मध्य प्रदेश

पेट्रोल के दाम पहुंचे सौ के पार, पंपों पर अव्यवस्थाएं अपार

सिलवानी। तहसील के तमाम पेट्रोल पंपों पर न तो उपभोक्ताओं को मिलने वाली निःशुल्क सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं और न ही एसप्लोसिव एक्ट के नियमों का पालन किया जा रहा है। इन पेट्रोल पंपों पर खुलेआम नियमों का मखौल उड़ाए जाने से कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसके बावजूद संबंधित पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। कभी कभार विभाग से कोई अधिकारी जांच में पहुंच भी गया तो वह अपनी मेहमान नवाजी करवाकर वापस लौट जाता है और सब कुछ अपने ढर्रे पर चलता रहता है। तहसील के किसी भी पेट्रोल पंप में कर्मचारी प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल देते आसानी से नजर आ जाते हैं जबकि जानकारों कि माने तो एसप्लोसिव एट 1978 की धारा 18 जो की 1983 से लागू की गयी है के तहत प्लास्टिक की बोतलों में पेट्रोल देना लेना प्रतिबंधित है। लोगों के सुरक्षा के मद्देनजर इस पर पाबंदी लगाना जरूरी भी है । लेकिन पंपों पर खुलेआम इस नियम से खिलवाड़ करते तथा बिना आनाकानी किए बोतलों में पेट्रोल डाल दिया जाता है।
पेट्रोल पंप में बिना रोक टोक के प्लास्टिक बोतलों के अलावा कुप्पी में भी पेट्रोल देने का सिलसिला जारी है, लेकिन अब तक इस पर रोक नहीं लगाई है जबकि यह भी पेट्रोलियम एक्ट के तहत प्रतिबंधित है। जरीकेन में पेट्रोल या डीजल दिए जाने की वजह से इसका गलत इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में दुकानदार बड़ी मात्रा में पेट्रोल और डीजल खरीदकर ले जाते हैं तथा कालाबाजारी कर उसे बढ़ी हुई कीमत में बेचते हैं। इसके साथ ही आय अधिक प्राप्त करने पेट्रोल में मिलावट भी की जाती है।
ग्राहकों के अधिकारों का हनन
पेट्रोल पंपों में उपभोक्ताओं के लिए हवा, पानी तथा शौचालय की व्यवस्था करना जरूरी है साथ ही इसकी सुविधा 24 घंटे मुहैया भी करानी है। इसके साथ ही पेट्रोल की शुद्धता व माप की जांच के लिए भी सामान उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराना है। तहसील के अधिकांश पेट्रोल पंपों में इन सुविधाओं का अभाव है और अव्यवस्था उस पर भारी पड़ रही है। विशेषकर पेयजल व शौचालय तो जैसे तैसे मिल जाते हैं लेकिन निःशुल्क हवा भरने की मशीन हमेशा खराब ही नजर आती है। यदि इस संबंध में कभी कोई उपभोक्ता संचालक से पूछ भी लिया तो वह वर्कर कम होने या कोई अन्य कारण बता उपभोक्ता को आगे बढ़ा देता है।
इनका रद्द हो सकता है लाइसेंस
पेट्रोल पंप पर अव्यवस्था तथा उपभोक्ताओं की सुविधाओं का अभाव होने पर मौके से ही सीधे फोन कर इसकी शिकायत की जा सकती है। इसके लिए संबंधित अधिकारी के फोन नंबर तथा शिकायत रजिस्टर भी पंप पर मौजूद होना जरूरी है, परंतु इन सबका भी अभाव है, दरअसल जिस कंपनी का पेट्रोल पंप है, उस कंपनी के होर्डिंग पेट्रोल पंप में लगे होने चाहिए, जिससे शिकायत करने में आसानी हो। शिकायत मिलते ही संबंधित कंपनी के अधिकारी पंप संचालक से संपर्क कर वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकने में सक्षम हैं। इसमें संचालक का लाइसेंस भी रद्द हो सकता है।
हर पेट्रोल पंप पर हो रहा एक्सप्लोसिव एक्ट का उल्लंघन
पेट्रोलियम पदार्थ अत्यंत ज्वलनशील होता है। आसपास हल्की सी भी चिंगारी इस व्यवस्था पर भारी पड़ सकती है। इसके लिए सरकार ने सुरक्षा नियम तय किए हैं जिसका पालन सभी पेट्रोलियम कंपनी के पंपों में अनिवार्य रूप से करना होता है। लेकिन पेट्रोल पंपों में कर्मचारी इस नियम को ठेंगा दिखाकर पेट्रोल बेच रहे हैं। अपने इस कृत्य से स्वयं व पंप परिसर में मौजूद लोगों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। तहसील के लगभग सभी पेट्रोल पंपों में ऐसा ही हो रहा है। उपभोक्ता भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। कुछ उपभोक्ता पेट्रोल पंप में मोबाइल से बात करने पर प्रतिबंध होने के बावजूद मोबाइल उपयोग करते नजर आते हैं।

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