चिटफंड के चिटलरों को जिला न्यायालय ने भी दिया झटका आरोपियों की जमानत खारिज
अभी जेल में ही कटेंगे दिन
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान । शिखर सहकारी समिति के नाम से फर्जी चिटफंड कंपनी बनाकर ग्रामीणों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर लाखों रूपये की धोखाधड़ी मामले में आरोपियों को जिला न्यायालय ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया है।
स्मरण रहे कि उमरियापान पुलिस द्वारा उक्त तथाकथित चिटफंड कंपनी के चार आरोपियों को 14 दिसम्बर को सिविल न्यायालय ढीमरखेड़ा में पेश किया गया था जहां से उनका जमानत आवेदन निरस्त कर जेल भेज दिया गया था तभी ये चिटफंड कंपनी के आरोपियों के दिन कटनी की झिंझरी जेल में गुजर रहे है। चिटफंड कंपनी के आरोपियों की ओर से जिला न्यायालय में जमानत के लिये आवेदन प्रस्तुत किया था जहां पर प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये न्यायालय ने जमानत आवेदन निरस्त कर दिया। वहीं खाताधारकों की ओर से अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के समक्ष तर्क दिया गया कि आरोपियों के विरूद्ध दर्ज अपराध गंभीर प्रकृति का और गैर जमानतीय है। आरोपियों को यदि जमानत का लाभ दिया गया तो निश्चित रूप से वह फरार हो सकते है। खाताधारको के अधिवक्ता की ओर से प्रस्तुत तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपियों का जमानत आवेदन खारिज कर दिया।
ये है मामला
शिखर सहकारी समिति के नाम से सुहागी, थाना अधारताल जिला- जबलपुर निवासी नरेन्द्र पौराणिक द्वारा शिखर सहकारी समिति के नाम से चिटफंड कंपनी बनाई गई जिसमें वसूली कार्य के लिये ग्राम उमरियापान, जिला कटनी निवासी अंशुल चौरसिया, मुकेश चौरसिया, मनीष पौराणिक को नरेन्द्र द्वारा नियुक्त किया गया था। उमरियापान, पचपेढ़ी सहित आसपास के गावों में नरेन्द्र पौराणिक और एजेंटों द्वारा लगभग 450 से 500 खाता खोले गये और ज्यादा ब्याज का लालच देकर ग्रामीणों को अपने झांसे में लिया गया। इन लोगों की बातों में विश्वास करते हुये लोगों ने उक्त कंपनी में लगभग 45 से 50 लाख रूपये जमा किये लेकिन जैसे ही लोगों को पैसा देने का समय आया तो नरेन्द्र पौराणिक और एजेंटों द्वारा तरह-तरह के बहाने बनाये जाने लगे जिसकी शिकायत उमरियापान थाने में की गई थी। उमरियापान पुलिस द्वारा धारा 420, 34, 506 भारतीय दंड संहिता का मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना कार्यवाही के दौरान पुलिस द्वारा धारा 409 आईपीसी बढ़ाई गई है। वहीं आरोपियों के द्वारा षंडयूंत्र पूर्वक कारित अपराध को दृष्टिगत रखते हुये माननीय न्यायालय ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया है।