पर्यावरणमध्य प्रदेश

ऑक्सीजन पार्क में विकास समिति करेगी ‘वृक्ष त्रयोदशी’

नपा द्वारा नीम के पेड़ की कटाई पर आक्रोश
रायसेन। हरियाली बचाने के लिए प्रतिबद्ध रायसेन जिला विकास समिति ने नगर पालिका द्वारा की गई एकल वृक्ष कटाई को प्रतीकात्मक आंदोलन में बदल दिया है। ऑक्सीजन पार्क में 15 वर्ष पुराने नीम के वृक्ष की कटाई से आहत समिति 17 जून को दोपहर 1 बजे ‘वृक्ष त्रयोदशी’ का आयोजन करेगी, जिसमें श्रद्धांजलि स्वरूप प्रसादी वितरण भी किया जाएगा।
समिति के वरिष्ठ सदस्य मनोज कुशवाह ने कहा कि नगर पालिका ने विकास के नाम पर हरियाली की हत्या की है। उन्होंने स्पष्ट कहा—”हमें ऐसी स्वच्छ चौपाटी नहीं चाहिए जो पर्यावरण के लिए घातक हो। हमें हरा-भरा रायसेन चाहिए, न कि कंक्रीट में दम घोंटता नगर।”
औपचारिकता में फंसी हरियाली
समिति के सदस्य गोपाल साहू (अधिवक्ता) ने बताया कि छायादार व औषधीय गुणों से भरपूर नीम के वृक्ष को काटने के बाद नगर पालिका ने केवल एक छोटे कर्मचारी को नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली। कहा गया कि वह 20 पौधे लगाए और तीन वर्षों तक देखभाल करे। इस प्रक्रिया में पूरी घटना को एक पन्ने में समेटकर फाइल बंद कर दी गई।
कटे वृक्ष की जगह नए नीम का संकल्प
अधिवक्ता शशांक धाकड़ ने जानकारी दी कि समिति उसी स्थान पर एक नया नीम का पौधा रोपकर उसे संरक्षित करेगी। यह न सिर्फ वृक्ष को श्रद्धांजलि होगी, बल्कि नगरवासियों के लिए हरियाली का संदेश भी होगा।
कार्यक्रम में हरित विश्वकर्मा (आयकर अधिवक्ता) प्रसादी वितरण की व्यवस्था देखेंगे, जबकि अभिषेक राठौर (मुखर्जी नगर) की ओर से ‘पगड़ी रस्म’ अर्पित की जाएगी।
शोक में शामिल होंगे पर्यावरण प्रेमी
समिति के शोकाकुल सदस्य राजीव चौबे, नीलेश गोयल, गोविंद सोनी, अंकित गुप्ता, दीपक ठाकुर, संघर्ष शर्मा, पवन शाक्य (पूर्व पार्षद), बंटी चक्रवर्ती, अलर्क राजपूत , विवेक दुबे, लोक भूषण दुबे, अमित ठाकुर, जावेद अहमद, याकूब खान, नीलेश जैन ने नगर के पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों से आग्रह किया है कि वे इस श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित हों और हरियाली की रक्षा हेतु यह एकजुटता दर्शाएं।
समिति ने इस आयोजन को एक प्रतीकात्मक प्रयास बताया है, जिसका उद्देश्य है—सोए हुए प्रशासन और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को जगाना, ताकि भविष्य में किसी वृक्ष की कटाई इतनी आसानी से न हो।
सादर
*रायसेन जिला विकास समिति,*
*बस एक कदम और…*
पर्यावरण की ओर

Related Articles

Back to top button