श्री शिवपुराण कथा : भक्ति की महिमा का किया बखान
सिलवानी। सोमवार को श्री शिवपुराण कथा के तीसरे दिन बम्होरी बर्धा में पूज्य ब्रह्मचारी जी ने ईश्वर की नो भक्ति के प्रकारों का विशद विवेचन कर श्रोताओं को सुनाया।
प्रथम भक्ति श्रवण की विशेषता बताते हुए कहा कि जब हम स्थिर आसन पर सम्मान व प्रसन्नता पूर्वक ईश्वर का गुणानुवाद सुनते हैं यही श्रवण भक्ति है।कीर्तन की विशेषता यह है कि हृदय से ईश्वर चिंतन हो क्योंकि हृदय में ही प्रेम का निवास होता है। ईश्वर के स्मरण में निरंतरता व हर समय ईश्वर है मानकर उपासना की जाना चाहिए।
दास्य भक्ति में प्रभु के सेवक के रूप में उनकी इच्छा के अनुसार कार्य किया जाए।
अर्चन में षोडशोपचार पूजन व वंदन में ईष्ट के मंत्र जाप व उन्हें साष्टांग दंडवत किया जाए।
पादसेवन आदि समस्त नवधा भक्ति की विवेचना की व शिवपुराण में यह भक्ति के नो प्रकार स्वम शिव ने अपने मुख से कही हैं।
कथा में अनेक ग्रामीणों माता बहिनों व नागरिकों ने उपस्थित होकर कथा श्रवण की।