आदिवासी अंचल में अवैध शराब के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा सिलवानी थाने में दिया आधे घंटे धरना
राज्यपाल के नाम सोपा एसडीओपी और थाना प्रभारी को ज्ञापन
सिलवानी । सिलवानी तहसील के आदिवासी अंचल में अबैध शराब के खिलाफ महिलाओं का आक्रोश चरम पर है। आदिवासी अंचल ग्राम जैथारी प्रतापगढ़, गुदरीई, मरेटी आदि गांव-गांव से निकलकर अब यह विरोध सिलवानी थाने की दहलीज़ तक पहुंच चुका है। बुधवार को आदिवासी महिलाओं ने सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होकर बजरंग चौराहे से आबकारी विभाग विभाग के खिलाफ अवैध शराब बेचने वालों पर कार्रवाई को लेकर नारे लगाते हुए 1 किलोमीटर पैदल चलकर सिलवानी थाने पहुंची जहां सभी महिलाओं ने महामहिम राज्यपाल के नाम एसडीओपी अनिल मौर्य, थाना प्रभारी पूनम सविता को एक मांग पत्र सौंपा। सिलवानी थाना परिसर में आदिवासी समुदाय की दर्जनों महिलाएं धरने पर बैठ गईं। इन महिलाओं ने आबकारी विभाग पर शराब माफियाओं को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया और जमकर नारेबाजी की। ग्रामीण महिलाएं सिलवानी थाने में धरना देने पहुंची महिलाओं का कहना है कि गांव-गांव में महिलाएं टोलियां बनाकर अवैध शराब के ठिकानों पर छापेमार रही हैं। कई जगहों पर जब्त शराब को वे खुद पुलिस के हवाले कर चुकी हैं, लेकिन आबकारी विभाग और जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते शराब माफिया अब भी बेखौफ हैं। धरना दे रही महिलाओं ने बताया कि हम खुद जाकर शराब पकड़ते हैं पुलिस को देते है पर आबकारी वाले सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करते हैं शराब माफिया असली माफिया शराब बेचकर खुलेआम घूम रहे हैं। अबैध शराब बेचने वालों पर कार्रवाई को लेकर सिलवानी थाना प्रभारी पूनम सविता ने बताया कि हमने पिछले चार महीनों में अवैध शराब के खिलाफ 40 प्रकरण पुलिस थाने में दर्ज किए हैं। शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है हम महिलाओं के साथ हैं। थाना परिसर पुलिस अफसरों की मौजूदगी महिलाओं का समूह प्रतापगढ़, जैथारी, गुदरई, मरेठी और अन्य गांवों से आई महिलाएं कहती हैं कि उन्होंने अब कानून व्यवस्था की कमान खुद संभाल ली है। वहीं दूसरी और आबकारी विभाग पर सीधा सवाल उठते हुए महिलाएं कह रही हैं कि विभाग के संरक्षण में ही शराब का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। आदिवासी क्षेत्र की इन महिलाओं का विरोध अब एक बड़ा जनांदोलन बनता जा रहा है। सवाल ये है कि जब महिलाएं खुद शराब पकड़कर पुलिस को सौंप रही हैं तो आबकारी विभाग की निष्क्रियता क्यों बनी है क्या प्रशासन इन बहादुर महिलाओं की आवाज़ को सुनेगा या फिर यह आंदोलन और तेज होगा।



