खाद का संकट:जरूरत डीएपी की, अधिकारियों ने बुलवा लिया यूरिया, अब किसान फिर परेशान होंगे
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन। जिले में रबी फसल की बोवनी के लिए किसानों को डीएपी खाद की जरूरत है, लेकिन पिछले तीन दिन से गोदामों में एक बोरी खाद नहीं हैं, ऐसे में जिला मुख्यालय पर स्थित संजय नगर भोपाल रोड़ बने गोदाम में खाली पड़े हैं। अधिकारियों ने यूरिया और डीएपी की डिमांड शासन को भेजी थी, जिसमें से यूरिया का रैक आ गया है, लेकिन खाद को लेकर अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।
पिछले 4 दिन तक डीएपी खाद आने की अभी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। ऐसे में जिन व्यापारियों के पास थोड़ा बहुत खाद है, वे दोगुने दामों में किसानों को बेच जमकर लूट रहे हैं। जिला मुख्यालय पर किसान डीएपी के लिए एक-एक सप्ताह से चक्कर काट रहा है।वही दूसरी ओर अधिकारियों द्वारा यूरिया खाद का स्टॉक कराया जा रहा है। एक दिन पहले ही विदिशा गुलाबगंज से 2600 टन यूरिया का रैक रायसेन पहुंचा है। जिसे जिले भर की गोदामों में पहुंचाया जा रहा है। बुधवार को सुबह जिला मुख्यालय के संजय नगर स्थित भोपाल रोड विपणन संघ गोदाम का जायजा लिया तो यहां पर यूरिया की चार ट्रक खड़े हुए थे, जिन्हें गोदाम में खाली कराया जा रहा था। अवकाश होने की वजह से सोमवार यहां पर एक भी किसान मौजूद नहीं था। कुछ पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई थी।
गोदाम के हम्माल ,कर्मचारियों से जानकारी ली तो बताया कि एनपीके खाद व यूरिया खाद तो पर्याप्त है, लेकिन डीएपी खाद का स्टॉक दो दिन पहले ही खत्म हो गया है। इसके बाद संजय नगर भोपाल रोड स्थित जिला विपणन संघ गोदाम का जायजा लिया। यहां पर भी डीएपी खाद का स्टॉक नहीं होना बताया गया। गोदाम खाद के अंदर ट्रकों से लाया गया यूरिया खाद खाली कराया जा रहा था। कुछ किसान मजबूरी में एनपीके खाद 10:26:26 खाद लेने के लिए काउंटर पर कतार में लगे थे। बताया गया है कि अभी भी जिले में करीब 4 हजार टन डीएपी की आवश्यकता है।लेकिन दो दिन से डीएपीखाद उपलब्ध ही नहीं है। अब अधिकारी डीएपी की जगह एनपीके खाद से बोवनी करने की सलाह दे रहे हैं।जबकि रबी सीजन की फसल बोवनी के लिए हम लोग वर्षों से डीएपी खाद का ही उपयोग करते हैं।
जितनी जरूरत, उतना नहीं मिला खाद। जिले में गेहूं, चना सहित अन्य रबी फसलों की बोवनी के लिए का समय निकलता जा रहा है। लेकिन डीएपी खाद न मिलने से किसान चिंतित हैं। किसान रामसिंह कुशवाह, रामसेवक पटेल, भुजेन्द्र जादौन ने बताया कि उनकी 30 ,13 एकड़ जमीन है। बीते सप्ताह कई दिनों से कतार में लगने के बाद बमुश्किल से 5 बोरी डीएपी खाद मिली थी, जिससे केवल चार एकड़ रकबा में ही खाद डाली गई, शेष फसल की बोवनी के लिए अभी भी डीएपी खाद का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जिन्हें 30 से 40 बोरी डीएपी की जरूरत है।जबकि उन्हें महज 4 से 6 बोरी ही मिल पाई है। किसानों ने बताया कि जिस तरह यूरिया खाद का अभी से स्टॉक किया जा रहा है, यदि पहले से डीएपी का स्टॉक कर लिया होता तो आज किसानों को भटकना नहीं पड़ता।
डीएपी से 275 रुपए महंगी पड़ रही एनपीके खाद…
किसानों का कहना है कि भले ही चाहे अधिकारी एनपीके खाद लेने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन यह डीएपी से 275 रुपए महंगी पड़ रही है। डीएपी खाद की एक बोरी 1200 रुपए में मिलती है, जबकि एनपीके खाद 10:26:26 की एक बोरी 1475 रुपए में मिल रही है। ऐसे में जो किसान 275 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि इस साल खरीफ की फसल में नुकसान होने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। किसानों को यहां-वहां से कर्जा लेकर खाद, बीज का इंतजाम करना पड़ रहा है, अब अधिकारी मंहगे दामों पर एनपीके लेने की सलाह दे रहे हैं।
कुछ दिनों बाद आएगा डीएपी खाद का स्टॉक
अभी जिले में डीएपी का स्टॉक लगभग खत्म हो गया है। किसान डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके खाद का उपयोग करें, इससे भी बेहतर परिणाम सामने आते हैं। एनपीके खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। आने वाले दिनों में यूरिया की मांग भी बढ़ेगी। जिसके चलते अभी से यूरिया का स्टॉक किया जा रहा है।ताकि किसानों को परेशानी न हो। कुछ दिनों बाद डीएपी की रैक भी आने वाली है। जिससे डीएपी की किल्लत भी खत्म हो जाएगी।प्रमोद कुमार भार्गव , जिला विपणन अधिकारी