मध्य प्रदेश

कटारिया-कारडा के पास पट्टे थे, बिना नोटिस उनका निर्माण तोडऩा अनुचित भी-साजिश भी

जनप्रतिनिधी महापौर को अतिक्रमण हटाने की जानकारी नहीं देना भी अनुचित और संदिग्ध
सिंधी संप्रदाय की बैठक में गंभीर निर्णय लिए गए

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान | माधवनगर में 12 मार्च को अवैध अतिक्रमण तोडऩे की प्रशासनिक कार्रवाई भारी जनाक्रोश के सामने शुरूआत होते ही थम गई जब पट्टाधारी कटारिया और कारडा परिवार के मकान पर बुलडोजर चलने लगा ।  कटारिया और कारडा परिवार दोनों को प्रशासन ने अतिक्रमण तोडऩे की सूचना नहीं दी थी, इसका विरोध नागरिकों के साथ वहां पहुंची महापौर प्रीति संजीव सूरी ने भी किया। अंतत: कार्रवाई पंकज आहूजा के टिन-शेड को हटाकर रूकी, मगर सिंधी समाज के प्रमुख संगठनों ने अपात बैठक बुलाकर इस साजिशपूर्ण तोडफ़ोड़ की तीखी निंदा की है और शासन प्रशासन से मांग की है कि जब तक उनके पेंडिंग-पट्टों का फाइनल समाधान नहीं होता तब तक उनके मकानों पर अमानवीय तोडफ़ोड़ नहीं की जाए। इस पूरी कार्रवाई को कुछ व्यक्ति विशेष को लक्षित करके किए जाने और महापौर की छवि को धूमिल करने की साजिश भी माना जा रही है।
बता दें कि पंकज आहूजा के कब्जे वाले टिन-शेड को हटाने के लिए तहसीलदार ऑफिस से लगातार दो नोटिस दिए गए और सुनवाई की तारीख 15 मार्च को देकर तीन दिन पहले 12 मार्च को ही तोडफ़ोड़ की कार्रवाई करने रेवेन्यू और ननि की टीम पहुंच गई। जबकि यह जमीन भी पट्टे के लिए आवेदित और अभी तक अनिर्णीत अवस्था में थी। इसी से लगी हुई कारडा और कटारिया परिवार की पट्टे की भूमि पर बने मकान को तोडफ़ोड़ करने की कार्रवाई ननि और प्रशासन ने शुरू की तो बवाल मच गया ।  महापौर प्रीति संजीव सूरी भी वहां पहुंची और राजस्व टीम तथा विशेष रूप से ननि आयुक्त की क्लास ली कि मेयर से इस कार्रवाई की जानकारी छिपाने के पीछे आपका क्या आशय था। प्रशासनिक टीम भी यह नहीं बता सकी कि कटारिया और कारडा परिवार को नोटिस दिए बिना उनके मकान पर बुलडोजर कैसे चलाया जा रहा है। इन दोनों परिवार के पास पट्टा है। इन्हें कम से कम तीन नोटिस भेजकर पूरी स्थिति स्पष्ट करने के बाद ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जानी थी। मेयर ने इस अवैधानिक कार्रवाई का विरोध किया और जनता भी आक्रोशित थी अत: तोडफ़ोड़ आगे नहीं बढ़ी। पूरी प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में चर्चित है कि आखिर बिना पूर्व नोटिस सुनवाई के रातों-रात अतिक्रमण तोडऩे का आदेश पास करने के आपात स्थिति क्यों बनी। फिर आयुक्त ने महापौर को इसकी जानकारी देने से परहेज क्यों किया।
*उपयंत्री पर भी कार्रवाई हो*
जब अवैध निर्माण चल रहे थे तो ननि के उपयंत्री, अतिक्रमण प्रभारी और नक्शा विभाग प्रमुख क्या सो रहे थे? इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। यह मांग स्वयं जनता ने मौके पर उठाई और सिंधी समाज की बैठक में भी यह मुद्दा उछला। फिलहाल महापौर ने स्पष्ट कहा कि नागरिकों पर नाजायज कार्रवाई का वे विरोध करती है, करती रहेंगी।
*एक साल में 20 पट्टे बने, शेष 2200 बनेंगे 40 साल में*
जब तक सबको पट्टे नहीं तब तक जेसीबी नहीं आयेगी माधवनगर में सिंधी पंचायत समाज ने प्रशासनिक ज्यादती के विरोध में एक आपात मीटिंग का आयोजन श्री झूलेलाल मंदिर में किया जिसे अध्यक्ष वीरेंद्र तीर्थीनी ने आहूत किया था। समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे और कुछ बिंदु तय करके मेयर, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री तक अपनी बात और अपेक्षा (मांग) रखने का निर्णय लिया है। यह कार्य 11 सदस्य कमेटी करेगी। प्रमुख सार यह सामने आया कि माधवनगर के 2200 परिवारों ने धारणाधिकार के तहत पट्टों की मांग शासन-प्रशासन से की है। जिसमें एक वर्ष में प्रशासन केवल बीस आवेदकों को ही पट्टे दे पाया है।
प्रशासन की गति देखकर अगले 40 साल तक पूरी पट्टे नहीं बन पाएंगे तो क्या प्रशासन पट्टे बनाएगा नहीं और मकान तोडक़र पूरे समाज को भिखारी बनाने की नीयत रखता है। इस विलंब ने अन्याय को मजबूत किया है। बैठक में तय किया गया है कि महापौर, विधायक, सांसद को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि जब तक पूरे समाज को पट्टे नहीं दिए जाते माधवनगर में जेसीबी मशीन नहीं घुसेगी। तीनों जनप्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आज के बाद इस तरह की तोडफ़ोड़ नहीं होगी जब तक कि सबकों पट्टे का हक नहीं मिल जाता। बैठक में सैकड़ों वरिष्ठ एवं युवा प्रतिनिधी शामिल रहे।

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