धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग रविवार, 02 नवम्बर 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 02 नवम्बर 2025
02 नवंबर 2025 दिन रविवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष कि द्वादशी तिथि है। तो जैसा कि आप जानते हैं, 30 तारीख 1 नवंबर 2025 दिन रविवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ प्रातः काल 4: 43 AM बजे हुआ था। और यह एकादशी तिथि 02 नवंबर को अर्द्धरात्रि के उपरांत अर्थात 02 नवंबर को 4: 46 AM बजे तक थी। तो आज 02 नवंबर को ही सूर्योदय के उपरांत देवप्रबोधनी अथवा देवउठनी एकादशी का पारण किया जाएगा। तो चलिए देव प्रबोधिनी अथवा देवउठनी एकादशी भारत के पालन का नियम देखते हैं। आज 02 नवंबर 2025 को पारण का समय प्रातः काल 06: 41 AM से 08 : 57 AM बजे तक है। इस समय के भीतर ही सभी प्रबोधिनी अथवा देवउठनी एकादशी व्रतियो को एकादशी व्रत का पारण कर लेना चाहिए।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
🌧️ ऋतु – सौर हेमंत ऋतु
⛈️ मास – कार्तिक मास
🌒 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – रविवार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 07:31 AM तक उपरांत द्वादशी तिथि 05:07 AM तक उपरांत त्रयोदशी
✏️ तिथि स्वामी – द्वादशी के देवता हैं विष्णु। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में पूज्य हो जाता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पूर्वभाद्रपदा 05:03 PM तक उपरांत उत्तरभाद्रपदा
🪐 नक्षत्र स्वामी – पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के मुख्य देवता अजा एकपाद हैं, जो एक पैर वाले बकरे या सर्प के रूप में दर्शाए जाते हैं।
⚜️ योग – व्याघात योग 11:10 PM तक, उसके बाद हर्षण योग
प्रथम करण : विष्टि – 07:31 ए एम तक बव – 06:24 पी एम तक
द्वितीय करण : बालव – 05:07 ए एम, नवम्बर 03 तक कौलव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 4:51 बजे से 6:17 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः – प्रातः 06:34:00
🌅 सूर्यास्तः – सायं 05:35:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:50 ए एम से 05:42 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:16 ए एम से 06:34 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:42 ए एम से 12:26 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 01:55 पी एम से 02:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:35 पी एम से 06:01 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 05:35 पी एम से 06:53 पी एम
💧 अमृत काल : 09:29 ए एम से 11:00 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, नवम्बर 03
🌸 त्रिपुष्कर योग : 07:31 ए एम से 05:03 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग : 05:03 पी एम से 06:34 ए एम, नवम्बर 03
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारम्भ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-विष्णु मंदिर में पिताम्बर चढ़ाएं।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – सर्वार्थ सिद्धि योग/त्रिपुष्कर योग/ भागवत एकादशी/ चातुर्मास समाप्ति्/ तुलसी विवाहरंभ/ गरुड़ द्वादशी (उड़ीसा)/ पंढरपुर यात्रा/ पंचक जारी/ औद्योगिक सुरक्षा दिवस, सिखों के चौथे गुरु रामदास जयन्ती, बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान जन्म दिवस, राष्ट्रीय शैतानी अंडा दिवस, राष्ट्रीय ओहियो दिवस, दिवंगत विश्वासियों का स्मरणोत्सव, स्वतंत्रता सेनानी बसंत कुमार दास जयन्ती, विश्व कंप्‍यूटर साक्षरता दिवस, विश्व कंप्‍यूटर साक्षरता दिवस, भारतीय पत्रकार अरुण शूरी जन्म दिवस, अभिनेत्री ईशा देओल जन्म दिवस, ऑल सोल्स डे (All Souls’ Day), अंतर्राष्ट्रीय डोगे दिवस (International Doge Day), अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रास दिवस (सप्ताह)
✍🏼 *तिथि विशेष – द्वादशी तिथि को मसूर की दाल एवं मसूर से निर्मित कोई भी व्यंजन नहीं खाना न ही दान देना चाहिये। यह मसूर से बना सभी व्यंजन इस द्वादशी तिथि में त्याज्य बताया गया है। द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री हरि नारायण भगवान को बताया गया है। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का श्रद्धा-भाव से पूजन करना चाहिये। साथ ही भगवान नारायण के नाम एवं स्तोत्रों जैसे विष्णुसहस्रनाम आदि के पाठ अवश्य करने चाहिए। नाम के पाठ एवं जप आदि करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति सहज ही होने लगती है। 🗽 *_Vastu tips* ⛲
वास्तु शास्त्र केवल घर की दिशा नहीं बताता, बल्कि रिश्तों में संतुलन और ऊर्जा प्रवाह बनाए रखने का माध्यम है। अगर आप दांपत्य जीवन में मधुरता और शांति चाहते हैं, तो बेडरूम के इन छोटे-छोटे वास्तु नियमों का पालन जरूर करें। इससे प्रेम, सम्मान और समझ बढ़ेगी और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। चलिए जानते हैं आचार्य श्री गोपी राम से इन उपायों के बारे में* *तनाव की वजह बेडरूम का वास्तु दोष वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की हर दिशा किसी न किसी ग्रह से जुड़ी होती है। बेडरूम शुक्र ग्रह का क्षेत्र माना गया है, जो प्रेम, आकर्षण और सामंजस्य का कारक है। अगर बेडरूम गलत दिशा में बनाया गया हो या उसमें वास्तुदोष हो, तो वैवाहिक जीवन में दूरी, तकरार और तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में शांति बनाए रखने के लिए कमरे की दिशा और सजावट दोनों का ध्यान रखना जरूरी है
♻️ *जीवनोपयोगी कुंजियां* ⚜️
शनिदेव स्वयं कहते हैं कि ‘जो शनिवार को पीपल को स्पर्श करते है, उसको जल चढ़ाता है, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उसको कोई पीड़ा नहीं होगी |’ ग्रहदोष और ग्रहबाधा जिनको भी लगी हो, वे अपने घर में 9 अंगुल चौड़ा और 9 अंगुल लम्बा कुमकुम का स्वस्तिक बना दें तो ग्रहबाधा की जो भी समस्याएँ है, दूर हो जायेगी |
स्नान के बाद पानी में देखते हुए ‘हरि ॐ शांति’ इस पावन मंत्र की एक माला करके वह पानी घर या जहाँ भी अशांति आदि हो, छिडक दे और थोडा बचाकर पी लें फिर देख लो तुम्हारा जीवन कितना परिवर्तित होता है |
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है |
इन्द्रियाणां मनो नाथो मनोनाथस्तु मारुत: | (हठयोगप्रदीपिका : ४.२९)
प्रात: 3 से 5 बजे के बीच त्रिबंधयुक्त प्राणायाम करना अत्यंत हितकारी है | त्रिबंध करके प्राणायाम करने से विकारी जीवन सहज भाव से निर्विकारिता में प्रवेश करने लगता है | मुलबंध से विकारों पर विजय पाने का सामर्थ्य आता है | उड्डियान बंध से व्यक्ति उन्नति में विलक्ष्ण उड़ान ले सकता है | जालंधर बंध से बुद्धि विकसित होती है |
विधि : दोनों नथुनों से खूब श्वास भरो | त्रिबंध करो – गुदाद्वार को अंदर सिकोड़ लो (मुलबंध), पेट को अंदर खींचो (उड्डियान बंध ) और यथासम्भव सिर सीधा रखते हुए ठुड्डी को छाती से लगा लो (जालंधर बंध) | मन में ॐकार, गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करते हुए स्व से पौने दो मिनट श्वास रोके रखो | अब धीरे-धीरे श्वास छोडो | फिर सामान्य गति से 2 – 4 श्वासोच्छ्वास के बाद पूरा श्वास बाहर निकालकर ५० सेकंड से स्व मिनट उसे बाहर रोको | फिर धीरे-धीरे श्वास ले लो | श्वास लेते और रोके रखते समय मानसिक जप चालू रखें | बाह्य व आभ्यन्तर कुम्भक मिलाकर यह 1 प्राणायाम हुआ | बीमार हो या तन्दुरुस्त हो, लम्बी उम्र के लिए और रोगों को भगाने के लिए ऐसे 3 से 5 प्राणायाम अवश्य करने चाहिए |
📍 गुरु भक्ति योग
🕯️
🌹हनुमान स्तंभन विधा 🌹
💫आज हम अपको हनुमान स्तंभन विधा के बारे में बताने जा रहे है जो इस प्रकार है मैं सरल, स्पष्ट और सुरक्षित रूप में विधि, सामग्री, मंत्र और सावधानियाँ दे रहा हूँ।* ध्यान रखें — यह विधा रक्षा और नकारात्मक शक्तियों को रोके/निष्क्रिय करे इसलिए इसे दूसरी को चोट पहुँचाने के लिए उपयोग न करें। जहाँ भी संभव हो, गुरु/अनुभवी साधक से मार्गदर्शन लें।*
उद्देश्य / भावार्थ
हनुमान स्तंभन विधा का मुख्य लक्ष्य है: आपके ऊपर हो रहे नकारात्मक प्रभाव, तांत्रिक बाधा, किसी की दुर्भावनापूर्ण क्रिया या भय-प्रेरित ऊर्जा को स्थिर/निष्क्रिय करना और आपके लिये सुरक्षा बनाना। यह आत्म-संरक्षण पर केन्द्रित विधि है।* आवश्यक सामग्री
शुद्ध स्नान के बाद सफेद/लाल वस्त्र* हनुमान जी की तस्वीर या छोटी मूर्ति (साफ़ स्थान पर)*
दीपक (घी या तेल का)* अगरबत्ती/धूप*
मोमबत्ती या लौंड्री (लाल बेहतर)* लाल सिंदूर/काजल/केसर (थोड़ा)*
तांबे की छोटी पट्टी या साफ़ कागज़ (यंत्र बनाने हेतु)* अक्षत (चावल), फूल, फल/प्रसाद दीपक जलाने के लिए घी या तेल*
जप-माला (108 माला)
अक्षर लिखने हेतु लाल स्याही/केसर/रात की स्याही (इच्छानुसार)
अनुकूल समय और दिन

अनुकूल दिन: मंगलवार, शनिवार या हनुमान जयंती का दिन।* अनुकूल समय: प्रातः काल या साँझ का समय (भोर के बाद या सूर्यास्त के आस-पास)।*
चंद्र, राहु-अद्यावधि या अशुभ तिथियों से बचें — यदि शक हो तो गुरु से पूछें
प्रारम्भिक तैयारी (शुद्धि)
स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें।
स्थान साफ़ करें; छोटा मंच या साफ़ आसन रखें।
हनुमान जी की मूर्ति/चित्र केन्द्र में रखें, सामने दीपक रखें।
मन स्थिर करके 3 बार धीमें से “ॐ” बोलेँ और संकल्प लें (नियत उद्देश्य — केवल सुरक्षा के लिये)।
*
साधना — चरणबद्ध विधि (सुरक्षित व सामान्य)* ये निर्देश रक्षा-उद्देश्यों के लिये सामान्य मार्गदर्शक हैं। गहन/गोपनीय मन्त्र-साधना हेतु गुरु दीक्षा आवश्यक है।*
दीप-पूजा: दीप जलाकर हनुमान जी को प्रणाम करें; 3 बार “ॐ श्री हनुमते नमः” कहें।* ध्यान: हनुमान जी का ध्यान करें — उनके चेहरे, मुद्रा (गदा), बल और दया का भाव मन में लाएँ। मंत्र जप: नीचे दिए गए सुरक्षा स्तंभन मंत्र का जाप करें।*
सामान्य सुरक्षा मंत्र
ॐ हनुमते नमः।
रामदूताय स्तम्भय स्तम्भय ।
सर्वदुष्टान् मम पथे न आगच्छतु ।
फट् स्वाहा॥
जप संख्या: 108 बार (प्राथमिकता), न्यूनतर के लिये 21 या 11 बार भी किया जा सकता है।* हनुमान चालीसा / बजरंगबाण: मंत्र जप के बाद हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करने से साधना दृढ होती है।*
यंत्र स्थापना (वैकल्पिक): साधक यदि चाहें तो तांबे/कागज़ पर छोटा हनुमान-संरक्षण यंत्र बनाकर उसे पूजा के बाद तिजोरी/घर की मुख्य जगह पर रख सकते हैं। (यंत्र बनाते समय गुरु की परामर्श लें)।* समापन: अंत में प्रसाद अर्पित करें, दीप बुझाकर तथा हाथ जोड़कर समापन करें। तीन बार “ॐ हनुमते नमः” बोलें और नमस्कार करें। नियमितता व अनुशासन
आरम्भ में 7/21/40 दिनों की श्रृंखला बनाकर नियमित जप प्रभावी रहता है।
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रोज़ सुबह/शाम समर्पित समय रखें (कम से कम 15–30 मिनट)।* साधना के दौरान अहिंसा, सच्चाई और सरल जीवनशैली का पालन करें — ये ऊर्जा को रखने में मदद करती हैं। यंत्र (साधारण संकेत)
सरल यंत्र: एक छोटा लाल चक्र/त्रिकोण जिस के बीच में “ॐ” या “हनुमान” अक्षर लिखा हो।* इसे तांबे की पट्टी पर बनाकर लाल रंग से अंकित करें और पूजा के बाद घर के मुख्य स्थान पर रखें।*
ध्यान दें: जटिल यंत्र और अंकन के लिये गुरु की सलाह अनिवार्य है — गलत अंकन उल्टा प्रभाव दे सकता है।
सावधानियाँ एवं नैतिक निर्देश
यह विधि केवल रक्षा के लिये करें — किसी को कष्ट पहुंचाने के उद्देश्य से इसका प्रयोग न करें।* मन में बदले की भावना, ईर्ष्या या क्रोध लेकर साधना न करें।*
यदि साधना करते समय अस्वाभाविक भय, सिरदर्द, या मानसिक उलझन हो तो तुरंत साधना रोक दें और गुरु/अनुभवी से संपर्क करें।* बच्चों, गर्भवती महिलाओं या मानसिक अस्थिरता वाले लोगों के पास इन ऊर्जाओं का प्रयोग करते समय अतिरिक्त सावधानी रखें। वैकल्पिक, सुरक्षित प्रैक्टिस (तुरंत प्रभाव व गैर-जोखिम)*
यदि आप गुरुकृपा या दीक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे, तो ये सरल और सुरक्षित उपाय तुरंत लाभ देते हैं:* रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ (कम से कम 11 बार) करें।*
“ॐ हनुमते नमः” का 108 जप।
मंगलवार-सोमवार को हनुमान मंदिर जाकर दीपदान व प्रसाद वितरण।
घर के दरवाज़े पर लाल चुनरी/नारियल या साफ चित्र रखकर सुरक्षा की भावना बनाए रखें।।
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⚜️ *_द्वादशी तिथि के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिये। आज द्वादशी तिथि के दिन भगवान नारायण का पूजन और जप आदि करने से मनुष्य का कोई भी बिगड़ा काम भी बन जाता है। यह द्वादशी तिथि यशोबली अर्थात यश एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि सर्वसिद्धिकारी अर्थात अनेकों प्रकार के सिद्धियों को देनेवाली तिथि भी मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वादशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।

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