फर्जीवाड़ा : फर्जी बही से कोर्ट में जमानत देने वाले जमानतदार को सुनाई सजा और जुर्माना भी ठोका कोर्ट का फैसला,

राज्य शासन की ओर से पैरवीलोक अभियोजक ओमप्रकाश सोनी ने की
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन
रायसेन। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ओमकार नाथ द्वारा अपने निर्णय में फर्जीवाड़ा कर नकली बही भू अधिकार पुस्तिका के आधार पर एक व्यक्ति को जमानतदार को सजा सुनाई। साथ ही जुर्माना भी किया गया है।राज्य शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक ओपी सोनी द्वारा की गई।
मप्र राज्य विरुद्ध रंजीत सिंह मीणा आरक्षी रक्षित केंद्र रायसेन के तहत भादवि की धारा 420,ब465, 467 468 एवं धारा 471, 1860 में दोषी ठहराया गया है। आरोपी पर आरोप है कि भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की कूटरचना इस तरह की है कि वह किसी लोकसेवक द्वारा तैयार की गई है। जबकि उसके द्वारा तैयार नहीं की गई थी। उक्त कूटरचना न्यायालय अथवा अन्य व्यक्तियों के साथ छलकपट करने के। उद्देश्य से की गई थी। उस फर्जीवाड़े से बनाई गई वास्तविक दस्तावेज के रूप में कोर्ट में जमानत पेश करने के लिए उपयोग किए गए। कूटरचित ऋण पुस्तिका को सही दस्तावेज के रूप में दर्शित कर न्यायालय को जमानत लेने के लिए उत्प्रेरित कर छलकपट किया।
अभियोजन के मुताबिक कोर्ट में जयप्रताप चिढार न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रायसेन के समक्ष के लंबित केस क्रमांक 130/2020 मप्र राज्य विरुद्ध छुटल्ली उर्फ अकरम अली आदि में आरोपी रंजीत सिंह मीणा छुटल्ली उर्फ अकरम अली की 50 हजार की जमानत 20 मार्च 2020 फर्जी ऋण पुस्तिका क्रमांक एलडी -218789 का उपयोग किया गया था।इस ऋण पुस्तिका की जांच एसडीएम रायसेन द्वारा कराई गई। जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि जमानतदार रंजीत सिंह मीणा निवासी राता तलाई सलामतपुर के नाम सर्वे क्रमांक 8/1,145/1 एवं 148/,1 रकबा 1.791 हेक्टेयर राजस्व अभिलेखों दर्ज है। लेकिन यह ऋण पुस्तिका क्रमांक एलडी -218789 संबंधित तहसील कार्यालय से जारी नहीं की गई थी। उस ऋण पुस्तिका पर नायब तहसीलदार साँची द्वारा हस्ताक्षर और पदमुद्रा नहीं है।उक्त ऋण पुस्तिका कोई पटवारी द्वारा भी नहीं बनाई गई थी।