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15 या 16 अप्रैल कब है वरुथिनी एकादशी व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, विधि व व्रत पारण का समय

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
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🔮 15 या 16 अप्रैल कब है वरुथिनी एकादशी व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, विधि व व्रत पारण का समय
मान्यता है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और 10 हजार वर्षों की तपस्या के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
📚 हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष के दौरान और दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण के दौरान वरुथिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। हालांकि दोनों पंचांग के अनुसार, एकादशी की तिथि एक ही पड़ती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत मार्च या अप्रैल महीने में रखा जाता है। आइए जानें आचार्य श्री गोपी राम के पुत्र आचार्य नीरज कुमार से शुभ मुहूर्त, विधि व व्रत पारण का समय
💁🏻‍♀️ वरुथिनी एकादशी 2023 कब है?
इस साल वरुथिनी एकादशी 16 अप्रैल 2023, रविवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राजा मान्धाता जो राक्षस कुल में जन्म लेकर वरुथिनी एकादशी व्रत करने के कारण अंत में मोक्ष को प्राप्त हुए थे।
💮 वरुथिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 15 अप्रैल को शाम 08 बजकर 45 मिनट से प्रारंभ होगी जो कि 16 अप्रैल को शाम 06 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी
⚛️ एकादशी व्रत पूजा विधि-

🪶 इस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
🪶 मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
🪶 मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
🪶 अगर आप व्रत कर सकते हैं तो व्रत का संकल्प लें।
🪶 भगवान विष्णु का ध्यान करें।
🪶 भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
🪶 भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
☄️ वरुथिनी एकादशी के दिन बन रहे शुभ संयोग-
वरुथिनी एकादशी के दिन द्विपुष्कर समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन शुक्ल योग पूरे दिन रहेगा जो कि 17 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगा। इसके अलावा इस दिन ब्रह्म योग भी रहेगा। मान्यता है कि इन शुभ योगों में किए गए कार्य शुभफलदायी होते हैं।
👉🏽 वरुथिनी एकादशी का महत्व-
शास्त्रों के अनुसार, वरुथिनी एकादशी व्रत करने से जातक की मनोकामना पूरी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से भक्त सभी सुखों को भोगकर अंत में वैकुंठ प्राप्त करता है। जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
💧 एकादशी व्रत पारण का समय-
17 अप्रैल को एकादशी व्रत पारण का समय सुबह 05 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक है।
🤷🏻‍♀️ एकादशी व्रत से पाई शारीरिक पीड़ा से मुक्ति और मोक्ष
घबराए हुए राजा मांधाता ने करुण भाव से भगवान विष्णु को पुकारा और उसकी पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला. भालू के हमले से राजा मंधाता अपंग हो गए थे, शारीरिक पीड़ा से वह बहुत दुखी और कष्ट झेलने को मजबूर थे. इस पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान विष्णु से उपाय पूछा. श्रीहरि बोले ये तुम्हारे पिछले जन्म का पाप है जो इस जन्म में भुगतना पड़ रहा है. भगवान विष्णु ने राजा से वैशाख की वरुथिनी एकादशी का व्रत और पूजन करने को कहा
राजा मांधाता ने विष्णु जी के बताए अनुसार वरुथिनी एकादशी पर श्रीहरि के वराह रूप की पूजा , जिसके प्रताप से वह शारीरिक पीड़ा से मुक्त हो गया और पुन: शरीर स्वस्थ हो गया. सच्चे मन से एकादशी व्रत और पूजन करने पर राजा मांधाता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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