हादसो के बाद क्यों जागता है प्रशासन, आरटीओ पर सख्त कार्यवाही की मांग

रिपोर्टर : कुंदनलाल चौरसिया
गौरझामर । बस दुर्घटनाओ की लगातार मिल रही हृदय विदारक खबरो के बाद भी लगता है अभी भी शासन प्रशासन कुम्भकर्णी निद्रा में निमग्न है अच्छी सडको के बाद भी आरटीओ प्रशासन ले देकर इन पर खटारा बसो को परमिट दे रहा है और मिलीभगत से चलवा रहा है देखा जाये अधिकांश बसे जो काफी पुरानी उम्रदराज और खटारा हो चुकी है वह सडको पर चलने की पात्रता भी खो चुकी है इसमे घिसे पिटे पार्ट टूटे फूटे कांंच खिडकियां बजती बाडी सैकडो तकनीकी खामियां रिमोल्ड टायर बिना ब्रेक बिना सर्विसिंग बिना परमिट बिना फिटनिश आदि के चलने से यह सुविधा जनक कम जानलेवा ज्यादा है इन तथाकथित खटारा बसो मे यात्री भगवान भरोसे ही यात्रा करते है यात्रियो का खुला आरोप है की यहां आरटीओ परमिट पर चलने वाली निजी बसो पर किसी का नियंत्रण तक नही है बस मालिक चालक परिचालक क्लिनर की दबंगई गुंडागर्दी अनैतिक दबाव मनमानी की मिशाल बनी इन बसो में यात्री मनमाने किराये का भी शिकार हो रहा है सडको पर दौडने वाली बसो का कभी भी आरटीओ व्दारा रूटीन चैकिग नही किया जाता जो बेहद चिंता का विषय है यही कारण है की चाहे वह स्कूल बस हो या फिर यात्री बस इनमे न बच्चो की जान की फिकर है नही ठूसठूंस कर भेड बकरियो की तरह भरे यात्रियो की परवाह है, देखा जाये तो हाल के कुछ दिनो मे बस दुर्घटनाओ के समाचार सबसे ज्यादा मिलने से यात्रियो मे यात्रा को लेकर खौफ ज्यादा हैं सागर जिला व संभाग मे संचालित बसो मे ब्रेक फैल होने की घटना बस मालिको चालको परिचालको को सामान्य सी बात लगती है जब कोई बडा बस हादसा होता तभी प्रशासन जागता है इन बस दुर्घटनाओ के पीछे के कारणो की तरफ आरटी पुलिस जिला व संभाग प्रशासन को संज्ञान लेने की जरुरत है खटारा बसो की जांच के साथ साथ मिनी बसो की भी खैर खबर ली जावे जो यात्री सुविधा की सबसे बडी दुश्मन बनी है जिन्हे तमाम आरटीओ नियम कायदे कानूनो की धज्जियां उठाते हुए पचास किलोमीटर की दूरी के पार भी धडल्ले से चलाया जा रहा है।