धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग रविवार, 12 अक्टूबर 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 12 अक्टूबर 2025
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
12 अक्टूबर 2025 दिन रविवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष कि षष्ठी तिथि है। आज श्रीस्कन्दषष्ठी व्रत भी है। आज रवियोग भी है। इसलिए आज सभी को ज्यादा से ज्यादा कर्म कार्य करना चाहिए। आप सभी सनातनियों को “श्रीस्कन्दषष्ठी व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।
🌠 *रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें। *इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
*रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें । रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है। 🔮 *शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल* 🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
👸🏻 शिवराज शक 352_

☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
⛈️ मास – कार्तिक मास
🌗 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – रविवार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि 02:17 PM तक उपरांत सप्तमी
🖍️ तिथी स्वामी – षष्ठी के देता हैं कार्तिकेय। इस तिथि में कार्तिकेय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र म्रृगशीर्षा 01:36 PM तक उपरांत आद्रा
🪐 नक्षत्र स्वामी – मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी देवता सोम (चंद्रमा) हैं, और इसका स्वामी ग्रह मंगल है। सोम देवता पवित्र अमृत का प्रतिनिधित्व करते हैं और ज्ञान प्रदान करते हैं
⚜️ योग – वरीयान योग 10:55 AM तक, उसके बाद परिघ योग
प्रथम करण : वणिज – 02:16 पी एम तक
द्वितीय करण : विष्टि – 01:15 ए एम, अक्टूबर 13 तक बव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 4:51 बजे से 6:17 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:16:00
🌅 सूर्यास्तः- सायः 05:55:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:41 ए एम से 05:30 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:06 ए एम से 06:20 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:44 ए एम से 12:30 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:03 पी एम से 02:49 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:55 पी एम से 06:19 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:55 पी एम से 07:09 पी एम
💧 अमृत काल : 02:56 ए एम, अक्टूबर 13 से 04:27 ए एम, अक्टूबर 13
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:43 पी एम से 12:32 ए एम, अक्टूबर 13
❄️ रवि योग : 01:36 पी एम से 06:21 ए एम, अक्टूबर 13
🚙 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारम्भ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-विष्णु मन्दिर में केसरयुक्त मालपुए चढ़ाएं।
🌳 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ *पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ विश्व गठिया दिवस, विश्व प्राकृतिक आपदा रोकथाम दिवस, पंजाब के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटील जन्म दिवस, प्रसिद्ध सितार वादक शिवनाथ मिश्रा जन्म दिवस, स्वतंत्रता सेनानी राम मनोहर लोहिया शहीद दिवस, राष्ट्रीय बचत दिवस, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर रिंकू खानचंद सिंह जन्म दिवस, स्पेन का राष्ट्रीय दिवस, ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया जयन्ती, कोलम्बस दिवस, विश्व डाक दिवस (सप्ताह), राष्ट्रीय विधिक सहायता दिवस (सप्ताह) ✍🏼 *तिथि विशेष – षष्ठी तिथि को तैल कर्म अर्थात शरीर में तेल मालिश करना या करवाना एवं सप्तमी तिथि को आँवला खाना तथा दान करना भी वर्ज्य बताया गया है। इस षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय जी को बताया गया हैं। यह षष्ठी तिथि नन्दा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह षष्ठी तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस तिथि में स्वामी कार्तिकेय जी के पूजन से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। विशेषकर वीरता, सम्पन्नता, शक्ति, यश और प्रतिष्ठा कि अकल्पनीय वृद्धि होती है।
🗼 Vastu tips_ 🗽
*वास्तु में बांस का पौधा लगाने की सही दिशा आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार, बांस का पौधा आपको हमेशा पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। अगर इस दिशा में पौधा लगाने की जगह नहीं है तो आप दक्षिण-पूर्व या उत्तर दिशा में भी बांस का पौधा लगा सकते हैं। हालांकि, पूर्व दिशा को ही वास्तु में बांस का पौधा लगाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस पौधे का घर में सही दिशा में होना आपके परिवार में सुख, सद्भाव और समृद्धि लेकर आता है। *घर में है बांस का पौधा तो इन बातों का रखें ख्याल बांस का पौधा घर में सही दिशा के साथ ही सही स्थान पर भी होना चाहिए। इसे कभी भी बाथरूम के पास लगाने की गलती न करें, ऐसा करने से अच्छे परिणाम आपको प्राप्त नहीं होते। इसके साथ ही स्टोर रूम में भी इस पौधे को न रखें। घर में पौधा रखा है तो हफ्ते या 15 दिन में इसका पानी अवश्य बदलें। बांस के पौधे के आसपास गंदगी फैलाने से भी आपको बचना चाहिए। वहीं, दक्षिण दिशा में इस पौधे को गलती से भी न रखें। सही तरीके से अगर आप घर में बांस के पौधे का रख-रखाव करते हैं तो उन्नति आप जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
🔰 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
अरंडी तेल के फायदे बालों के लिए:
*बालों का मजबूत होना: इसमें राइसीनॉलिक एसिड होता है, जो बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है और टूटने को कम करता है। *बालों का तेजी से बढ़ना: नियमित मसाज करने से सिर की रक्तसंचार बढ़ती है, जिससे बाल तेजी से बढ़ सकते हैं।
*डैंड्रफ और खुजली कम करना: इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण स्कैल्प की खुजली और खोपड़ी की सूखी त्वचा को कम करते हैं। *बालों में घनापन और चमक: लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर बाल मोटे और चमकदार दिख सकते हैं।
*बालों का प्राकृतिक मॉइस्चराइजिंग: यह तेल बालों को और सिर की त्वचा को प्राकृतिक रूप से नमी देता है। 👉🏼 *इस्तेमाल का तरीका:*
*हल्का गर्म तेल लेकर सिर में मसाज करें। *इसे कम से कम 1–2 घंटे या रात भर के लिए लगा रहने दें।
*फिर शैम्पू से धो लें। 🍈 *आरोग्य संजीवनी* 🍶 पीर‍ियड्स की अन‍ियम‍ितता दूर करता है इंद्रायण अगर आपको अन‍ियमित पीर‍ियड्स की समस्‍या है तो आप इंद्रायण औषधी का इस्‍तेमाल कर सकती हैं। आपको इंद्रायण के फल का रस और बीज को पीसकर काढ़ा बनाना है और इस काढ़े को द‍िन में एक बार पीने से पीर‍ियड्स से जुड़ी समस्‍या दूर हो सकती है। अर्थराइट‍िस में दर्द दूर करता है इंद्रायण का फल अर्थराइट‍िस के लक्षण की बात करें तो जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्‍या होती है, अगर आपको भी ये समस्‍या है तो इंद्रायण के फल का सेवन करें। इंद्रायण में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं इससे दर्द और सूजन की समस्‍या दूर होती है। क‍िसी अन्‍य अंग में भी चोट के कारण सूजन आई हो तो आप इंद्रायण के फल के रस को उस जगह लगाकर दर्द से राहत पा सकते हैं। निमोन‍िया को ठीक करने में इंद्रायण का फल फायदेमंद माना जाता है। इंद्रायण के रस को गुनगुने पानी के साथ लेने से न‍िमोन‍िया ठीक हो जाता है। न‍िमोन‍िया को ठीक करने के ल‍िए आप इंद्रायण की जड़ का चूरण भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। पेशाब करते समय जलन हो तो इस्‍तेमाल करें इंद्रायण पानी कम पीने के नुकसान या क‍िसी अन्‍य कारण के चलते कुछ लोगों को यूर‍िन पास करते समय जलन होती है, अगर आपको भी यही समस्‍या है तो आप इंद्रायण की जड़ का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इंद्रायण की जड़ को पीसकर पाउडर बना लें और फ‍िर उसे गुनगुने पानी के साथ म‍िलाकर प‍िएं तो यूर‍िन करते समय जलन की समस्‍या ठीक हो जाएगी। 📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
थंजावुर का भव्य शहर, राजराज चोल प्रथम के शासनकाल में अपने वैभव के चरम पर था, जब एक अजीब अतिथि दिखाई दिया। विश्व को एक बुद्धिमान और वीर सम्राट के रूप में जाना जाने वाला राजराज, रहस्यमय कलाओं से भी गहरा जुड़ा हुआ था, अक्सर स्वयं देवताओं से ज्ञान की तलाश करते थे।
*एक शुभ संध्या, जब सूरज क्षितिज से नीचे डूब रहा था, आकाश को सोने और लाल रंगों से रंग रहा था, राजराज बृहदेश्वर मंदिर में अकेले ध्यान कर रहे थे। उनका मन शांत था, हृदय ब्रह्मांड के फुसफुसाहट के लिए खुला हुआ था, जब उनके सामने एक चमकता पोर्टल खुला। इस पोर्टल से एक प्राचीन कवच में एक व्यक्ति उभरा, इस युग का नहीं, बल्कि एक समय से कहीं आगे का आदमी। *“मैं अर्जुन हूँ,” व्यक्ति ने परिचय दिया, उसकी आवाज़ प्राचीन गर्जन की शक्ति के साथ गूँज रही थी। “महाभारत का पांडव अर्जुन, विष्णु की इच्छा से तुम्हारी खोज में मदद करने के लिए लाया गया।”
*राजराज, असाधारण से अप्रभावित, इस पौराणिक योद्धा का स्वागत करने के लिए खड़े हुए। “महाभारत का अर्जुन? गांडीव का धनुर्धर? क्या भाग्य तुम्हें मेरे युग में लाता है?” *अर्जुन, जिनकी आँखों में युगों का ज्ञान झलक रहा था, बोले, “एक अंधकार, इस दुनिया का नहीं, समय के संतुलन को खतरे में डाल रहा है। वह इतिहास के सूत्रों को उलझाना चाहता है, आपके राज के साथ शुरू करते हुए, जो चोल साम्राज्य का शिखर है।”
*राजराज ने इस पर विचार किया, उनकी दृष्टि नटराज की भव्य मूर्ति की ओर मुड़ गई, जो समय के नृत्य का प्रतीक था। “समय के नृत्य को संरक्षित करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?” *“अंधकार एक दैत्य है, दानवों में से एक, जिसने समय को मनमाने ढंग से बदलना सीखा है। हमें उसे क्षणों के बीच के क्षेत्र में हरा करना होगा, जहाँ अतीत, वर्तमान और भविष्य मिलते हैं,” अर्जुन ने समझाया, अपना धनुष तैयार करते हुए।
*साथ मिलकर, वे पोर्टल में प्रवेश किया, यह यात्रा नहीं थी स्थान की, बल्कि समय के ताने-बाने की। वे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ समय तरल था, जहाँ तारे मृत्यु की अज्ञात रीतियों में चलते थे। यहाँ, उन्होंने दैत्य का सामना किया, एक छाया और द्वेष का प्राणी, जिसका रूप समय की रेत की तरह बदलता था। *राजराज के रणनीतिक मन और अर्जुन के अद्वितीय धनुर्विद्या से, उन्होंने लड़ाई की। राजराज ने अपने पूर्वजों की आध्यात्मिक शक्ति को बुलाया, प्राचीन मंत्रों का जाप करते हुए जो अर्जुन के तीरों को दिव्य शक्ति से संपन्न करते थे। प्रत्येक तीर अंधकार को भेदता हुआ, न केवल दैत्य को घायल करता बल्कि समय के धागे को भी जोड़ता जिसे वह नष्ट करना चाहता था।
*लड़ाई कठिन थी, दैत्य अपने विरोध में दहाड़ता हुआ भविष्य या अतीत में भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अर्जुन के तीर, राजराज के ज्ञान से निर्देशित, उसके भाग्य को सील कर दिया। एक अंतिम शॉट के साथ, दैत्य को पराजित कर दिया गया, उसका सार वहीं से विलीन हो गया जहाँ से वह आया था। *थंजावुर लौटते हुए, पोर्टल उनके पीछे बंद हो गया, केवल उनके साझा ज्ञान को छोड़कर।
*“तुमने न केवल अपने साम्राज्य को, बल्कि इतिहास के ताने-बाने को बचाया है,” अर्जुन ने कहा, अपने स्वयं के समय में वापस जाने लगे। *“और तुमने मुझे समय के पार एकता की सच्ची शक्ति सिखाई है,” राजराज ने सम्मान में झुकते हुए जवाब दिया।
जैसे ही अर्जुन गायब हुए, राजराज ने अपने शहर को नई ऊर्जा के साथ देखा। उन्हें अब पता था कि उनकी विरासत केवल पत्थरों और विजय में नहीं बल्कि समय के अनंत नृत्य में है, जहाँ सभी युगों के नायक अंधकार के खिलाफ एक साथ खड़े होंगे।
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⚜️ षष्ठी तिथि आपके उपर यदि मंगल कि दशा चल रही हो और आप किसी प्रकार के मुकदमे में फंस गये हों तो षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय स्वामी का पूजन करें। मुकदमे में अथवा राजकार्य से सम्बन्धित किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिये षष्ठी तिथि को सायंकाल के समय में किसी भी शिवमन्दिर में षण्मुख के नाम से छः दीप दान करें। कहा जाता है, कि स्वामी कार्तिकेय को एक नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपने भुजा पर बाँधने से शत्रु परास्त हो जाते हैं। साथ ही सर्वत्र विजय कि प्राप्ति होती है।

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