जीवात्माएं विलाप करते हुए किसी तरह इस द्वार में प्रवेश करती है और फिर इन्हें कई प्रकार की नरक यतानाओं को भोगना पड़ता है।
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⚜️ तृतीया तिथि केवल बुधवार की हो तो अशुभ मानी जाती है अन्यथा इस तिथि को सभी शुभ कार्यों में लिया जा सकता है। आज माता गौरी की पूजा करके व्यक्ति अपनी मनोवाँछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। आज एक स्त्री माता गौरी की पूजा करके अचल सुहाग की कामना करे तो उसका पति सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। आज भगवान कुबेर जी की विशिष्ट पूजा करनी चाहिये। देवताओं के कोषाध्यक्ष की पूजा आज तृतीया तिथि को करके मनुष्य अतुलनीय धन प्राप्त कर सकता है।
तृतीया तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर होता है अर्थात उनकी बुद्धि भ्रमित होती है। इस तिथि का जातक आलसी और मेहनत से जी चुराने वाला होता है। ये दूसरे व्यक्ति से जल्दी घुलते मिलते नहीं हैं बल्कि लोगों के प्रति इनके मन में द्वेष की भावना भी रहती है। इनके जीवन में धन की कमी रहती है, इन्हें धन कमाने के लिए काफी मेहनत और परिश्रम करना पड़ता है।

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