Today Panchang आज का पंचांग मंगलवार, 10 जून 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
मंगलवार 10 जून 2025
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
🌌 दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
👸🏻 शिवराज शक 352
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – उत्तरायण
☂️ ऋतु – सौर ग्रीष्म ऋतु
☀️ मास – ज्यैष्ठ मास
🌖 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – मंगलवार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि 11:35 AM तक उपरांत पूर्णिमा
🖍️ तिथि स्वामी :- चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ जी है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है । चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र अनुराधा 06:01 PM तक उपरांत ज्येष्ठा
🪐 नक्षत्र स्वामी – अनुराधा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनिदेव हैं।और राशि के स्वामी मंगल हैं।साथ ही उनके देवता मित्र देव हैं।
⚜️ योग – सिद्ध योग 01:44 PM तक, उसके बाद साध्य योग
⚡ प्रथम करण : वणिज – 11:35 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : विष्टि – 12:27 ए एम, जून 11 तक बव
🔥 गुलिक काल : मंगलवार का गुलिक दोपहर 12:06 से 01:26 बजे तक।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 15:19 बजे से 16:41 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो कोई गुड़ खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:14:00
🌄 सूर्यास्तः- सायं 06:46:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:02 ए एम से 04:42 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 04:22 ए एम से 05:23 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:53 ए एम से 12:49 पी एम
🔯 विजय मुहूर्त : 02:40 पी एम से 03:36 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 07:17 पी एम से 07:38 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 07:19 पी एम से 08:19 पी एम
💧 अमृत काल : 06:32 ए एम से 08:18 ए एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:01 ए एम, जून 11 से 12:41 ए एम, जून 11
❄️ रवि योग : 05:23 ए एम से 06:02 पी एम
🚓 यात्रा शकुन – दलीया का सेवन कर यात्रा पर निकले।
👉🏼 आज का मंत्र – ॐ अं अंगारकाय नमः।
🤷🏻♀️ आज का उपाय – हनुमान मंदिर में मसूर दाल का मीठा पकवान चढ़ाएं।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय – खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार : रवि योग/ वट पूर्णिमा व्रत/ वट सावित्री व्रत/ विश्व दृष्टिदान दिवस/ पूर्णिमा प्रारम्भ सुबह 11.35/ राष्ट्रीय आइस्ड टी दिवस, राष्ट्रीय जड़ी बूटी और मसाले दिवस, राष्ट्रीय ईएचएस जागरूकता दिवस, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला स्मृति दिवस, राष्ट्रीय अंडा रोल दिवस, विश्व भूगर्भ जल दिवस, विश्व नेत्रदान दिवस, उद्योगपतियों राहुल बजाज जन्म दिवस, भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल जयंतनाथ चौधरी जन्म दिवस, साहित्यकार अनूप सेठी जन्म दिवस, विश्व आधुनिक कला दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।
🗼 Vastu Tips_ 🗽
वास्तु के अनुसार, सफेद रंग का संबंध धातु से है और धातु का संबंध पश्चिम दिशा के अलावा वायव्य कोण, यानि उत्तर-पश्चिम दिशा से है। इसलिए इन दोनों दिशाओं में सफेद या सिल्वर रंग से संबंधित चीजें रखना अच्छा होता है। पश्चिम दिशा में सफेद रंग से संबंधित चीजें रखने से खुशी मिलती है। चेहरे की खुबसूरती बढ़ती है, साथ ही घर की छोटी बेटी को लाभ होता है, जबकि वायव्य कोण, यानि उत्तर-पश्चिम दिशा में सफेद रंग से संबंधित चीजों को रखने से पिता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
🔐 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
हरी इलायची का सबसे प्रमुख और पारंपरिक उपयोग पाचन तंत्र को मजबूत करना है। आयुर्वेद के अनुसार, यह अग्नि यानी पाचन शक्ति को बढ़ाकर भोजन के सही पाचन में मदद करती है। इसके सेवन से गैस, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं कम होती हैं। यह पेट की सूजन और दर्द को भी शांत करती है, जिससे भोजन से जुड़ी कई तकलीफें दूर होती हैं।
मुँह की बदबू दूर करती है हरी इलायची को चबाने से मुँह की दुर्गंध तुरंत खत्म हो जाती है। यह मुँह में ताजगी और स्वच्छता बनाए रखती है। आयुर्वेद में इसे मुँह की सफाई और दाँतों की देखभाल के लिए भी अत्यंत प्रभावी माना गया है। यह मसूड़ों की सूजन को कम करने में भी सहायक है।
श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी हरी इलायची के सेवन से श्वास नली साफ होती है, जिससे सर्दी, जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। आयुर्वेद के मुताबिक, यह कफ और वात दोष को नियंत्रित करती है, जो सामान्यतया सांस लेने में तकलीफ का कारण बनते हैं।
तनाव और मानसिक शांति के लिए हरी इलायची का सुगंधित तेल और इसके उपयोग से मन को शांति मिलती है। आयुर्वेद में इसे तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने वाला माना गया है। इसके सेवन से मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन में भी आराम मिलता है। यह मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है और नींद को भी सुधारता है।
🩸 आरोग्य संजीवनी 💊
खट्टे फल (जैसे संतरा, नींबू, अमरुद) क्यों न खाएं: खट्टे फल अम्लीय होते हैं और खाली पेट इनका सेवन करने से पेट में गैस, जलन, और अल्सर हो सकता है।
फायदा: इन फलों में विटामिन C होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, लेकिन इन्हें खाने का सही समय है जब पेट में कुछ हो, जैसे नाश्ता या भोजन के बाद।
कॉफी या चाय क्यों न पींें: खाली पेट इनका सेवन करने से पेट में एसिड का स्तर बढ़ सकता है, जिससे एसिडिटी और पेट में जलन हो सकती है।
फायदा: कॉफी और चाय में कैफीन होता है जो ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन इन्हें खाने से पहले थोड़ा नाश्ता करना बेहतर होता है।
चीनी और मीठा खाद्य पदार्थ क्यों न खाएं: खाली पेट मीठा खाने से रक्त शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ सकता है, जिससे बाद में थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
फायदा: मीठे खाद्य पदार्थ शरीर को त्वरित ऊर्जा प्रदान करते हैं, लेकिन यह खाने के बाद में सबसे अच्छे होते हैं।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
एक बार की बात है असुर वृत्रासुर ने स्वर्ग पर अपना हक जमाने के उद्देश्य से सभी देवताओं व देवराज इंद्र को इतना परेशान किया की उन्हें स्वर्ग छोड़ कर भागना पड़ा। वृत्रासुर के अजयेप्राय होने के कारण उसे कोई देवता नहीं हरा सका। इसलिए सभी देवता इंद्र सहित महर्षि दधीचि के पास मदद मांगने के लिए गए। उन्होंने महर्षि दधीचि से कहा की हमे वृत्रासुर से आप ही बचा सकते है।
महर्षि का स्वभाव महर्षि बड़े ही दयालु थे। उन्होंने कहा की बताइये मैं क्या कर सकता हूँ। इंद्रदेव बोले की हे महर्षि !कार्य तो बहुत ही कठिन है-परआप के सिवा संकट मिटेगा नहीं। महर्षि बोले निःसंकोच होकर बोलो। यदि सम्भव होगा तो मैं अवश्य मदद करूंगा।
इंद्रदेव बोले की असुर वृत्रासुर अजयेप्राय है (अमर है ) उसे वरदान प्राप्त है की वो किसी के मारने से नहीं मरेगा। कोई अस्त्र -शास्त्र उसे मारने के लिए नहीं बना। वो सिर्फ आपकी अस्थियों से बने शस्त्र से मर सकता है और किसी अस्त्र से नहीं।
कृपया आप स्वर्ग और सभी देवताओ के हित के लिए हमे अपनी अस्थियों से बना अस्त्र प्रदान करें। हम सदा आपके आभारी रहेंगे।
दयालु स्वभाव के होने के कारण महर्षि ने देवताओ तथा देवराज इंद्र की प्रार्थना स्वीकार कर ली। जिसे सुन देवता खुश हो गए। प्रार्थना स्वीकार कर महर्षि दधीचि ने अपने देह का त्याग किया। विश्वकर्मा ने उनकी अस्थियाँ लेकर एक वज्र बनाया।
उसी वज्र से इंद्र ने अजेयप्राय वृत्रासुर को मारा और स्वर्ग पर फिर से अपना अधिकार स्थापित किया। माँ सुवर्चा और महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद को जब अपने पिता दधीचि के घातक (नुक्सान पहुंचाने वाले ,हत्यारे ) देवताओ की करनी का पता चला तो उन्हें देवताओ पर बड़ा क्रोध आया।
उन्होंने अपनी माँ से कहा कि -अपने स्वार्थ के लिए देवताओं ने मेरे तपस्वी पिता को आत्महत्या करने में मजबूर कर दिया। उन्हें हड्डियाँ मांगने में ज़रा भी लज्जा नहीं आई।
पिप्पलाद की तपस्या पिप्पलाद के मन में प्रतिशोध (बदले ) की भावना जल उठी। उसने सभी देवताओं को नष्ट करने का संकल्प किया और इसी उद्देश्य से तपस्या करनी आरम्भ कर दी।
पवित्र नदी गौतमी तट के किनारे बैठकर उन्होंने तपस्या शुरू की। तपस्या करते -करते उन्हें बहुत वर्ष बीत गये । उसकी कठिन तपस्या से भगवान् शंकर प्रसन्न हुए। उन्होंने पिप्पलाद को दर्शन देकर कहा -बेटा पिप्पलाद आँखे खोलो। मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूँ। मांगो तुम क्या वर मांगते हो।
पिप्पलाद ने भगवान् शिव को साष्टांग प्रणाम किया और फिर बोले -हे प्रलयंकर,हे प्रभु !यदि आप सचमुच मुझ पर प्रसन्न है ,तो आप अपना तीसरा नेत्र खोले और स्वार्थी देवताओं को भस्म कर दें…
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⚜️ हमारे वैदिक सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा को कोई-न-कोई व्रत-त्यौहार होता ही है। जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा की दशा चल रही हो उसे पूर्णिमा के दिन उपवास रखना अर्थात व्रत करना चाहिये। जिनके बच्चे कफ रोगी हों अर्थात सर्दी, जुकाम, खाँसी और निमोनियाँ समय-समय पर होती रहती हो उनकी माँ को वर्षपर्यन्त पूर्णिमा का व्रत करना और चन्द्रोदय के बाद चंद्रार्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिये।।
पूर्णिमा माता लक्ष्मी को विशेष प्रिय होती है। इसलिये आज के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मनोवान्छित कामनाओं की सिद्धि होती है। पूर्णिमा को शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिल्वपत्र, शमीपत्र, फुल तथा फलादि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। पूर्णिमा को शिव पूजन में सफ़ेद चन्दन में केशर घिसकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर के पारिवारिक एवं आन्तरिक कलह और अशान्ति दूर होती है।।