विधायक अशोक रोहाणी सहित अन्य के विरुद्ध जबलपुर MP-MLA कोर्ट ने लिया संज्ञान

पेश होने के दिए आदेश,
ब्यूरो चीफ : मनीष श्रीवास
जबलपुर । फर्जी “सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत” और “फर्जी सिन्धी सेवक सभा” के नाम से सिन्धी धर्मशाला, घंटाघर, जबलपुर (जो एक सामाजिक संपत्ति है) में की गई अनियमितताओं, फर्जी नामांतरण, करोड़ों रुपये के किराये के गबन, तथा पंचायत के लेटरहेड पर किए गए दुष्प्रचार के मामले में एम.पी.-एम.एल.ए. कोर्ट (विशेष न्यायाधीश), जबलपुर ने 2 प्रकरणों में संज्ञान लिया है। अदालत ने दिनांक 22-03-2025 को सभी संबंधित आरोपियों को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है। यदि वे निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं होते, तो उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। इस मामले में निम्नलिखित व्यक्ति आरोपी हैं:
1.Ashok Rohani
2.Kartar Singh Bhatija
3.Shaman Das Aswani
4.Motilal ParWani
5.Umesh ParWani
6.Jayraj Bhatija
7.Bharat Rohani
आर्डर डेट 12-03-2025….
मामला वर्ष 2019 से प्रचलित है, जिसमें शिकायतकर्ता जितेंद्र मखीजा, निवासी नेपियर टाउन, जबलपुर द्वारा की गई शिकायतों पर पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया और कोई जाँच नहीं की। कथित रूप से मिथ्या एवं भ्रष्ट आचरण वाले तत्कालीन थाना प्रभारी ओमती, जबलपुर नीरज वर्मा के विरुद्ध, पुलिस अधीक्षक ने उन्हें थाने से हटाने की कार्रवाई की थी वो अन्य लोकल अपराधियों से मिलिभगत में दोषी पाया गया था । इसके पश्चात, यह मामला लगभग दो वर्षों तक कोरोना काल से प्रभावित रहा।
उसके बाद, पुलिस महानिदेशक (DGP) के आदेशानुसार, पूर्व जबलपुर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी को मामले की जाँच करने का निर्देश दिया गया था। इस आईपीएस अधिकारी ने भी कथित रूप से अपराधियों के पक्ष में जाँच रिपोर्ट तैयार करते हुए, दिनांक 12-10-2021 को फर्जी जाँच रिपोर्ट बना दी। बाद में, इस फर्जी जाँच रिपोर्ट के संबंध में लोक सूचना आयोग ने दिनांक 17-01-2025 को दंडात्मक आदेश जारी किया, जिसमें इस मुर्ख IPS अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए और उस पर ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया गया। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया कि तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी ने अपराधियों को साधु-संत घोषित करने की कोशिश की और ऐसे तथ्यों का हवाला दिया, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं था, तथा इसी आधार पर सभी आरोपियों को अनुचित राहत प्रदान करने का गंभीर अपराध किया गया।
शिकायतकर्ता की मूल शिकायत विषय यह है कि कथित अपराधियों द्वारा सामाजिक संपत्ति पर अवैध कब्जा कर, “सिंधी सेंट्रल पंचायत” तथा “सिंधी सेवक सभा” के नाम से फर्जी कार्यों का संचालन किया जा रहा है। इस भवन को सामाजिक भवन बताकर राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे प्राप्त होने वाली आय का उपयोग इन अपराधियों द्वारा अपने राजनीतिक करियर और पारिवारिक खर्चों- अय्याशी- गुंडागर्दी में और समाज के लोगो का दमन करने में किया जाता है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इन दोनों संस्थाओं के पंजीयन एवं इन अपराधियों की नियुक्तियों की विधिवत जाँच होनी चाहिए, जो पुलिस द्वारा नहीं की गई। हाल ही में आरोपियों ने एसडीएम (रांझी), रघुवीर मरावी को धनराशि देकर “सिंधी सेवक सभा” के नाम से एक ट्रस्ट पंजीकृत कराया, जिसमें एक मृत व्यक्ति को सदस्य दिखाया गया है। ऐसा ही अपराध करतार सिंह ने वर्ष 2019 में भी किया था, जिसके विरुद्ध सिविल कोर्ट में वाद लंबित है। वर्तमान में, वर्ष 2024 में एक नया अपराध किया गया है, जिसमें अभी एफ.आई.आर. दर्ज होना शेष है और यह 3RD मामला होगा। फिलहाल, 2 मामलों में अदालत द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है तथा इन सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश होने के आदेश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि पूर्व कर्तव्यनिष्ठ नगर निगम कमिश्नर आशीष वशिष्ठ ने भी शिकायतकर्ता जितेंद्र मखीजा की शिकायत पर, सिंधी धर्मशाला घंटाघर परिसर में निर्मित त्रिमंजिला भवन को पूरी तरह से ध्वस्त (जमीदोज) करने के आदेश दिनांक 30-05-2022 को जारी किए थे। इन्हीं आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर कंपाउंडिंग का लाभ लेने का प्रयास किया था। साथ ही, तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलेक्टर शेर सिंह मीणा ने इन्हें एक करोड़ रुपये की नजूल राशि का बकायेदार घोषित किया है, तथा नगर निगम कमिश्नर ने इन्हें ₹35,48,220.00 की देनदारी का भागीदार भी ठहराया है। जिसका भुगतान आज भी यह आरोपी गन नहीं कर रहे है और सामाजिक संपत्ति से किराया चंदा अन्य राशियाँ दोहन कर रहे है |
राजनीतिक व्यक्तियों की संलिप्तता के कारण प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। किंतु, जैसे ही मामला न्यायालय में पहुंचा और विस्तृत सुनवाई हुई, धीरे-धीरे पर्दा उठता गया तथा सभी तथ्य उजागर हो गए। अब इन आरोपियों पर विधिवत मुकदमा चलाया जाएगा। पद और प्रभाव का दुरुपयोग काफी हो चुका; शीघ्र ही यह जनप्रतिनिधि आम नागरिक की तरह न्याय पाने के प्रयास में एक भिक्षुक के समान खड़ा दिखाई देगा।