Today Panchang आज का पंचांग शनिवार, 21 जून 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
शनिवार 21 जून 2025
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
👸🏻 शिवराज शक 352_
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन प्रारम्भ
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु प्रारम्भ
☀️ मास – आषाढ़ मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि : शनिवार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष दशमी तिथि 07:19 AM तक उपरांत एकादशी तिथि 04:27 AM तक उपरांत द्वादशी
🖍️ तिथि स्वामी – दशमी के देवता हैं यमराज। इस तिथि में यम की पूजा करने से नरक और मृत्यु का भय नहीं रहता है।
💫 नक्षत्र : नक्षत्र अश्विनी 07:50 PM तक उपरांत भरणी
🪐 नक्षत्र स्वामी : अश्विनी नक्षत्र का स्वामी केतु ग्रह है। इसके देवता अश्विनी कुमार हैं।
⚜️ योग : अतिगण्ड योग 08:29 PM तक, उसके बाद सुकर्मा योग
⚡ प्रथम करण : विष्टि – 07:18 ए एम तक बव – 05:55 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : बालव – 04:27 ए एम, जून 22 तक कौलव
🔥 गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6: 53 से 8:19 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल -सुबह – 9:44 से 11:09 तक।राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:13:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:47:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:04 ए एम से 04:44 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:24 ए एम से 05:24 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:55 ए एम से 12:51 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:43 पी एम से 03:39 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:21 पी एम से 07:41 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:22 पी एम से 08:22 पी एम
💧 अमृत काल : 01:12 पी एम से 02:41 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:03 ए एम, जून 22 से 12:43 ए एम, जून 22
🚓 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
💁🏻 आज का उपाय-शनि मंदिर में काला छाता चढ़ाएं।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – दक्षिणायनारंभ/ योगिनी एकादशी व्रत (स्मार्त)/सौर वर्षा ऋतु प्रारंभ/भद्रा/मूल समाप्त/ संक्रांति के उत्सव का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, अभिनेत्री मुक्ति मोहन जन्म दिवस, इंटरनेशनल योग दिवस, ग्रीष्म संक्रांति, राष्ट्रीय डेलाइट प्रशंसा दिवस, राष्ट्रीय सेल्फी दिवस, साहित्यकार विष्णु प्रभाकर जन्म दिवस, राजस्थान उच्च न्यायालय स्थापना दिवस, विश्व मानवतावादी दिवस, विश्व हाइड्रोग्राफी दिवस, विश्व संगीत दिवस, विश्व सेल्फी दिवस, पिता दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – दशमी तिथि को कलम्बी एवं परवल का सेवन वर्जित है। दशमी तिथि धर्मिणी और धनदायक तिथि मानी जाती है। यह दशमी तिथि पूर्णा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह दशमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। दशमी को धन देनेवाली अर्थात धनदायक तिथि माना जाता है। इस दिन आप धन प्राप्ति हेतु उद्योग करते हैं तो सफलता कि उम्मीदें बढ़ जाती हैं। यह दशमी तिथि धर्म प्रदान करने वाली तिथि भी माना जाता है। अर्थात इस दिन धर्म से संबन्धित कोई बड़े अनुष्ठान वगैरह करने-करवाने से सिद्धि अवश्य मिलती है। इस दशमी तिथि में वाहन खरीदना उत्तम माना जाता है। इस दशमी तिथि को सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित कार्यों को आरम्भ करने के लिये भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
घर की नजर उताने के लिए मुख्य दरवाजे पर लगाएं मोरपंख आपके घर में बुरी नजर की शुरुआत मुख्य दरवाजे से होती है। ऐसे में अगर आपको कुछ भी बुरा रोकना है तो इसे घर के बाहर ही रोक दें। ऐसे में आपको घर के मुख्य द्वार पर मोर पंख लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती। इसके लिए आपको बस एक काम करना है, बस तीन मोर पंख लें और उससे गणेश जी की मूर्ति के पीछे ‘ऊं द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा’ मंत्र लिखें। इसके पीछे मोरपंख लगाएं।
मोर पंख से घर में पानी के छींटे मारे मोर पंख से घर में पानी के छींटे मारना निगेटिविटी को कम करने में मदद करता है। ‘ऊं द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा’ बोलते हुए मोर पंख से 21 बार पानी के छींटे घर में मार दें। हर दिनों में यह रह-रह कर करें।
रविवार और मंगलवार को मोर पंख से घर के लोगों की नजर उतारें रविवार और मंगलवार को मोर पंख से घर के लोगों की नजर उतारें। इस दौरान देखें कि आपके घर में कौन का इंसान ज्यादा बीमार रहता है और उस इंसान की मोरपंख से नजर उतारें। इसके लिए गायत्री मंत्र पढ़ते हुए 11 बार एंटीक्लॉक वाइस झाड़ें।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
🌿 बेल का पौधा लगाने के लाभ: धार्मिक महत्व बेल का पौधा भगवान शिव को अति प्रिय है। बेलपत्र का उपयोग शिव पूजा में विशेष रूप से होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में बेल का पौधा होता है, वहाँ सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और पापों का नाश होता है।
पर्यावरणीय लाभ यह औषधीय पौधा है, जिसकी पत्तियाँ, फल और छाल का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है।
यह घर के आसपास की वायु को शुद्ध करता है और गर्मी में ठंडक प्रदान करता है।
वास्तु के अनुसार बेल का पौधा उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है।
इससे घर में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है।
औषधीय गुण बेल फल का शरबत पाचन तंत्र के लिए उत्तम होता है।
इसकी पत्तियाँ डायबिटीज और ज्वर में उपयोगी मानी जाती हैं।
🛑 ध्यान देने योग्य बातें: इसे कभी भी अपवित्र स्थान (जैसे शौचालय के पास) के निकट न लगाएं।
इसे नियमित जल दें और साफ-सुथरे स्थान पर रखें।
🥝 आरोग्य संजीवनी 🍓
लौंग- आचार्य बालकृष्ण की मानें तो दांत का दर्द दूर करने में लौंग बहुत असरदार है। दर्द होने पर 1 लौंग दांत के नीचे दबा लें। इसे हल्का दबाते हुए मुंह में रखें दर्द में तुरंत आराम मिलता है। आप चाहें तो रूई में लौंग का तेल लगाकर भी रख सकते हैं। इससे दर्द दूर करने में मदद मिलेगी।
लहसुन- दांत में दर्द होने पर आप लहसुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लहसुन की कली चबाने दांत के दर्द में आराम मिलेगा। लहसुन में Allicin नामक प्राकृतिक जीवाणुरोधी एजेंट होता है। जो दांत के दर्द को खत्म करने में मदद करता है।
हल्दी- हल्दी भी नेचुरल एंटीबायोटिक का काम करती है। दांत में दर्द होने पर हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाकर पेस्ट जैसा बना लें और इसे दर्द वाली जगह पर लगाकर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। इसे लगाने से दर्द से तुरंत आराम मिल जाएगा।
📚 गुरु भक्ति योग_ 📗
एक दिन परशु राम जी कहीं गए तो बाल रुपी शेष जी ने वहां पर रखे सारे धनुष को तोड़ डाला सिर्फ शिव जी का धनुष ही बचा , और जब परशुराम जी आये तो देखा की यह बालक शिव के धनुष को छोड़कर बाकी सारे धनुष तोड़ डाला है परशु राम जी काफी विस्मित हुए परन्तु क्रोध नहीं किया ।
तब शेष जी ने अपना रूप दिखाया और कहा की त्रेता युग में भगवान विष्णु का अवतार अयोध्या में राजा दशरथ के यंहा राम चंद्र जी के रूप में होगा और वे ही इस धनुष को तोड़ेंगे हे प्रभु उस समय हमारी आपकी वार्ता होगी जब श्री राम चंद्र जी धनुष को सीता स्वयम्बर के समय तोड़ेंगे।
उस सहस्त्रार्जुन के वध के प्रायश्चित के समय त्रेता में भगवान विष्णु अवतार श्री राम चंद्र जी सीता जी के स्वयम्बर में जो शिव धनुष रखा गया था जिसे तोड़ने के लिए तमाम देशों के राजा महराजा आमंत्रित किये गए थे किसी भी राजा, देवता और राक्षसों के द्वारा धनुष नहीं टूटा जिसे भगवान श्री राम चंद्र जी के छूते ही धनुष टूट गया और टूटते ही भगवान् परशु राम जी का आगमन हुआ की कहीं भगवान् श्री राम चंद्र जी को इन तमाम राक्षसों द्वारा समस्या न उत्पन्न हो । और भगवान् श्री राम चंद्र जी का सारा कार्य संपन्न करा कर अंतर्ध्यान हो गए ।
एक समय की बात है जब महर्षि माण्डव तांडव नमक जंगल में तपस्या कर रहे थे तो वहां के राजा मंद्रांचाल के राज्य में चोरी हो गयी और वहां के सिपाहियों ने चोरों का मुकाबला किया तो चोर तांडव वन में महर्षि के आश्रम में पहुंचे और सारा धन महर्षि के आदेश पर आश्रम में रखकर भाग गए और जब राजा के सिपाहियों ने माण्डव ऋषि से चोरों के बारे में पूंछा तो महर्षि चुप रहे तब सिपाहियों ने महर्षि को बाँध कर राजा के पास ले गए और सारी व्यथा राजा को बताया ।
राजा ने उसी समय महर्षि का सर काट देने का आदेश दे दिया और कहा की नगर के चौराहे पर इस पाखंडी मुनि का सर काट दो ताकि इस राज्य में कभी कोई चोरी न कर सके ।
सेनापति सिपाहियों के साथ माण्डव ऋषि को नगर के चैराहे पर ले जाकर सूली पर चढ़ाकर सर काट दिया ।परन्तु जब सेनापति और सिपाहियों ने यह देखा की बिना सिर ही माण्डव ऋषि ध्यान मग्न हैं तो यह बात राजा को बताया और राजा तुरंत महर्षि को शूली से उतरने का आदेश दिया और महर्षि से क्षमा याचना करेने लगे ।
महर्षि माण्डव ने कहा की राजन इसमें आपकी कोई गलती नहीं है , यह तो मै यमराज से पूछूंगा की मुझे मेरी कौन सी गलती की सजा मिली और मै उस यमराज को श्राप भी दूंगा ।
उसी त्रेता युग में भगवान् राम वन गमन के समय महर्षि मांडव अयोध्या से प्रयाग होते हुए चित्रकूट के दण्डक वन की तरफ जा रहे थे तभी आकाशवाणी हुई की हे मुनिवर आप जिस प्रयोजन से भागे जा रहे हैं वह प्रयोजन सफल हुआ और भगवान् नारायण यानि भगवान् विष्णु , राम रुपी मनुष्य अवतार में पिता द्वारा आदेशित चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत करने जा रहे हैं ।
उस समय ऋषि माण्डव उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला अंतर्गत आगई ग्राम सभा के राम घाट नामक गांव के समीप सई नदी के तट पहुंचे थे और वहीँ पर अपना आसान लगा कर तपस्या में लीन हो गए और प्रभु राम के आने का इंतज़ार करते रहे ।
और भगवान राम अयोध्या से जब चले तो सई नदी पार कर ऋषि माण्डव आश्रम के पास उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला अंतर्गत आगई ग्राम सभा के राम घाट नामक गांव ऋषि माण्डव को दर्शन देते हुए श्रृंग्वेर पुर पहुंचे ।
आज भी ऋषि माण्डव का सिर नहीं है और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला अंतर्गत आगई ग्राम सभा के राम घाट नामक गांव के समीप सई नदी के तट पर बिलकुल खुले में बिना सिर ध्यान मग्न आसीन हैं, आज भी इस क्षेत्र में यदि कोई आपदा आती है तो पूरी ग्राम सभा जब उनके पास अपनी आस्था ले कर जाते है तो फल अवस्य प्राप्त हो जाता है, लोगों के कष्ट भी दूर हो जाते हैं और सभी दर्शनर्थियों की मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है ।
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⚜️ दशमी तिथि के देवता यमराज जी बताये जाते हैं। यमराज दक्षिण दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इस दशमी तिथि में यमराज के पूजन करने से जीव अपने समस्त पापों से छुट जाता है। पूजन के उपरान्त क्षमा याचना (प्रार्थना) से जीव नरक कि यातना एवं जीवन के सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। इस दशमी तिथि को यम के निमित्ति घर के बाहर दीपदान करना चाहिये, इससे अकाल मृत्यु के योग भी टल जाते हैं।
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है, वो लोग देशभक्ति तथा परोपकार के मामले में बड़े तत्पर एवं श्रेष्ठ होते हैं। देश एवं दूसरों के हितों के लिए ये सर्वस्व न्यौछावर करने को भी तत्पर रहते हैं। इस तिथि में जन्म लेनेवाले जातक धर्म-अधर्म के बीच के अन्तर को अच्छी तरह समझते हैं और हमेशा धर्म पर चलने वाले होते हैं।।