धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग शनिवार, 19 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शनिवार 19 जुलाई 2025
19 जुलाई 2025 दिन शनिवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि नवमी तिथि है। आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में यदि शनि देवता वक्री होते हैं है तो भोजन सामग्रीयो कि बड़ी कमी हो जाती है। लोगों को क्षुधा से पीड़ित होना पड़ता है। तथा श्रावण मास कृष्ण पक्ष कि नवमी को यदि शनिवार पड़ता है, तो एसा शनि संताप कारक होता है। इतना ही नहीं छत्रभंग योग बनता है जो अश्रि्वन मांस के अंत संभव हो जाता है। यह बात हमारे हिन्दुस्तान पर तो नहीं लेकिन हमारा ही एक अंग है पाकिस्तान जिसपर संपूर्णता: फिट बैठता है। और यह अश्विन मास के अंत तक संभव हो सकता है। आज यायीजय योग भी है। आप सभी हिन्दूस्तानियों को “पाकिस्तान के अंत की” बहुत – बहुत हार्दिक शुभकामनाएं एवं अनन्त – अनन्त बधाईयाॅं।।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – श्रावण मास
🌓 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – शनिवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष नवमी तिथि 02:42 PM तक उपरांत दशमी
✏️ तिथि स्वामी – नवमी की देवी हैं दुर्गा। इस तिधि में जगतजननी त्रिदेवजननी माता दुर्गा की पूजा करने से मनुष्य इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है तथा हर क्षेत्र में सदा विजयी प्राप्त करता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र भरणी 12:37 AM तक उपरांत कृत्तिका
🪐 नक्षत्र स्वामी – भरणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस नक्षत्र के देवता यम और लिंग स्री है।
⚜️ योग – शूल योग 12:55 AM तक, उसके बाद गण्ड योग
प्रथम करण : गर – 02:41 पी एम तक
द्वितीय करण : वणिज – 01:28 ए एम, जुलाई 20 तक विष्टि
🔥 गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6: 53 से 8:19 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -सुबह – 9:44 से 11:09 तक।राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:18:00 A.M
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:42:00 P.M
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:13 ए एम से 04:54 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 04:34 ए एम से 05:35 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:18 पी एम से 07:39 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:19 पी एम से 08:21 पी एम
💧 अमृत काल : 08:08 पी एम से 09:38 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 20 से 12:48 ए एम, जुलाई 20
🚓 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शनि मंदिर में सवाकिलो तिल का तेल भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/पुष्ये रवि/ सूर्य का पुष्य नक्षत्र में प्रवेश/ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 के प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे जयन्ती, भारतीय लेखक बाली चंद मुखोपाध्याय जन्म दिवस, (महावीर चक्र’ से सम्मानित) भारतीय सैन्य अधिकारी राजीव संधू स्मृति दिवस, राष्ट्रीय शहरी मधुमक्खी पालन दिवस, राष्ट्रीय मित्र दिवस, अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस, राष्ट्रीय फुटबॉल दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कराओके दिवस, राष्ट्रीय डाइक्विरी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय स्नोडोन रेस दिवस, राष्ट्रीय दाइक्विरी दिवस, भारतीय कानूनी सलाहकार ज़िया मोदी जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।
🗼 Vastu tips 🗺️
नए घर के लिए वास्तु टिप्स – लिविंग रूम के लिए वास्तु किसी भी घर में, लिविंग रूम घर का सबसे सक्रिय क्षेत्र होता है और मेहमानों के प्रवेश करने पर सबसे पहला प्रभाव यहीं से पड़ता है। लिविंग रूम में अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। आपके नए घर का सामने वाला हिस्सा या लिविंग रूम पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसके अलावा, उस कमरे में फर्नीचर पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए। ऐसा करने से यह सुनिश्चित होगा कि आपके घर में कोई वास्तु दोष नहीं है। अपने लिविंग रूम के लिए फर्नीचर के टुकड़े चुनते समय, चौकोर या आयताकार टुकड़े चुनें। अजीबोगरीब आकार के फर्नीचर के टुकड़ों का उपयोग करने से बचें। इसके अलावा, अपने लिविंग रूम के लिए सकारात्मक रंग चुनें। उदाहरण के लिए, गुलाबी और सुनहरे जैसे रंगों को एक्सेंट रंगों के रूप में चुनें।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
अजवाइन के पानी को तैयार करने का आसान तरीका
अजवाइन का पानी बनाना बेहद आसान है। एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर रात भर भिगो दें। सुबह इसे उबालें और छानकर पी लें। अगर आप चाहें, तो इसमें शहद, नींबू या काला नमक मिलाकर स्वाद बढ़ा सकते हैं। इस पानी को खाली पेट पीना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और सेहत के कई फायदों का आनंद लें।
अजवाइन भले ही छोटा सा बीज हो, लेकिन इसके फायदे बड़े-बड़े हैं। इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करके आप न केवल छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं, बल्कि अपनी सेहत को लंबे समय तक बेहतर रख सकते हैं। तो देर किस बात की? आज से ही अजवाइन का पानी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
🫗 आरोग्य संजीवनी 🍵
स्वास्थ्य के लिए अजवाइन बहुत लाभकारी है।
अजवाइन को गरम पानी में मिला कर पीने से हमारी पाचन क्रिया बढ़ जाती है। अक्सर जब महिलाएं माँ बनती हैं, तो माँ बनने के तुरंत बाद उन्हें खाने के लिए काफी पौष्टिक आहार दिया जाता है इसलिए उन्हे गरम पानी में अजवाइन डालकर पानी पीने की सलाह दी जाती है, जिससे उनका पाचन क्रिया सही रहे और पेट भी बाहर न आ पाए। यह नुस्खा मैने खुद आजमाया है, जो सही में काम करता है।
अजवाइन को काले नमक के साथ मिलाकर चबा कर खाने से खांसी में राहत मिलती है।
अजवाइन को बारीक सौंफ के साथ मिलाकर,खाने के बाद आप रोज ही खा सकते हैं। भोजन को पचाने में मदद करता है ।
छोटे बच्चों को जब कभी पेट में दर्द हो तो सरसो के तेल में अजवाइन डालकर उसे थोड़ा गरम करके पेट में हल्के हाथ से मालिश करने पर पेट के दर्द में राहत मिलती है ।
यह सब तो स्वास्थ्य लाभ के लिए हो गई, इसके अलावा अजवाइन को आंटे में डालकर परांठा बनाएं तो उसका स्वाद बढ़ जाता है।
अजवाइन को अँचार में डालने से अँचार का स्वाद बढ़ जाता है।
यह सारी चीजें रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली हैं। इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल करें या खाने में,अजवाइन के फायदे ही फायदे हैं।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
माँ गंगा की उत्पत्ति की कहानी बहुत रोचक और प्रेरणादायी है। यह बात उस समय की है जब श्री हरि विष्णु ने देवमाता अदिति के पुत्र के रूप में अपना वामन अवतार लिया था। उस समय धरती और स्वर्ग लोग के अधिपति दैत्यराज बलि थे। वह अपने गुरु शुक्राचार्य के बताए मार्ग पर चलते हुए निरंतर चलने वाले यज्ञ करवाते थे और गरीबों एवं ब्राह्मणो को दान देते थे। उन्हें अपने दानवीर होने का अहंकार था। उनके राज्य काल में देवताओं के लिए बुरा समय चल रहा था। उनके राज्य में असुरों को उनकी सुरक्षा प्रदान थी जिस से आम जन को कष्ट भी भोगने पड़ रहे थे। तब प्रभु ने इस समस्या को हल करने हेतु वामन अवतार लिया।
वामन देव का बलि के दरबार में आगमन बालक ब्राह्मण रुपी वामन देव दैत्यराज बलि के यज्ञ स्थान पर पहुंचे। जब बलि की नजर उन पर पड़ी तो बलि ने उनसे उनकी इच्छा पूछी। यह सुन वामन देव ने कहा “राजन! आपकी बहुत प्रशंसा सुनी है। आप दानवीर हैं, मुझे केवल उतनी भूमि चाहिए जितनी भूमि मेरे तीन पग (कदम) में नप जाये। यह सुन सभी लोग वामन देव पर हसने लगे। महाराज बलि भी अहंकार में आकर हंस पड़े। फिर हाथ जोड़ कर वामन देव से और भी कुछ मांगने का आग्रह किया परन्तु वामन देव तीन पग भूमि पर अड़े रहे। ब्राह्मण बालक से महाराज बलि ने कहा ” दान के लिए आशवस्त कर मैं पीछे नहीं हटूंगा आखिर मैं दानवीर हूँ। ऐसा तो आपने भी कहा है भगवन! मैं आपको आपकी नापी हुई तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लेता हूँ।
वामन देव का विकराल रूप जैसे ही राजा ने संकल्प लिया वैसे ही वामन देव ने विराट रूप धरा। लोग भयभीत होकर इधर उधर भागने लगे। वामन देव ने एक पग में धरती और दूसरे पग में आकाश को नाप दिया और फिर तीसरे पग के लिए अपने पैर उठाये और बालि की ओर देखा। तभी बलि ने हाथ जोड़ कर अपने घुटनों पर बैठ कर कहा “हे प्रभु! तीसरे पग में आप मुझे नाप लें और मुझपर भी स्वामित्व स्थापित कर ले, यह रहा मेरा मस्तक आपकी सेवा में..आप मेरे मस्तक पर पग धरें।
गंगा की उत्पत्ति जब प्रभु आकाश को नाप रहे थे तभी उनके पैर का अंगूठा ब्रह्माण्ड में टकराया और वहीं से दिव्य जल बहने लगा, जिससे प्रभु श्री हरी के चरण कमल धुले। वो दिव्य जल की धारा जैसे ही प्रभु के चरण धो कर नीचे की ओर गिरा तभी ब्रह्मा जी ने उस जल की धारा को अपने कमण्डल में धारण कर लिया। और यही जल धारा ब्रम्हा जी की पुत्री गंगा कहलायीं। ये जल धारा श्री हरि विष्णु के पैर यानि पद से टकरा कर निकली इसलिए देवी गंगा को विष्णुपदी भी कहते हैं।
भागीरथी महाराज भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा के पिता भगवान ब्रम्हा जी ने उन्हें धरती पे अवतरित होने की आज्ञा दी। किन्तु देवी गंगा की जल धारा के वेग को सहने की क्षमता धरती में नहीं थी इसलिए कैलाशपति प्रभु शिव ने उन्हें अपने जटाओं में धारण किया। और इसलिए देवादि देव महादेव को गंगाधर भी कहते हैं। महाराज भागीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी एक जटा खोल देवी गंगा को धरती पर आने दिया। माता गंगा ने धरती पर आकर भागीरथी के पूर्वजों को मुक्ति दी और माता गंगा की सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण अमृत तुल्य जल धारा मनुष्यों के लिए कल्याणमयी सिद्ध हुई। माता गंगा को देवनदी भी कहतें हैं।
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⚜️ नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।।
आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।।

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