Aaj ka Panchang आज का पंचांग बुधवार, 29 मार्च 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 29 मार्च 2023
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
👣 29 मार्च 2023 दिन बुधवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज बासन्तीय नवरात्रि का आठवाँ दिन है। आप सभी सनातनी बंधुओं को बासन्तीय नवरात्रा के आठवें दिन की माता चंडी की सातवीं स्वरूप माँ महागौरी के उपासना की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें एवं अनन्त-अनन्त बधाइयाँ। मातारानी से हमारी हार्दिक प्रार्थना यही है, कि आप सभी सनातनियों के सभी समस्याओं का समाधान कर उन्हें सुखद एवं आनंददायी जीवन प्रदान करें।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर वसंत ऋतु
🌤️ मास – चैत्र मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – अष्टमी 22:01 PM बजे तक उपरान्त नवमी तिथि है।
✏️ तिथि स्वामी : तिथि के स्वामी भगवान शिव है। अष्टमी: इस दिन के स्वामी रुद्र हैं।
💫 नक्षत्र – आर्द्रा 21:07 PM तक उपरान्त पुनर्वसु नक्षत्र है।
🪐 नक्षत्र स्वामी : नक्षत्र का स्वामी राहु है । भगवान शिव आर्द्रा नक्षत्र के मुख्य देवता हैं जिन्हें विभिन्न रुद्र रूपों में अवतरित होने के लिए जाना जाता है।
📢 योग – शोभन 01:16 AM तक उपरान्त अतिगंड योग है।
⚡ प्रथम करण : विष्टि – 08:01 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : बव – 09:07 पी एम तक
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो, यात्रा करनी ही हो तो धनिया, तिल की वस्तु, ईलायची अथवा पिस्ता खाकर यात्रा कर सकते है।
🔥 गुलिक काल : बुधवार का (अशुभ गुलिक) काल 10:53 ए एम से 12:26 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 12:00 बजे से 13:30 बजे तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदय – प्रातः 05:54:38
🌅 सूर्यास्त – सायं 18:06:32
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:42 ए एम से 05:29 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:05 ए एम से 06:15 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:19 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:36 पी एम से 06:59 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 06:37 पी एम से 07:47 पी एम
💧 अमृत काल : 09:02 ए एम से 10:49 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:02 ए एम, मार्च 30 से 12:49 ए एम, मार्च 30
❄️ रवि योग : 08:07 पी एम से 06:14 ए एम, मार्च 30
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – दुर्गा अष्टमी, अशोकाष्टमी, साईंबाबा उत्सव प्रारंभ – शिर्डी, आयंबिल ओली प्रारंभ (जैन), अन्नपूर्णा पुजा (बंगाल), स्वतंत्रता सेनानी एवं नेता लक्ष्मण नायक शहीदी दिवस, इंग्लैंड के प्रधानमन्त्री जॉन मेजर जन्म दिवस, साहित्यकार सियारामशरण गुप्त स्मृति दिवस, (रामायण’ में सुग्रीव की भूमिका निभाने वाले) श्याम सुंदर कलानी पुण्य तिथि, आर्य समाज स्थापना दिवस (1875), अंतराष्ट्रीय दिवस, राष्ट्रीय दिवस
✍🏼 विशेष:– अष्टमी तिथि को नारियल त्याज्य बताया गया है। अष्टमी तिथि बलवती अर्थात स्ट्रांग तिथि मानी जाती है। इसका मतलब कोई भी विकट कार्य आज आप कर-करवा सकते हैं। इतना ही नहीं अपितु अष्टमी तिथि व्याधि नाशक तिथि भी मानी जाती है। इसका मतलब आज आप कोई भी भयंकर रोगों के इलाज का प्रयत्न भगवान के नाम के साथ करेंगे-करवाएंगे तो निश्चित लाभ होगा। यह अष्टमी तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह अष्टमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।
┈┉ΦΦΦ❀((हरि ॐ))❀ΦΦΦ┉┈
29 मार्च 2023 दिन बुधवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज महागौरी देवी-मंगलागौरी यात्रा दर्शन एवं पूजन आदि करना चाहिये। आज शीतलाष्टमी का पावन व्रत है। आज माता महागौरी का पूजन एवं दर्शन करना बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है। आज सायंकाल में कलश रखा जाता है एवं रात्रि में पूरी रात्रि बैठकर माताजी का पूजन किया जाता है। फिर अगले दिन माता का प्रसाद बासी भोजन करना शास्त्र सम्मत माना गया है। ऐसा उत्तर प्रदेश एवं बिहार आदि में किया जाता है। आज माता अन्नपूर्णा की परिक्रमा आदि किया जाता है। आज महान सम्राट अशोक की जन्म जयन्ती भी है। आज बुधाष्टमी एवं महाष्टमी का पावन व्रत है जो सूर्यग्रहण के सामान स्नान-दानादि का पुन्य देती है एवं हरिद्वार में नदी में स्नान एवं मनसा देवी के दर्शन पूजन का विधान भी है। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी कहते हैं। इसे महाअष्टमी कहा जाता है। इस साल चैत्र नवरात्र की दुर्गाष्टमी 29 मार्च को है। दुर्गाष्टमी पर व्रती कन्याओं को भोजन करवाते हैं और उन्हें यथा संभव दान देते हैं। आप सभी सनातनियों को शीतलाष्टमी अथवा महाअष्टमी व्रत की हार्दिक शुभकामनायेँ।
🗺️ Vastu tips 🗽
मनी प्लांट लगाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस प्रकार ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा मनी प्लांट के पौधे के लिए उचित दिशा नहीं है, उसी प्रकार पूर्व-पश्चिम दिशा भी मनी प्लांट के लिए उचित दिशा नहीं है। इस दिशा में मनी प्लांट का पौधा लगाने से दांपत्य जीवन में अड़चनें आती हैं और अनबन की स्थिति पैदा होती है।
वास्तु के अनुसार, मनी प्लांट दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना ठीक माना जाता है। इस दिशा में ये पौधा लगाने से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
यदि आप मनी प्लांट का पौधा लगा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इसके बेल को जमीन पर न फेलने दें। जमीन पर फैलीं मनी प्लांट की बेल घर की सकारात्मक ऊर्जा के लिए अच्छी नहीं होती। इससे वास्तु दोष बढ़ता है।
मनी प्लांट का पौधा लगाने के बाद उसका ध्यान जरूर रखें।समय-समय पर इसे पानी देना जरूरी है।लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी देना भी नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए सीमित मात्रा में पानी दें।
इन्हें हमेशा दीवार या किसी डंडे के सहारे से बांधकर रखना चाहिए। साथ ही इसके पत्ते मुरझाए और सफेद नहीं होने चाहिए। ये अशुभता का प्रतीक माने जाते हैं। ऐसी पत्तियों को तुरंत काट देना चाहिए।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा
अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:…… शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें | जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है |
इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा | अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||’ जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें | ऐसा 10 बार करें | कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा |
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
चीजों से आयुष्य और आरोग्य बढ़ता है :
संयम : पति – पत्नी हैं फिर भी अलग रहें, थोडा संयम से रहें |
उपवास : 15 दिन में एक उपवास करें |
सूर्य किरणों का सेवन : रोज सुबह सिर को ढककर शरीर पर कम-से-कम वस्त्र धारण करके 9 मिनट सूर्य की ओर मुख व 10 मिनट पीठ करके बैठे | सूर्य से आँखें न लडाये |
प्राणायाम : प्रात:काल 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करना विशेष लाभकारी है | यह समय प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मन:शक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है |
मंत्रजप :मंत्रजप से आयुष्य, आरोग्य बढ़ता है और भाग्य निखरता है |
इन 5 कारणों से आयुष्य नष्ट होता है :
अति शरीरिक परिश्रम
भय
चिंता
कामविकार का अधिक भोग
अंग्रेजी दवाइयाँ, कैप्सूल, इंजेक्शन, ऑपरेशन आदि की गुलामी
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
जगतजननी, जगदम्बा, माता दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा-उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और तत्काल फलदायिनी एवं सिद्धिदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी पापों का क्षय हो जाता है और पूर्वकृत पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। माता के भक्तों को भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं आते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।
माता महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी। जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें स्वीकार किया। कहा जाता है, कि स्वयं शिव जी ने इनके शरीर को गंगा-जल से धोया था। कहते हैं, कि तब माता का स्वरुप विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण का हो गया था और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
माता महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवता, ऋषि तथा मनुष्य सभी देवी के इसी रूप की प्रार्थना इस मन्त्र से करते हैं। “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।” माता महागौरी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है, कथा के अनुसार एक बार की बात है, कि एक शेर काफी भूखा था। वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां माता देवी उमा शिव को पति रूप में प्राप्ति हेतु तपस्या कर रही थीं।
देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया और देवी जब तपस्या से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गयी। तब माता ने उसे अपना सवारी बना लिया क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए माता गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।
अष्टमी के दिन सुहागिनी महिलाओं को अपने सुहाग की दीर्घायु एवं सफलता के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करना चाहिये। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में माता महागौरी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर माता महागौरी के यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली देवी हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। मां का गौर वर्ण है, इस गौर वर्ण की तुलना शंख, चन्द्रमा और कुंद के पुष्प से की गयी है।
इनकी आयु आठ वर्ष की मानी जाती है यथा – ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी।’ इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं तथा इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल विराजमान है। ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।
माता अपने भक्तों के भीतर पल रही बुराइयों को मिटाकर उनको सद्बुद्धि एवं ज्ञान प्रदान करती है। मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और उसके भीतर श्रद्धा, विश्वास एवं निष्ठा की भावनायें प्रबल होती है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए अथवा अभाव में 2 कन्याओं की भी पूजा की जा सकती है। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से कम होनी चाहिये।
भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा एवं उपहार भी देनी चाहिए। माता महागौरी की आराधना करने से भक्तजनों को जीवन की सही राह का ज्ञान होता है। जिस राह पर चलने से जीव का कल्याण होना निश्चित हो जाता है। तथा व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक बना लेता है। जो भी साधक नवरात्रि में माता के इस रूप की आराधना करते हैं माँ उनके समस्त पापों का नाश करती है। अष्टमी के दिन व्रत रहकर मां की पूजा करने और उन्हें भोग लगाकर मां का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति के अन्दर के सारे दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।
आठवें दिन का भोग – जैसा की आप जानते हैं, आठवां दिन या अष्टमी देवी महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन श्रद्धा से देवी माँ को नारियल प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। आठवीं शक्ति “माँ महागौरी” हैं भगवान शिव के कहने पर माँ महाकाली ने तपस्या कर ब्रह्मदेव सें अपने लिए गौर वर्ण का वरदान माँगा था। माँ महागौरी को नारियल, खिचड़ी एवं खीर का भोग भी बहुत ही प्रिय है।
आज माता महागौरी को कहीं-कहीं नारियल के आलावा हलवे का भोग भी लगाया जाता है। बाद में उस नारियल को किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को दक्षिणा सहित दान कर दिया जाता है। नवरात्र के आठवें दिन हवन करना चाहिये जिसमें कंडे (गाय के गोबर के उपले) जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा आदि से हवन करना चाहिये। हो सके तो नवरात्रे के दसों दिन कुँवारी कन्याओं को भोजन करायें।
संभव न हो तो कम-से-कम अष्टमी के दिन तो अवश्य ही करवाना चाहिये क्योंकि इस दिन इसका विशेष महत्व होता है। कन्या भोजन के बिना नवरात्रि का उपवास एवं पूजन सब अधुरा माना जाता है। अन्य ग्रंथों में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन एवं कन्या भोज को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। नवरात्रियों में देवी मां के सभी साधक कन्याओं को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। सनातन धर्म के लोगों में सदियों से ही कन्या पूजन और कन्या भोज कराने की परंपरा चली आ रही है।
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⚜️ अष्टमी तिथि के देवता भगवान शिव भोलेनाथ जी माने जाते हैं। इसलिये इस अष्टमी तिथि को भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करना चाहिए। आज अष्टमी तिथि में कच्चा दूध, शहद, काला तिल, बिल्वपत्र एवं पञ्चामृत शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। घर में कोई रोगी नहीं होता एवं सभी मनोकामनाओं की सिद्धि तत्काल होती है।
मंगलवार को छोड़कर बाकि अन्य किसी भी दिन की अष्टमी तिथि शुभ मानी गयी है। परन्तु मंगलवार की अष्टमी शुभ नहीं होती। इसलिये इस अष्टमी तिथि में भगवान शिव के पूजन से हर प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इस अष्टमी तिथि को अधिकांशतः विष्णु और वैष्णवों का प्राकट्य हुआ है। इसलिये आज अष्टमी तिथि में भगवान शिव और भगवान नारायण दोनों का पूजन एक साथ करके आप अपनी सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण कर सकते हैं।
अष्टमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति धर्मात्मा होता है। मनुष्यों पर दया करने वाला तथा हरेक प्रकार के गुणों से युक्त गुणवान होता है। ये कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी निपुणता से पूरा कर लेते हैं। इस तिथि के जातक सत्य का पालन करने वाले होते हैं यानी सदा सच बोलने की चेष्टा करते हैं। इनके मुख से असत्य तभी निकलता है जबकि किसी मज़बूर को लाभ मिले।