पोषण आहार के खातों में खेल : रायसेन जिले के अफसरों ने भी मानदेय के करोड़ों अपने खातों में डाले
अब होगी सख्ती से वसूली, महिला एवं बाल विभाग रायसेन में सालों से जमे आला अफसरों के बीच मची अफरातफरी, आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बांटा जाना था पैसा, अधिकारियों ने खुद में बांट लिया आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बांटा जाना था पैसा, अधिकारियों ने खुद में बांट लिया
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। पोषण आहार का काम करने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय के करोड़ों रुपए बांटने में बड़ा खेल पकड़ में आया है। ये खेल रायसेन जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों और निचले कर्मचारियों ने मिलीभगत से कर किया। प्रदेश के पांच जिलों में कुछ इसी तरह के घोटाले सामने आए हैं।इन लोगों ने मानदेय के नाम पर 11 करोड़ रुपए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बैंक खातों में न डालकर अपने और रिश्तेदारों के अकाउंट में जमा कराए गए हैं।
यह किया सारा गड़बड़झाला…..
यह मामला सबसे पहले 2017 में की गई एक सामान्य शिकायत में पकड़ में आया था। लेकिन तब निचले स्तर के सिर्फ 4 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दबा दिया गया था। लेकिन अब कई अफसरों की साजिशन मिलीभगत पकड़ में आने से इसमें अब कार्रवाई तेज कर दी गई है। अब इन्हें ताबड़तोड़ नोटिस दिए जा रहे हैं।
इधर महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक डॉ. रामराव भोंसले ने बताया कि 4 अधिकारी कर्मचारियों को और सस्पेंड कर दिया गया है। दोषियों पर एफआईआर भी दर्ज कराई जा रही है। हम आपको यह बता दें कि विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक कुमार शाह ने इस मामले की फाइल दोबारा खुलवाई है। जिससे लोगों में हड़कंप की स्थिति बन रही है। रायसेन में भी एक अधिकारी जिला महिला एवं बाल विकास विभाग में जिम्मेदारी निभा चुके हैं। फिलहाल अधिकारी के पदस्थ हो जाने के बाद भी बगल के चेंबर में डटे हुए हैं। कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे को इन महाशय के कार्यकाल में हुए तमाम घोटालों की जांच करवाकर वित्तीय अनियमितताओं, सुपरवाईजर की भर्ती के दस्तावेजों के घोटाले रिपोर्ट बारीकी से करवाकर शासन को भेजें।ताकि महिला एवं बाल विकास विभाग के घोटालेबाज आला अधिकारियों को वल्लभ भवन मंत्रालय भोपाल में बैठे अफसरों द्वारा सबक सिखाया जा सके।
दो अफसरों की तो बर्खास्तगी का प्रस्ताव…..
बताया जा रहा है कि आठ परियोजना अधिकारी और 6 एकाउंटेंट सितंबर 2017 में सस्पेंड हो चुके हैं। तब आरोप-पत्र जारी हुए। विभागीय जांच शुरू की गई। इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई गई। फिर सब मामला ठंडा पड़ गया।जांच में चार कर्मचारियों एकाउंटेंट फूल सिंह उमठ (सहायक ग्रेड-एक), केके चौधरी (सहायक ग्रेड-दो), श्याम कुमार बंजानी (सहायक ग्रेड-एक) और राजकुमार लोकवानी (सहायक ग्रेड-तीन) बर्खास्त हो चुके हैं। आठ तत्कालीन परियोजना अधिकारियों में बबीता मेहरा (बेलिया), नईमउद्दीन खान, मीना मिंज, सुमेधा त्रिपाठी, राहुल दत्त संधीर, कीर्ति अग्रवाल, कृष्णा बैरागी और बीना भदौरिया शामिल हैं।
जबकि विभागीय के सूत्रों का कहना है कि इसमें दो सीनियर अधिकारी भी शामिल हैं, जो कार्रवाई के विरोध में अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं। इनकी बर्खास्तगी का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
अलीराजपुर के तत्कालीन सीडीपीओ विजय सिंह सोलंकी, सहायक ग्रेड-एक जगदीश चौहान, सहायक ग्रेड-2 मेहताब सिंह, सहायक ग्रेड-एक बालाराम परमार आदि को हाल ही में 17 सितंबर 2021 को निलंबित किया गया है।
ऐसे करते थे फंड ट्रांसफर में खेल…..
विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मानदेय, यात्रा भत्ता और आंगनबाड़ी भवन के किराए के भुगतान के लिए विभाग में एक ग्लोबस फंड बनाया गया है। इसी का गड़बड़ी करने वालों ने फायदा उठाया। एक खाते में मानदेय का पैसा डाला और इतना ही पैसा अपने व रिश्तेदारों के खाते में भी डलवा दिया। ऐसे 90 खाते सामने आ चुके हैं।