Today Panchang आज का पंचांग रविवार, 13 जुलाई 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 13 जुलाई 2025
13 जुलाई 2025 दिन रविवार को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष कि तृतीया तिथि है। आज जया – पार्वती व्रत जो गुजरात का प्रसिद्ध पर्व है। उसका सम्मान हो जाएगा। आज यायीजय योग भी है। आप सभी सनातनियों को “जया – पार्वती व्रत” की हार्दिक शुभकामनाएं।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर वर्षा ऋतु
☀️ मास – श्रावण मास
🌖 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📅 तिथि – रविवार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि 01:02 AM तक उपरांत चतुर्थी
✏️ तिथि स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी है ।तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र श्रवण 06:53 AM तक उपरांत धनिष्ठा
🪐 नक्षत्र स्वामी – श्रवण नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। तथा श्रवण नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है।और इसके देवता भगवान विष्णु हैं।
🔱 योग – प्रीति योग 06:00 PM तक, उसके बाद आयुष्मान योग
⚡ प्रथम करण : वणिज – 01:26 पी एम तक
✨ द्वितीय करण : विष्टि – 01:02 ए एम, जुलाई 14 तक बव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 4:51 बजे से 6:17 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:16:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:44:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:11 ए एम से 04:51 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:31 ए एम से 05:32 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:59 ए एम से 12:54 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:20 पी एम से 07:41 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:21 पी एम से 08:23 पी एम
💧 अमृत काल : 08:26 पी एम से 10:02 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:07 ए एम, जुलाई 14 से 12:47 ए एम, जुलाई 14
🚗 यात्रा शकुन-ईलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को केसर भेंट करें।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – पंचक प्रारम्भ 18.53/ भद्रा/शनि वक्रगति प्रारंभ/ जयापार्वती व्रत समाप्त/ राष्ट्रीय फ्रेंच फ्राइ दिवस, राष्ट्रीय डेलावेयर दिवस, साप्ताहिक समाचार पत्र संजीवनी दिवस, राष्ट्रीय खाद्य दिवस, नाथन बेडफोर्ड फॉरेस्ट दिवस, (टेनेसी में स्थानीय उत्सव) राष्ट्रीय बीफ़ टैलो दिवस, राष्ट्रीय फ्रेंच फ्राइज़ दिवस, प्रसिद्ध अभिनेत्री बिना राय जन्म दिवस, (पद्म भूषण से सम्मानित) केसरबाई केरकर जन्म दिवस, शहीद दिवस (कश्मीर), अभिनेता प्रकाश मेहरा जन्म दिवस, प्रसिद्ध अभिनेत्री उर्वशी शर्मा जन्म दिवस, भारतीय उद्योगपति जे.आर.डी. टाटा जन्म दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – तृतीया तिथि में नमक का दान तथा भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला अर्थात बल प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह तृतीया तिथि आरोग्यकारी रोग निवारण करने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस तृतीया तिथि की स्वामिनी माता गौरी और इसके देवता कुबेर देवता हैं। यह तृतीया तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह तृतीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है।
🗼 Vastu Tips 🗽
वास्तु शास्त्र में आज आचार्य श्री गोपी राम से जानिए कुछ उपायों के बारे में, जिन्हें करके आप जीवन में आ रही छोटी-मोटी परेशानियों से बच सकते हैं। कई बार बहुत मेहनत करने पर भी पैसे नहीं टिकते, ऐसा किसी वास्तु सम्बन्धी समस्या के कारण भी हो सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा धन आगमन की दिशा होती है और अगर इस दिशा में भारी सामान रखा हो या इस जगह पर बहुत गंदगी रहती हो, तो आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। घर में धन आगमन की गति धीमी हो जाती है।
ऐसे ही उत्तर-पूर्व दिशा में अगर हर समय अंधेरा रहता हो तो परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद बढ़ सकता है। इसलिए इस दिशा में हमेशा उजाला होना चाहिए। ऐसे ही दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में दरवाजा या तिजोरी रखना पैसों और आयु की हानि कराने वाला होता है।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
नीम का तेल घर पर बनाने के लिए एक एयरटाइट जार की आवश्यकता होती है, इसके अलावा नीम की ताजी लाल -लाल पत्तियां और नारियल का तेल की आवश्यकता होती है, नीम के तेल बनाने के लिए सबसे पहले हमें नीम की पत्तियों को अच्छे से धो लेनी चाहिए उससे कोई भी मिट्टियां कंकड़ नहीं होना चाहिए।
पत्तियों का पानी अच्छे से साफ होने के बाद उन्हें हमें कांच के जार में रखना होता है, उसके बाद जार में नारियल का तेल इतना डालने की नीम की पत्तियां उसमें डूब जाए उसके बाद उस जार को कम से कम 15 दिन के लिए उसका ढक्कन लगाकर रख देना चाहिए, इस जार कमरे के अंदर ही रखना चाहिए।
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी सूरज की धूप उस जार पर नहीं पड़े क्योंकि सूरज की धूप पड़ने से नीम के तेल की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
2 सप्ताह के बाद तेल निकल जाता है, नीम की पत्तियों को अच्छे से जान लेना चाहिए,का तेल बनकर तैयार हो जाता है, पत्तियों को अलग से निकाल कर रख दे गांव में सभी लोग इसे ही तेल बनते है, तेल घर पर ही बनाया जाता है।
5.उसे 3 से 4 महीने तक काम में लिया जाता है, नीम का तेल बहुत ही फायदेमंद औषधि का काम करता है, इसे त्वचा संबंधी किसी भी रूप में आपको लगा सकते हो और उससे बहुत ही फायदा मिलता है।
🌿 आरोग्य संजीवनी ☘️
⟴ बारिश का सीजन , जिसे आयुर्वेद में “वर्षा ऋतु” कहा गया है, आषाढ़ व श्रावण (जुलाई-अगस्त) मास में आती है। यह काल दोषों के विशेष संचय और प्रकुप्त होने का समय होता है। चरक संहिता के अनुसार —_
“वर्षास्वाम्लं लवणं स्निग्धं अल्पं चानिलशोधनम् |
दोषप्रकोपकालश्च वर्षासंक्रान्तिरुच्यते ||”
™(चरक संहिता, सूत्रस्थान 6/24)
अर्थ: वर्षा ऋतु में वात दोष का प्रकोप, पित्त का संचय और कफ का शमन होता है। यह समय पाचन शक्ति के न्यूनतम स्तर पर होने के कारण रोग उत्पन्न करने वाला होता है।
❁ वर्षा ऋतु में शरीर की स्थिति – (आयुर्वेदिक दृष्टि से)
✦ जठराग्नि मंद हो जाती है (भोजन के पाचन की शक्ति कम)
✦ वात दोष विशेष रूप से बढ़ता है
✦ पित्त का संचय होता है जो शरद ऋतु में प्रकोप करेगा
✦ जल के प्रदूषण से आमव्रुद्धि, ज्वर, डायरिया, हेपेटाइटिस, त्वचा रोग बढ़ते हैं
✦ जीवाणु-विषाणु संक्रमण (viral-bacterial infection) का खतरा बढ़ता है
⇏ आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु की विशेष दिनचर्या (ऋतुचर्या):
➤ आहार संबंधी निर्देश:
✪ पचने में हल्का, गर्म, ताजा बना हुआ भोजन लें
✪ खट्टा (aml), नमकीन (lavana), स्निग्ध (ghee-oiled) भोजन उपयुक्त है
✪ पानी को उबालकर पीना चाहिए, चाहे बारिश का हो या नल का
✪ भूख अनुसार भोजन करना चाहिए, अति-भोजन से बचें
❌ क्या न खाएं:
✤ कच्चा सलाद (क्योंकि इनमें कृमि, वायरस रह सकते हैं)
✤ सड़क किनारे का खाना, पकोड़े, चाट आदि
✤ दही (बिना हींग या सोंठ के), क्योंकि यह कफ व आम बढ़ाता है
✤ ठंडा पानी, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक
✤ अरबी, पालक, भिंडी, बैंगन – ये भारी, कफवर्धक व वातकारक हैं
📖 गुरु भक्ति योग🕯️
सावन में शिवजी की पूजा क्यों होती है?
सावन (श्रावण) मास में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व है और इसके पीछे धार्मिक, पौराणिक और प्राकृतिक कारण हैं। आइए इसे संक्षेप और सरल भाषा में समझते हैं:
सावन में शिव पूजा का कारण:
समुद्र मंथन से जुड़ी कथा:
जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब सबसे पहले कालकूट विष निकला, जो सृष्टि को नष्ट कर सकता था।
उस विष को भगवान शिव ने दुनिया की रक्षा के लिए पी लिया और उसे अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका गला नीला हो गया और वह कहलाए नीलकंठ।
विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगा जल, बेलपत्र, दूध, दही आदि से शिवजी का अभिषेक किया।
कहा जाता है कि यह घटना श्रावण मास में हुई थी, इसलिए इस महीने शिवजी की विशेष पूजा होती है।
प्राकृतिक कारण:
सावन के महीने में वर्षा ऋतु होती है, जिससे वातावरण शुद्ध और शांत रहता है।
यह समय तप, ध्यान, उपवास और पूजा-पाठ के लिए अनुकूल माना जाता है।
जल की अधिकता के कारण अभिषेक (जल चढ़ाना) भी सरल होता है।
पूजा का महत्व:
इस महीने सोमवार (श्रावण सोमवार) को विशेष पूजा का महत्व है।
लोग व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, दही, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाते हैं।
माना जाता है कि सावन में शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और कष्ट दूर कर आशीर्वाद देते हैं।
कुंवारी लड़कियों के लिए:_
कुंवारी कन्याएँ श्रावण सोमवार व्रत रखती हैं ताकि उन्हें शिव जैसा आदर्श पति (जैसे पार्वती को शिवजी मिले) प्राप्त हो।
निष्कर्ष:
सावन मास भगवान शिव के त्याग, तपस्या और करुणा का प्रतीक है। इस महीने की पूजा से आध्यात्मिक उन्नति, शांति, और कष्टों से मुक्ति का मार्ग खुलता है।
𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼 🙏🏻𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼
⚜️ तृतीया तिथि केवल बुधवार की हो तो अशुभ मानी जाती है। अन्यथा इस तृतीया तिथि को सभी शुभ कार्यों में लिया जा सकता है। आज तृतीया तिथि को माता गौरी की पूजा करके व्यक्ति अपनी मनोवाँछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। आज तृतीया तिथि में एक स्त्री माता गौरी की पूजा करके अचल सुहाग की कामना करे तो उसका पति सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। आज तृतीया तिथि को भगवान कुबेर जी की विशिष्ट पूजा करनी चाहिये। देवताओं के कोषाध्यक्ष की पूजा आज तृतीया तिथि को करके मनुष्य अतुलनीय धन प्राप्त कर सकता है।।


